3 अक्टूबर
बिहार में चुनाव की गहमा गहमी शुरू हो चुकी है। प्रचार में माहिर भाजपा ने एक अक्टूबर को विजन डॉक्यूमेंट जारी किया। इसमें लम्बे- चौड़े वायदे किये गये हैं। यह कुछ ऐसा लग रहा है कि कहा जा रहा हो कि ‘रोटी नहीं मिलती है तो यार केक खाओ ना।’इसमें मुफ्त में स्कूटी, लैपटॉप, टीवी और कपड़े देने का वादा किया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे विकास पत्र बताया। इसमें 'मेक इन बिहार' और 'डिजिटल बिहार’ का नारा भी दिया गया है। इसमें हिंदुत्व पर भी काफी जोर दिया गया है। विजन डॉक्यूमेंट में ‘गो-पालन निदेशालय’ की स्थापना से लेकर धर्मांतरण रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाने का वादा किया गया है। चूंकि हमारे देश में घोषणापत्र का ब्रांड पिट चुका है। लिहाजा पिछले कुछ चुनावों से घोषणापत्र को विजन डाक्यूमेंट जैसे भारी भरकम नाम से दोबारा लॉन्च किया जा रहा है। विजन डाक्यूमेंट में घोषणापत्र जैसी वचनबद्धता नहीं होती है। रूपरेखा के नाम पर चमकदार वादे को ही सजाया जाता है जो पहले घोषणापत्र में होता था। बीजेपी के विजन डाक्यूमेंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर है। विजन डाक्यूमेंट में बीजेपी ने एक लाख पैंसठ हजार करोड़ के पैकेज को दो चार लाइन में ही निपटा दिया है। पैकेज का विस्तार से कोई ब्यौरा नहीं है। भाजपा ने अपने पैकेज को विश्वसनीयता प्रदान करने का एक बड़ा मौक़ा गंवा दिया है। विजन डाक्यूमेंट पढ़ कर पता नहीं चलता कि एक लाख पैंसठ हजार करोड़ में से सब खर्च होगा या उसमें किए गए वादों के लिए अलग से बजट बनेगा।दृष्टि पत्र के नाम से हर दल यही प्रयास रहता है कि मीडिया में कुछ ऐसे बिन्दु ज्यादा लोकप्रिय हो जाएं जिनसे वोट खींचा जा सके। जैसे स्कूटी, लैपटॉप और साड़ी-धोती देना। विजन डाक्यूमेंट में लिखा हुआ है कि हर दलित महादलित टोले में एक रंगीन टीवी दिया जाएगा लेकिन मीडिया ने चलाया कि हर दलित और महादलित को रंगीन टीवी मिलेगा। बीजेपी को बताना चाहिए कि बिहार में ऐसे टोलों की संख्या कितनी है और कितने टीवी सेट लगेंगे। छोटा टीवी मिलेगा कि बड़ा। लगता है टेलीविजन देने के लिए विजन डाक्यूमेंट बनाया गया है। बीजेपी ने विज़न डाक्यूमेंट में कहा है कि पहली बार बिहार में किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हुए हैं। गैर सरकारी दावों के अनुसार गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में लाखों की संख्या में किसानों ने आत्महत्या की है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े देखिये तो 2014 में बिहार में एक भी किसान आत्महत्या का जिक्र नहीं है। बीजेपी ने अपने विज़न डाक्यूमेंट में कहा है कि खेती के लिए अलग से बजट पेश होगा। समय पर ऋण वापस करने वालों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर खेती के लिए कर्ज दिया जाएगा। हर किसान को हेल्थ कार्ड दिया जाएगा। केंद्र में सोलह महीने के बाद भी लोकपाल का पता नहीं लेकिन बिहार के विजन डाक्यूमेंट में बीजेपी ने लोकपाल जैसी किसी संस्था की बात तो की है मगर हैरानी हुई कि लोकपाल शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है। विजन डाक्यूमेंट में कहा गया है कि- भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी की स्थापना करेंगे। इसकी एक यूनिट का गठन हर जिले में होगा। नए सतर्कता कोर्ट की स्थापना करेंगे ताकि भ्रष्टाचार के मामलों का निपटारा हो सके। रंगे हाथ रिश्वत पकड़े जाने पर समय सीमा के तहत दंडित किया जाएगा। बिहार विशेष न्यायालय एक्ट जिसके तहत भ्रष्टाचारियों की संपत्ति ज़ब्त की जाती है उसे प्रभावी बनाया जाएगा। भ्रष्टाचार के नियंत्रण के लिए टोल फ्री नंबर की शुरुआत होगी। क्या भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी लोकपाल है या कोई अन्य संस्था है। बिहार में लोकायुक्त है। बीजेपी और नीतीश दोनों ने अपने विजन डाक्यूमेंट में नए उद्यमियों के लिए 500 करोड़ के वेंचर फंड की बात कही है। दोनों के एजुकेशन लोन में कुछ तीन परसेंट का चक्कर है। विजन डाक्यूमेंट में हिन्दी का जिक्र नहीं है लेकिन बीजेपी अंग्रेजी और संस्कृत के अलावा फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश और अरबी सिखाने का वादा कर रही है। जिन मदरसों में अरबी सिखाई जाती है उन्हीं को लेकर कितना राजनीतिक बवाल खड़ा किया जाता है लेकिन यह अच्छा है बीजेपी ने अरबी को महत्व दिया। इन सब भाषाओं के लिए बिहार में शिक्षक कहां से आएंगे? अंग्रेजी का मुद्दा इस चुनाव में बिहार की आकांक्षा की जीत है। शायद सबको पता है कि एक आम बिहारी अंग्रजी की कितनी अहमियत समझता है। वो हिन्दी समर्थन के नाम पर राजनीतिक ढोंग की असलियत जानता है। आप विजन डाक्यूमेंट जरूर पढ़ें और इसी आधार पर अपना मत बनाएं। जरूरी है अपना मत बनाना ताकि विजन डाक्यूमेंट पर गंभीरता से बहस हो सके और राजनीतिक दलों पर सीरियस होने का दबाव बढ़ें।
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