सिमी काडरों का इन्काउंटर
अभी पिछले ह्फते भोपाल की जेल तोड़ कर सिमी के आठ आहतंकी भाग निकले और कुछ ही घंटों मे मध्य प्रदेश पुलिस ने उन्हें एक मुठभेड़ में मार गिराया। अब इस मुठभेड़ को लेकर ढेर सारे सवा उठ रहे हैं। किसी वीडियो के आधार पर कहा जा रहा है कि वह मुठभेड़ नकली थी। निहत्थे और आत्मसमर्पण करने को तैयार लोगों को मारा गया। कुछ लोग तो उनके जेल से भागने को भी नकली बता रहे हैं। सोशल मीडिया में मुठभेड़ को नकली और नाजायज बताने वालों की तीखी आलोचना हो रही है या यों कहें कि उन्हें गालियां दी जा रहीं हैं। आतंकियों को भागने के संबंध में जो सवाल उठाये जा रहे हैं उनमें से कुछ हैं , जब केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर पूरे देश में हाई अलर्ट रखे जाने की बात कही गयी थी, जिसमें दीपावली पर्व को लेकर स्पष्ट निर्देश थे तब राज्य सरकार ने उन निर्देशों की अनदेखी क्यों, किसलिए और किसके निर्देश पर की? जेल मैन्युअल के अनुसार किसी भी जेल में आठ से अधिक दुर्दांत अपराधियों को नहीं रखा जाना चाहिए, तो राजधानी की जेल में एक साथ 35 आतंकवादियों को क्यों रखा गया? कुछ वर्षों पूर्व सिमी आतंकवादियों के खंडवा जेल से फ़रार हो जाने की घटना से भी सरकार ने सबक क्यों नही लिया? हाई अलर्ट के दौरान 35 आतंकवादियों को रखे जाने वाली जेल की सुरक्षा मात्र 2 सिपाहियों के भरोसे क्यों, कैसे और किसलिए रखी गई?जेल से फरार होने के बाद आतंकवादियों ने 8 से 9 घंटे तक भोपाल के ही नजदीक रहने का निश्चय क्यों किया? प्रदेश की सीमा से बाहर भागने के लिए 8 से 9 घंटे पूर्णतः पर्याप्त होते हैं। फरार हुए लोगों को आधुनिकतम हथियार कहां से और किससे प्राप्त हुए? आईजी भोपाल का यह बयान कई रहस्य और आशंकाओं को जन्म दे रहा है। इस घटना और गहरे षड्यंत्र के नेपथ्य में कौन कौन सी आंतरिक शक्तियां शामिल हैं? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश भी दिये हैं। इसबीच मध्य प्रदेश के आतंकवाद विरोधी दस्ता (ए टी एस ) के प्रमुख संजीव शामी ने जोर देकर कहा है कि ‘वे भगड़े अतने खतरनाक थे कि उन्हें मारना जरूरी था वरना वे वे देश के लिये खतरा बन जाते। उन्होंने कहा कि कई मामलों में पुलिस को चरम अधिकार दिखाने का हक है।’ शामी ने ही इस मुठभेड़ की अगुआई की थी। संयोगवश इन भगोड़ों में से तीन आतंकी –जाकिर हुसैन सादिक, शेख महबूब और अमजद खान – गत 1 अक्टूबर 2013 को खांडवा जिला जेल से भागे थे और वे इतने खतरनाक थे कि उनपर दस दस लाख रुपये के इनाम की घोषणा की गयी थी। उन्हे उड़ीसा के रूऊरकेला से 16 फरवरी 2016 को एन आई ए ने गिरफ्तार किया था। उसी दिन उसी जेल से 6 और सिमी के काडर तथा कुछ अन्य कैदी भाग निकले। इनमें से तीन को 23 दिसम्बर 2013 को पकड़ लिया गया और बाकी तीन को कर्नाटक नलगोंडा जिले के जानकी पुरम में 16 फरवरी 2016 को इन्काउंटर में मार डाला गया। ये लोग देश भर में कई आतंकी कांड कर चुके थे। जिसमें पुणे में विस्फोट, गुवाहटी – बंगलोर एक्सप्रेस मेंे विस्फोट और नलगोंडा बैक डकैती भी शामिल थे। सिमी का गठन अलीगढ़ में 25 फरवरी 1977 को हुआ थ। सरकारी रपट के मुताबिक ये लोग बेहद खतरनाक थे तथा लश्कर ए तैयबा जैसे खतरनाक संगठन से हाथ मिलाकर ये लोग आतंकी कार्रवाइयों को अंजाम देते थे। आंकड़े बताते हैं कि 11 मार्च 2000 से 6 नवम्बर 2016 के बीच 705 सिमी कार्यकर्त्ताओं को देशभर में 124 घटनाओं में गिरफ्तार किया गया। यह खबर नहीं है कि इन 705 में से अभी कितने जेल में हैं। 26 जून 2014 को मध्य प्रदेश के तत्कालीन आई जी ने सरकार को जेलों की हालत के बारे में लिखा था और इस पत्त को मध्य प्रेश के मुख्य सचिव एंथनी डेसा ने इस पत्र को सुरक्षा सलाहकार अजित डावाल और खुफिया ब्यूरो को भी भेज दिया था। लेकिन वहां जेलों की सुरक्षा की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई हुई हो ऐसा नहीं दिखता। फिलहाल , वैश्विक जेहादी संगठन अल कायदा और आई एस भारत में भारतीय आतंकी या जिहादी संगठनों की मदद से अपनी पैठ बनाने की कोशिश में हैं ताकि अपने अजेंडे को अंजाम दिया जा सके। इसके लिये जरूरी है कि देसी आतंकी संगठनों को वे मजबूत बनायेंगे। ये संगठन सुरक्षा बलों की कार्रवाई के फलसरूप एक तरह से नेस्त नाबूद हो गये थे। सिमी के काडरो द्वारा जेल तोड़ृकर भागने की घटना सुरक्षा के लिये बेहद खतरनाक हो सकती थी। अतएव सरकार का कर्त्तव्य है कि वह देश के महत्वपूर्ण संस्थानों और इंसानी जान ओ माल की हिफाजत करे। 2014 के पहले आतंवाद उतार की दिशा में बढ़ रहा था लेकिन अचानक उसमें तेजी आ गयी। ऐसे में उन्हें मारा जाना अनुचित कैसे हो सकता है? जो लोग इसपर उंगली उठा रहे हैं वे राष्ट्र की कीमत पर सियासत कर रहे हैं।
Friday, November 11, 2016
सिमी काडरों का इन्काउंटर
Posted by pandeyhariram at 8:38 PM
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