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Sunday, February 5, 2017

ट्रम्प के युग से दुनिया को खतरा बढ़ा

ट्रम्प के युग से दुनिया को खतरा बढ़ा

हालांकि अटकलों का बाजार र्ग रहा कि ट्रम्प अपने चुनावी वायदों को किस तरह पूरा करेंगे पर यह कोई नहीं जानता कि ट्रम्प आखिर कैसे अंतरराष्ट्रीय मसलों से निपटेंगे।लेकिन अब इन सवालों के जवाब के बारे में कुछ- कुछ पता चलने लगा है। अब ज्यादा दिनों तक वे पहेली नहीं बने रहेंगे। अब उनकी पॉलिसी  की सक्रियता की दिशा दिखने लगी है। सत्ता संभालने के बाद उन्होंने 10 आदेश जारी किये। ये आदेश शासकीय थे और सीमा से लकिर अमरीका में प्रवेश तथा निवास से सम्बन्धित थे। इन आदेशों का असर अमरीकी हवाई अड्डों पर दिखा। वहां अफरा तफरी मच गयी , क्योंकि वहां तैनात अफसरों को यह मालूम नहीं कि उन आदेशों के बाद किन्हें अमरीका में आने दिया जाय और किनहें रोका जाय। ये आदेश उत्तरी अफ्रीकी आॡैर पश्चिमी एशियाई देशों के पर्यटकों पर पाबंदियों के बार में थे। ये सभी देश मुस्लिम बहुल हैं। यही नही, मुस्लिम देशों के शरणार्थियों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गयी। आदेश में साफ तौर पर अफगानिस्तान , पाकिस्तान और सऊदी अरब के लोगों का वीसा दिये जाने के मामले में भी कड़ाई बरतने का आदेश था। आदेश में इसका कारण बताया गया है कि इन देशों में आतंकी नेटवर्क हैं और वे अपने देशों में सक्रिय हैं या ये सरकारें आतंकी संगठनों को समर्थन देती हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प की इस कार्रवाई का विरोध हुआ है। अमरीकी जनता , उद्योंग और अदालत ने अपना विराशेदा जाहिर किया है।हॉलिवुड, अमरीकी विद्वत समाज और गूगल, फेसबुक , माइक्रो सॉफ्ट जैसे आई टी संगठनों ने भी ट्रम्प के कदमों की आलोचना की है। लोग विरोध में सड़कों पर उतर आये। कई फेडरल कोर्ट के जजों ने ग्रीन कार्ड धारकों को या वैध वीसा धारकों के प्रवेश पर रोक के इन शासकीय आदेशों पर रोक का निर्णय दिया है। इसके फलस्वरूप अमरीकी हवाई अड्डों पर अफरा तफरी और विभ्रम थोड़ा कम हुआ। अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया थोड़ी तीखी थी। अमरीकी और ऑस्ट्रेलियाई धुर दक्षिणपंथी गुटों ने इसका समर्थन किया है और मांग की है सभी देशों के मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगायी जाय। ये शासी आदेश टृम्प द्वारा गत 1 अक्टूबर को जारी एक परचे से लिया गया है जिसमें उन्होंने कहा कि वे शासन के पहले सौ दिनों में क्या क्या करेंगे। यही नहीं ट्रम्प ने मैक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने तथा अवैध तौर पर रहने वालों को भगाने का आदेश दिया है। उन्होंने इस आशय का वादा अपने चुनाव के दौरान बार बार किया था। इन आदेशों से अतिरिक्त लोग बहाल होंगे या यों कहें सरकारी नौकरियों की संख्या बढ़ेगी। आर्थिक और वाणिज्यिक मसलों के सम्बंध में उनका आदेश भी है जो उत्पादन लाइसेंस प्रक्रिया को प्रभावित करेगा साथ ही पाइप लाइन्स में अमरीकी इस्पात के उपयोग की समीक्षा भी करेगा। साथ ही इससे सेना को छोड़ कर फेडरल नौकरियों पर रोक लग सकती है।उन्होंने ओबामा के हेल्थ केयर कार्यक्रमों पर भी रोक लगा दी और कोई नये नियम जारी करने पर भी पाबंदी लगा दी है। उन्होंने मैक्सिकों की सीमा पर दीवार खड़ी करने के खर्च का एक हिस्सा मैक्सिको से भी दिलवाने का वादा किया है। अगर वह नही तैयार होगा तो वे वहां के राष्ट्रपति से नहीं मिलेंगे। दिलचस्प बात यह है कि मैक्सिको के राष्ट्रपति अमरीका आने वाले थे और इस घोषणा के बाद उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी जबकि विदेश मंत्री वाशिंगटन आ चुके थे। अमरीकी अधिकारियों ने इशारा किया है कि दीवार का खर्च पूरा करने के लिये आयात कर में 20 प्रतिशत वृद्धि की जा सकती है। इससे मुद्रा स्फीति बढ़ सकती है। उनके कदमों से ऐसा लगता है कि वे जान बूझ कर ऐसा कर रहे हैं ताकि अन्य देशों में अफरा तफरी मच जाय और वे नये सिरे से व्यापार तथा इमीग्रेशन मसलों पर सौदेबाजी कर सकें। यहां यह जानने योग्य है कि 1930 के दशक में अमरीका में जो भारी मंदी आयी थी उस समय उसने एकतरफा टैक्स लगाया था और उससे मंदी न केवल बढ़ गयी थी बल्कि उसकी अवधि भी बढ़ गयी थी। अब देखना है कि वे चीन से क्या बर्ताव करते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार उथल पुथल हो जायेगा। ट्रम्प ने जापान और मैक्सिको को भी निशाने पर रखा है। अगर वे इन नीतियों को काम लेते हैं तो यकीनन एक वैश्विक व्यापार जंग शुरू हो सकती है। इससे अमरीका से लेकर हर देश प्रभावित होगा।

दूसरी तरफ ट्रम्प की नतियों से रीजनल कमप्रीहेंसिव इकॉनोमिक पार्टनर शिप ( आर सी ई पी ) को बढ़ावा मिलेगा। आर सी ई पी में एशिया प्रशांत क्षेत्र के 16 देश और 10 आसियान देश शामिल हैं। भारत अमरीका के सेवा क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाना चाहता है। इसका असर भारत अमरीका के सम्बंधों पर पड़ सकता है और ज्यादा प्रगाढ़ हो सकते हैं। अनुमान तो यह भी लगाया जा रहा है कि अमरीकी अफसरशाही और कारपारेट क्षेत्र उन्हें लगाम दे सकता है क्योंकि अगर ट्रम्प  उनकी बात नहीं मानते हैं तो अमरीका अपने आर्थिक लक्ष्य हासिल नहीं कर सकता है। चाहे जो हो हम एक नई वैश्विक व्यवस्था में प्रवेश करने जा रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कायम व्यवस्था अब बदलाव की दिशा में बढ़ रही है। हमें भी यानी भारत को भी कुछ बदलावों का समना करना पड़ सकता है क्योंकि नयी आर्थिक तथा वैश्विक व्यवस्था निर्मित हो रही है। 


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