हरिराम पाण्डेय
31.05.2011
पाकिस्तान में कुछ अज्ञात आतंकियों ने राष्टï्रपति के मुख्य सुरक्षा सलाहकार पर हमला किया। जवाबी फायरिंग के बाद हमलावर भाग गए, लेकिन उनकी गाड़ी से रॉकेट लांचर, हैंड ग्रेनेड वगैरह घातक हथियार बरामद हुए हैं।
पाकिस्तान में आतंकवादियों ने फिर एक बार सत्ता को खुलेआम चुनौती दी है। राष्टï्रपति आसिफ अली जरदारी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी बिलाल शेख पर देर रात हमला हुआ। उनके सुरक्षाकर्मियों की जवाबी फायरिंग में हमलावर भाग गये, लेकिन अपने हथियार और कार छोड़ गये।
पाकिस्तान में अब भी जारी आतंकवाद को लेकर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वहां के नेतृत्व से ''अब जाग जानेÓÓ का आह्वान किया और कहा है कि इस्लामाबाद अपनी भूमि से भारत के खिलाफ सक्रिय जेहादी समूहों पर रोक लगाये।
कराची हमले के संदर्भ में पाकिस्तान को भेजे गए एक संदेश में मनमोहन सिंह ने कहा है कि उसके नेतृत्व को यह समझना चाहिए कि आतंकवाद ने पड़ोसी देश को भी उतना ही आहत किया है, जितना भारत को किया है और उन्हें आतंकी गुटों के खिलाफ ज्यादा प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए। इस हमले के पहले वहां नौसैनिक अड्डïे पर भी आतंकियों ने हमला किया था। इन सबको देखकर ब्रेडफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रो. शुआन जार्जी की एक बात याद आती है कि यह सब 'परमाणु हमलेÓ की तैयारी है। पाकिस्तान के मेहरान नौसैनिक ठिकाने पर एक बड़े चरमपंथी हमले से संदेह पैदा होता है कि कहीं सैनिकों की तरह प्रशिक्षण प्राप्त हमलावरों को अंदर से मदद तो नहीं मिली हुई थी।
सवाल पाकिस्तान के सैनिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि मेहरान में चरमपंथियों पर काबू पाने में स्पेशल सर्विसेज ग्रुप-नेवी(एसएसजी-एन) को 15 घंटे लगे। याद रहे कि पाकिस्तान में एसएसजी-एन की हैसियत अमरीकी नौसेना के सील दस्ते जैसी है। इसलिए इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि मेहरान बेस पर कार्रवाई के दौरान कई घंटों तक एसएसजी-एन चरमपंथियों के सामने प्रभावहीन नजर आये। अब सवाल उठता है कि वे साधारण उग्रवादी थे या पाकिस्तान सेना के प्रशिक्षित कार्यरत या पूर्व सैनिक।
उनके हमले के बारे में मिली जानकारी से यह जाहिर होता है कि वे तालिबान तो बिल्कुल ही नहीं थे। पाकिस्तान में ये अपनी तरह का पहला हमला भले ही हो, ये आखिरी तो निश्चय ही नहीं होगा।
हमले की शुरुआत से ही साफ हो गया था कि हमलावरों को सैनिक ठिकाने के भीतर की स्थिति की विस्तृत जानकारी थी। पाकिस्तानी अखबारों में प्रकाशित रपटों के मुताबिक हमलावरों का हुलिया और उनकी चाल- ढाल सैनिकों जैसी थी। हमला जिस तेजी के साथ किया गया उस पर सैनिक अधिकारी हैरान हैं। ऐसा लगता है कि हमलावरों के लक्ष्यों में वे बैरक भी शामिल थे जिनमें चीनी इंजीनियर रह रहे थे। पाकिस्तानी अधिकारी इस बात से इनकार करते हैं कि हमला ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की प्रतिक्रिया में था। एक अधिकारी के अनुसार मेहरान के हमले की तैयारी में महीनों लगे होंगे और इसकी तुलना सिर्फ मुंबई हमलों से की जा सकती है। इससे साप जाहिर होता है कुछ हमलावर या तो कार्यरत या फिर सेवानिवृत्त सैनिक रहे होंगे। अगर यह आशंका सही है तो डर है कि पाकिस्तान के परमाणु संस्थान भी अछूते नहीं रहेंगे। उनपर ये आतंकी बने सैनिक तीन इरादों से हमला कर सकते हैं, पहला हो सकता है कि वहां हमले से आग लग जाय और चारों तरफ रेडियोधर्मिता के कारण हाहाकार मच जाय, दूसरा हो सकता है कि परमाणु हथियारों में विस्फोट कराने की गरज से हमला हो और इससे रेडियोधर्मिता के कारण चतुर्दिक विनाश होने लगे और तीसरा हो सकता है परमाणु हथियारों पर कब्जा करने की बात हो। किसी भी सूरत के लिये यह दुनिया के लिये खराब संकेत है। भारत को इस मामले को राष्टï्रसंघ में उठाना चाहिये।
Wednesday, June 1, 2011
पाकिस्तान को आतंकवाद से बढ़ता खतरा
Posted by pandeyhariram at 6:08 AM
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