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Wednesday, June 8, 2011

बाबा एवं सरकार की रस्साकशी


हरिराम पाण्डेय
5 जून 2011
रामलीला मैदान में भ्रष्टïाचार और कालाधन के मुद्दे पर अनशन पर बैठे बाबा रामदेव के आंदोलन को दिल्ली पुलिस ने शनिवार देर रात डंडे के जोर पर खत्म करवा दिया। करीब दो घंटे तक पुलिस और बाबा के समर्थकों में जबर्दस्त झड़प हुई। आखिर में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर समर्थकों को तितर-बितर किया और बाबा रामदेव को अपने साथ ले गयी, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में सरकार की किरकिरी हुई और रामदेव और हीरो बन गये। क्या सरकार को यह मालूम नहीं था कि वह जो कर रही है, उससे रामदेव को ही फायदा होगा? या कहीं यह इसीलिए तो नहीं हो रहा है कि सरकार चाहती है कि रामदेव को हीरो बनाया जाए, उनका गुस्सा बढ़ाया जाए, इस गुस्से की आग में उनका कद और उनकी महत्वाकांक्षा बढ़ायी जाए। इतनी बढ़ाई जाए कि वह खुद को अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखने लगें और इस दिशा में अपनी पार्टी बना लें, चुनाव लड़ें। अब आप सोच ही सकते हैं कि अगर रामदेव के मन में यह इच्छा जग गयी (या हो सकता है पहले से जगी हुई हो) तो उनके इस कदम से किसको फायदा और किसको नुकसान होगा? लेकिन फिलहाल बाबा रामदेव का मामला अब बीजेपी और कांग्रेस के बीच का मामला बन गया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि यह घटना लोकतंत्र पर कलंक है और इसके लिए प्रधानमंत्री को देश से माफी मांगनी चाहिए, लेकिन जरा गहराई से सोचेें तो साफ हो जाएगा कि रामदेव को हीरो बनाने से कांग्रेस को ही फायदा है और नुकसान है बीजेपी को। बीजेपी और आरएसएस आज भले ही बाबा रामदेव का खुला समर्थन कर रहे हों, लेकिन अंदर ही अंदर उनको यह डर भी है कि कहीं बाबा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाग गयी तो उनके ही वोट कटेंगे। कांग्रेस का यह पुराना तरीका है। हो सकता है, बीजेपी के वोट काटने के लिए ही रामदेव को हीरो बना रहे हैं। यह चाल कितनी कामयाब होगी, अभी से कहना मुश्किल है। लेकिन हालात अपनी बात तो बता ही रहे हैं।
शनिवार की शाम मंत्री कपिल सिब्बल ने बाबा का लिखा पत्र प्रेस के सामने रख दिया और बाबा की बोलती बंद हो गयी। जहां आंदोलन वापस लिये जाने की बात थी वहीं बाबा ने आंदोलन को आगे बढ़ाने का ऐलान कर दिया। इस मसले को लेकर जनता में भारी विभ्रम है। कौन कितनी चालें चल रहा है यह कहना बड़ा कठिन है।
बाबा रामदेव राष्टï्रीय नायक बनना चाह रहे हैं। उन्होंने लोगों में उम्मीद जगायी है कि वे बाबा चमत्कार कर दिखाएंगे। विदेशों में जमा भारत के अरबों-खरबों के काले धन को वापस लाने का या भ्रष्टाचार के संहार जैसा कुछ चमत्कार। इस वजह से जिस आम आदमी ने वक्त से पहले ही भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने देखने शुरू कर दिये थे, वह एक बार फिर निराश है। आम आदमी एक बार फिर सोच रहा है कि भ्रष्टïाचार से देश को कब और कैसे छुटकारा मिलेगा। दिलचस्प बात है कि इस ताजा स्थिति से देश के भ्रष्टाचारी ही खुश हैं। सवाल यह है कि क्या बाबा अपनी मांगों को पूरा करवा पाएंगे? एक मांग जन लोकपाल की है। इस मांग को लेकर अन्ना हजारे भी सरकार पर चढ़ाई कर चुके हैं। अब अन्ना कह रहे हैं कि सरकार ने उन्हें धोखा दे दिया। बाबा रामदेव सरकार से बच कर रहें। लेकिन एक सवाल यह भी है कि इतने घोटालों आदि से लगभग खलनायक बन चुकी सरकार अपने मनमुताबिक जन लोकपाल विधेयक को लागू करके अपने अगले कार्यकाल के लिए आधार न बना ले।

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