भारत के लिये आई एस का नया अमीर
सर्जिकल हमले के बदले के लिये कई संगठन एकजुट
लश्कर , जे एम बी और आई एस ने हाथ मिलाये
हरिराम पाण्डेय
कोलकाता :आई एस ने बंगाल हलके (भारत, बंगलादेश और म्यांमार) में आई एस की गतिविधयां तेज करने और ‘विधर्मियों’ को खत्म करने के लिये नये अमीर अबू इब्राहिम अल हनाफी को शपथ दिलायी है। सीरिया के बाहर यह पहला वाकया है। आई एस के इस नये अमीर के साथ बंगलादेश के जमायत-उल – मुजाहिदीन (जे एम बी)और पाकिस्तान का कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एल इ टी) भी साथ है। बंगलादेश सरकार की कार्रवाई के कारण जे एम बी लगभग नेस्तनाबूद हो चुका है और वह नये ढंग से संगठित होने की कोशिश में है। इसका पूर्ववर्ती प्रमुख तमीम अहमद चौधरी मारा जा चुका है। बंगलादेश की सुरक्षा एजेंसियों में ‘नियो जे एम बी’ के नाम से परिचित इस संगठन के प्रमुख की तलाश चल रही है। शक है कि हनाफी ही नियो या नव जे एम बी का नया प्रमुख है। पिछले हफ्ते हनाफी ने आई एस के संगठन को मजबूत करने और लगभग हर बड़े शहर में स्लीपर सेल्स बनाने के लिये अपने कई नेताओं को भारत भेजा है। बंगलादेश के ‘काउंटर टेररिज्म एंड ट्रांस नेशनल क्राइम(सी टी टी सी)’ के एक बड़े अधिकारी ने सन्मार्ग को बताया , शक है कि सुहैल महफूज उर्फ हाथकटा महफूज, रिपोन, खालिद, बिग ब्रदर के नाम से कुख्यात जुनायद हसन खान, इकबाल , मानिक , मामून , अब्दुल कबिराज और महिला नेता जेबुनहार शीला भारत पहुंच चुके हैं। यही नहीं सी टी टी सी को शक है कि जे एम बी के पुराने सरदार नुरुल इस्लाम मरजान, आई टी विशेषज्ञ बशरूज्जमां उर्फ अबुल बशर उर्फ चॉकलेट और ट्रेनर जहांगीर उर्फ राजीब गांधी भी भारत में पहले से हैं और नये दल से उनका सम्पर्क हो चुका है। वे बहुत तेजी से संगठन को फिर से खड़ा करने की कोशिश में हैं।
नयी रणनीति
इधर हनाफी ने बेहद खतरनाक रणनीति अपनायी है। उसका मानना है कि म्यांमार में बोद्धों और मुस्लिमों में चल रहे तनाव के कारण उसे वहां अपना आधार मजबूत करने में सहूलियत मिलेगी। साथ ही भारत में तीखी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और तेजी से बढ़ते साम्प्रदायिक असंतोष के कारण पैर जमाने में दिक्कत नहीं होगी। दूसरी तरफ बंगलादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार द्वारा यह कहा जाना कि वहां आई एस है ही नहीं और जे एम बी खत्म हो चुका है, इस क्षेत्र में एक नयी और खतरनाक स्थिति को जन्म दे रहा है। यही नहीं पाकिस्तानी आतंकी शिविरों पर भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बदला लेने के लिये बेचैन लश्कर भी भारत में अपने अड्डों को आई एस से सहयोग करने को कहा है। आई एस का लक्ष्य है कि भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में अपने संगठन का विस्तार करने के लिये बगलादेश को पुल के तौर पर इस्तेमाल करे।
हमले के तौर तरीकों में बदलाव
केरल में आई एस के स्लीपर सेल का पर्दाफाश होने के बाद आई एस नहीं चाहता कि वह भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की निगाह में आ जाय। अत्यंत करीबी सूत्रों के इसके लिये उसने अपनी कार्यशैली में भारी परिवर्तन किया है। यह परिवर्तन ना केवल अत्यंत खतरनाक है बल्कि बेहद क्रूर भी है। अब बड़े विस्फोट या भारी गोलीबारी नहीं की जायेगी। अब इनका हथियार होगा चाकू और निशाने पर होगे स्कूल जाने या आने वाले छोटे छोटे अरक्षित बच्चे, स्कूल कॉलेज आती जाती लड़कियां, पार्कों में एकांत में बैठे प्रेमी जोड़े और सड़क पर फल सब्जी तथा अन्य सामान बेचने वाले। चाकू से किसी को मार डालने से ना कोई विस्फोट होगा ना गोलियों की आवाज सुनायी पड़ेगी और जब तक लोग संभलें तबतक हमलावर जा चुके होंगे। यही नहीं इसके लिये गोलियां या रायफलों या बमो-विस्फोटकों का बंदोबस्त और रख रखाव में सावधनी भी नहीं बरतनी होगी। साथ ही बड़े चाकू जहां सब जगह उपलब्ध हैं वहीं सस्ते हैं और घटना के बाद उन्हें निपटा देना सरल है। इससे पहचाने जाने या पकड़े जाने का खतरा घट जायेगा।
कार्रवाई का संभावित समय
खुफिया सूत्रों के मुताबिक इन दिनों सोशल मीडिया पर पवित्र कुरान शरीफ की एक आयत (9.5) चल रही है। जानकारों के मुताबिक इसमें पवित्र महीने के गुजर जाने के बाद मशरीकिंयों पर कार्रवाई का आहृवान है। इस वर्ष इस्लाम का पवित्र महीना अक्टूबर के अंत में खत्म हो रहा है। यहां यह बता देना जरूरी है कि मशरीकीं शब्द मशरीक से बना है और पवित्र कुरान में इसका उल्लेख उनके लिये है जो अल्लाह को नहीं मानते। अब सच क्या है यह तो हनाफी ही बता सकता है वह छलावा बना हुआ है।
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