मोदी जी पर उखड़ा विपक्ष
बजट सत्र का आखिरी दिन उममीद के अनुरूप ही शुरू हुआ। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने शोर मचाना आरंभ कर दिया ओर शोर इतना ज्यादा हो गया कि संसद के दोनों सध्नों की कार्यवायी स्थगित करनी पड़ी। हालांकि बाद में फिर कार्यवायी शुरू हुई। विपक्षी प्रदानमंत्री से खेद प्रकट करने को कह रहे थे और वे सदन के मध्य में जमा हो गये। बुधवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के अबिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का उत्तर देते हुये पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन हिंह पर फब्ती कसी थी कि वे ‘रेनकोट पहन कर नहाना जानते हैं।’ यह फब्ती कांग्रेस को नागवार लगी थी और कांग्रे के नेतृत्व में विपक्षी सदस्य सदन से बाहर चले गये थे। प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘बाथरूम में रेनकोट पहन कर नहाना, ये कला तो डाक्र साहब ही जानते हैं और कोई नहीं जानता।’ उन्होने आगे कहा कि ‘संभवत: देश के 70 साल के इतिहास में 35 वर्षों में जो सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये उनमें एक आदी शामिल था। मनमोहन सिंह जी का देश की आर्थिक नीतियों पर गंबीर प्रभाव था। इसके बावजूद कई घोटाले हुये पर उनके विरुद्ध एक भी आरोप नहीं है।’ प्रधानमंत्री की इस बात का तड़ितवत प्रभाव हुआ। कांग्रेसी सदस्यों का पारा गर्म हो गया और वे प्रधानमंत्री के इस कथन के विरोध में शोर मचाते हुये सदन से बाहर चले गये। जिस समय प्रधानमंत्री ने यह बात कही थी उस समय वे मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में हुये घेटालों का जिक्र कर रहे थे कांग्रेस ने इस पर भी आपत्ति जताई थी जबकि भाजपा का कहना था कि 2जी , टेलीकॉम, कोयला ब्लॉक निलामी इत्यादि घटनाओं से डा. मनमोहन सिंह को बरी नहीं किया जा सकता है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भाजपा ने एकबार फिर इस मसले को उठाने की कोशिश की पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के शब्दों पर भारी आपत्ति जताते हुये कहा कि यह डा. सिंह पर व्यक्तिगत आक्षेप है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आनन फानन में ट्वीट कर कहा कि यह संसद और राष्ट्र की गरिमा को आघात पहुंचा रहा है। मोदी जी की इस बात पर जब मनमोहन सिंह से प्रतिक्रिया मांगी गयी तो उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। लेकिन कांग्रेस के सदस्य बिफरे हुये नजर आये। वे मोदी जी के अक्खड़पन पर नाराज थे और उनका कहना था कि मोदी जिन शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं वह प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि ‘वे विपक्ष के सदस्यों की बातें सुनने कभी सदन में नहीं आते लेकिन आज शाम पांच बजे उनका आना तय था पर वे जानबूझ कर नहीं आये। जब विपक्ष के आखिरी सदस्य ने अपनी बात खत्म कर ली तब वे आये और उसके बाद बोलना शुऱू किया। कुछ ही मिनटों में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पर हमला कर दिया। उनका यह कृत्य स्वीकार्य नहीं है।’ चिदम्बरम ने फिर कहा कि प्रधानमंत्री को अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री के बारे में ऐसी भाषा शोभा नहीं देती।उन्होंने कहा कि ‘हम प्रधानमंत्री से बेहद नाराज और दुखी हैं। इसके विरोध में सदन से बाहर जा रहे हैं।’ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्ब्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री का इतना अक्खड़पन अभूतपूर्व है और ‘यह सदन का अपमान है। उन्हें यह सोचना चाहिये कि वे भारत के प्रधानमंत्री हैं, इस पद की एक गरिमा होती है, प्रतिष्ठा होती है। वे तो ऐसा बोलते हैं मानों वे संसद में नहीं मैदान में बोल रहे हैं। ऐसा लगता है कि फकत वही सही हैं बाकी हम सब कालाबाजारिये हैं।’ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि ,प्रधानमंत्री एक व्यक्ति नहीं संस्थान हैं जिसकी गरिमा है, प्रतिष्ठा है, भाषा की नैतिकता है। अब तो यह सत्त समाप्त हो गया। इस दूसरा का मार्च के र्दसरे सप्ताह में होने वाला है। अब यह देखना है कि कांग्रेस प्रधानमंत्री का वहिष्कार करती है या नहीं या यों कहें कि सदन की कार्यवायी चलने देती है या नहीं। अभी जो लग रहा है उससे तो महसूस होता है कि प्रधानमंत्री को किनारा करने का यह अवसर कांग्रेस शायद ही हाथ से जाने दे। वह प्रधानमंत्री की माफी की मांग पर अड़ी रहेगी। वैसे सदन में बोलने के लिये बहुत कुछ था जिस पर मेदी जी बता सकते थे लेकिन उन्होंने सारा समय विपक्ष पर फब्तियां कसने में बर्बाद कर दिया। देश में नये रोजगार नहीं बन रहे हैं लेकिन बजट सत्र में ना कोई घोषणा हुई और ना सदन में प्रधानमंत्री ने कुछ कहा। सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने, आतंकवाद को नेस्तनाबूद कर देने और कालाधन को मिटा देने के दावे करते रही है पर सदन में उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा केवल हल्की टिप्पणियां करते रहे। विपक्ष पर आरोप लगता है कि वह सदन की कार्रवाई नहीं चलने देता लेकिन इस तरह की कार्रवाई चले भी तो क्या लाभ।
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