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Monday, April 23, 2018

ज्यादा भरोसा नहीं कर सकते

ज्यादा भरोसा नहीं कर सकते

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी में एक खूबी है कि वे बोलते बड़ा आकर्षक हैं और उनकी बातें एकदम विश्वसनीय सी प्रतीत होती हैं। अब देखिये ना वे अक्सर क़ानून के शासन को कायम रखने की बात करते हैं जबकि उनके भक्त इस तरह के क़ानून की धज्जियां उड़ा देते हैं ।  

प्रधान मंत्री जी ने हाल में ही कहा कि  “ हमारी बेटियों को न्याय मिलेगा” , कठुआ और उन्नाव में बलात्कार और हत्याओं के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध के बाद उन्होंने यह आश्वासन दिया। वर्तमान परिस्थिति में इसे क्या गंभीरता से लिया जा सकता है? ज़रा गौर से देखें मोदी जी के भक्त इस समय कैसे काम कर रहे हैं । पहले यह समझें कि मोदी जी ने जो कहा वह क्या था? अक्सर वक़्त के हाकिम किसी घटना पर प्रतिक्रया जाहिर करता है वह उसकी जिम्मेदारी आतंरिक चेतना जुडी होती है। इस मामले में मोदी जी ने प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया जाहिर की है। यह उनकी आतंरिक चेतना और मानवीय संवेदना के दबाव का बोध नहीं है बल्कि जन विरोध के बाद एक बजाहिर मजबूरी है। अब इसके बाद उनके भक्तों ने क्या किया? उन्होंने पहले कठुआ कांड में जम्मू एवं कश्मीर अपराध शाखा द्वारा दायर आरोपपत्र को बेअसर करने के लिए सोशल मीडिया पर उन्मत्त और सिंक्रनाइज़ अभियान चलाया है। साथ ही, जन चेतना को हटाने के लिए अबतक के बलात्कार के असली और काल्पनिक खबरों को प्रसारित किया जा रहा है।

 

न्याय के मार्ग को अवरुद्ध करना वैसी राजनीतिक परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण घटक है जो संवैधानिक लोकतंत्र और कानून के शासन को विचलित करना चाहता है। कठुआ मामले में सीबीआई जांच की मांग करके अपराधियों  को बचाने का  यह अभियान है।

जम्मू-कश्मीर अपराध शाखा द्वारा आठ अभियुक्तों  के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने के बाद सीबीआई जांच की  मांग का औचित्य क्या है? यह मामले को नज़र की ओट करने का प्रयास नहीं तो और क्या है।  जम्मू-कश्मीर अपराध शाखा की जांच का नेतृत्व एक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने किया था। इस अफसर को बहादुरी का पुरस्कार मिल चुका है। अब उन पर ऊँगली उठायी जा रही है है और उनकी जांच रिपोर्ट पट सवाल उठाए जा रहे हैं ताकि सुनवाई बाधित हो।   

हिंदू एकता मंच और जम्मू बार एसोसिएशन न्याय के पथ  में बाधा खड़ी कर रहा है।  पहले आरोपपत्र दाखिल करने से रोकने की कोशिश की गयी  और अब उसे मीडिया अभियान के माध्यम से बदनाम करने और उसके वकील और परिवार के सदस्यों को धमकी देने की कोशिश कर रहा है। जम्मू से भक्तों द्वारा सोशल मीडिया में एक वीडियो संदेश के माध्यम से   दावा किया जा रहा  है कि कठुआ में कोई बलात्कार नहीं हुआ था और आठ वर्षीय की हत्या रोहिंग्या मुसलमानों की करतूत है। ऐसे में  प्रधान मंत्री मोदी के आश्वासन की इस  दुष्प्रचार ने हवा निकाल दी ।

    मक्का मस्जिद विस्फोटों में 11साल की लंबी जांच के बाद भी,सीबीआई और फिर एनआईए द्वारा पर्याप्त सबूत इकट्ठा नहीं किए जा सके, मुकदमे के दौरान दो आरोपियों की हत्या कर दी गई और जिस  न्यायाधीश ने फैसला सुनाया उसने  "व्यक्तिगत" कारणों से इस्तीफा दे दिया। समझौता एक्सप्रेस हमले, अजमेर दरगाह हमले और मालेगांव विस्फोटों की जांच में अब तक सभी में समान परिणाम सामने आए हैं। “ हेट क्राइम”  के अपराधियों को बचाने और संरक्षित करने के अभियान चल रहे हैं और इन अपराधियों का महिमा मंडान भी हो रहा है। आपको याद होगा कि 2015 में दादरी हत्या कांड का एक आरोपी का  दिल्ली अस्पताल में निधन हो गया, तो उसके ताबूत को अंतिम संस्कार के लिए गांव में ले जाया गया, जिसे राष्ट्रीय ध्वज लापता गया था और  एक केंद्रीय मंत्री को  साथ भेजा गया था।

संदेश स्पष्ट है। यदि आप अल्पसंख्यकों  को मारना चाहते हैं,तो एक पूरी मशीनरी है जो आपकी रक्षा और बचाव करने को तैयार  है। नकली मुठभेड़ के आरोपी डी जी वंजारा और जज लोया की रहस्यमय मौत का मसला इस बात की मिसाल है कि एक गिरोह आपराधिक न्याय प्रणाली को कमजोर करने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकता है।

  इस रिकॉर्ड को देखते हुए, प्रधान मंत्री मोदी के शब्दों को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता है। वह कानून के शासन को बनाए रखने का दिखावा करते हैं। कठुआ और उन्नाव जैसे अपराधों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन  को दृढ़ता से जारी रखना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये लोग  न्याय के मार्ग को खत्म करने में सफल नहीं हो सकते। अगर व्यवस्था न्याय सुनिश्चित करने में विफल रहती  है,तो लोकतांत्रिक व्यवस्था से  विश्वास उठ जाएगा।

 

 

 

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