राहुल बड़े नेता हो ही गए
23 मई के बाद चुनाव का चाहे जो भी परिणाम हो, बेशक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन जाएं पर इसमें भी कोई संदेह नहीं कि राहुल गांधी इस चुनाव के बाद भारत के एक बड़े नेता के रूप में दिखेंगे। राहुल गांधी इस लंबे चुनाव के दौरान चले व्यापक प्रचार अभियान में नरेंद्र मोदी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर कायम रहे । जब मोदी जी ने राहुल के पिता राजीव गांधी, जिनकी 28 वर्ष पहले हत्या हो गयी थी , को " भ्रष्टाचारी नंबर एक " कहा तो राहुल ने एक ट्वीट किया " मोदी जी अब जंग खत्म हो गयी,आपका आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। आप अपने भीतर के आत्मबोध को मेरे पिता पर थोप रहे हैं यह आपकी रक्षा नहीं करेगा। आपको मेरा प्रेम और आलिंगन।"
जब प्रधानमंत्री जी चुनाव के आखिरी दौर में राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी कह कर शाबाशी लेनी चाही तो राहुल ने बड़ी शांति ट्वीट किया कि " प्रिय मोदी जी , आपके हाल के बयान , इंटरव्यू, और वीडियो देश को यह साफ तौर पर बता रहे हैं कि आप दबाव से टूट रहे हैं।" उनका मंतव्य स्पष्ट था कि प्रधानमंत्री जी राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को नीचा दिखाने के लिए एक मृत नेता को भला बुरा कह कर तिनके का सहारा ले रहे हैं। राहुल गांधी ने इस चुनाव के दौरान मोदी जी के आरोपों का खंडन छोड़ दिया और केवल नपा तुला जवाब देते हैं। यह बताता है कि राहुल एक परिपक्व राजनीतिज्ञ और कांग्रेस के नेता बन गए हैं। भारत की राजनीति में एक हल्के फुल्के राजनीतिज्ञ के तौर पर प्रविष्ट हुए राहुल ने खुद को एक ऐसे आत्मविश्वास पूर्ण नेता के रूप में बदल दिया जो यह भली प्रकार जानता है कि चुनावी जंग में विपक्ष का जवाब कैसे दिया जाता है। उन्होंने देश के समक्ष उपस्थित बेरोजगारी,कृषि विपदा संस्थानों का अशक्त होता जाना ,कथित राफेल सौदे में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर अपनी निगाह जमाये रखी और इसकी परवाह नहीं कि मोदी जी और उनके चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा को एक महत्वपूर्ण मसला बनाया है। हर चुनाव सभा में अपने प्रत्येक इंटरव्यू में राहुल ने सेना के राजनीतिकरण और नही पूरे हुए वायदों का जिक्र किया। सत्तरह ही उन्होंने यह बताया कि उनकी पार्टी की योजना क्या है। राहुल ने एक टी वी चैनल पर अपने इंटरव्यू में कहा कि अर्जुन की तरह मेरा निशाना केवल मछली की आंख पर है। कई लोगों को उन्होंने कहा कि " मैं प्रधानमंत्री जी को राफेल और अन्य मसलों पर बहस की चुनौती देता हूं। वे भारत के लोगों की आंखों में झांकें और मेरे सवालों का उत्तर दें।" एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि " मैने नहीं कहा कि चौकीदार चोर है बल्कि एक जनसभा मैन केवल कहा चौकीदार और भीड़ ने वाक्य पूरा किया चोर है।" राहुल गांधी ने एक अन्य इंटरव्यू में कहा कि त्रिशंकु लोकसभा की संभावना नहीं है । चूंकि लोग मोदी और अमित शाह से थोड़े डारे हुए हैं इसलिए खुल कर नहीं बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भा ज पा नेताओं द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत चुनाव आयोग से लगातार कर रही है पर आयोग क्लीन चिट दे रही है। राहुल ने आधा दर्जन शिकायतों को गिनाया। राहुल गांधी ने कहा कि यह दबाव है और उसकी छाप सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग और योजना आयोग पर साफ दिख रही है। राहुल गांधी ने कहा कि यह बोलना अच्छा नहीं लग रहा है फिर भी मुझे चुनाव आयोग से निष्पक्षता की आशा नहीं है। प्रधान मंत्री के कारण चुनाव आयोग थोड़े दबाव में है और जरा पक्षपाती ढंग से काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार यह है जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने सार्वजनिक रूप में कहा कि वे बहरत के लोगों से न्याय की मांग करते हैं।
कुछ दिनों पहले तक पप्पू कह कर जिस राहुल की खिल्ली उड़ाई जाती थी आज उसी राहुल गांधी उन्होंने खुद को कितना विकसित किया है। 2015 में जब उन्होंने मोदी जी की सरकार को सूट-बूट की सरकार कहा था वही उनके बदलाव की शुरुआत थी। आज असफलताओं के कारण प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी पर हमले करने तथा अपनी पार्टी को एक विकल्प के रूप में पेश करने के अलावा वे कुछ और करने की कोशिश करते हैं। वे देश को यह दिखाना चाहते हैं कि वे एक आदर्श का पालन करते और मोदी जी नकी पार्टी उससे विपरीत है। बड़ी चालाकी से उन्होंने दक्षिणपंथी, मध्यमार्गी, उदार जैसे शब्दों को घृणा और प्रेम से बदल दिया है। अन्य शब्दों में कहें तो राहुल ने सत्ता की अपनी जद्दोजहद में नैतिक बल का सहारा लिया है। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि हमारा देश भाईचारा और प्यार की भावना के लिए जाना जाता है। यह नये राहुल का प्रमाण है।23 मई के बाद चुनाव का नतीजा चाहे जो निकले पर राहुल गांधी एक बड़े राजनीतिज्ञ के रूप में जरूर दिखेंगे।
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