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Thursday, August 10, 2017

आप भी ‘‘वही’’ निकले

आप भी ‘‘वही’’ निकले

 मार के सच्चई को लात सियासत में

जायज होती है हर बात सियासत में

राज्य सभा के चुनाव को लेकर हुआ कोलाहल थम गया। चुनाव आयोग के आदा रात को हस्तक्षेप के बाद कांगेस के अहमद पटेल पांचवी बार विजयी हुये, क्योंकि आयोग ने कांग्रेस के दो सदस्यों के वोट अंतिम समय में रद्द कार दिया। क्रॉस वोटिंग का यह मामला भारतीय सियासत के लिये ना नया है और ना अनोखा है। पर इस समय महत्वपूर्ण इसलिये है कि जिस पार्टी ने दावा यि था कि वह ‘पार्टी विद ए डिफरेंस’ वह भी वही निकली जो पहले वाली थी।

सभी उसूलों और आदर्शों वाले

जोशीले जज्बाती नारे वाले

सच्चाई के बड़े बड़े दावे वाले

बिक जाते हैं रातोंरात सियासत में

अब कांग्रेस भाजपा पर आरोप लगा रही है कि उसके उम्मीदवार को पराजित करने के लिये दुरभिसंधि कर रही है , छलभरी चालें चल रही है। यह लोकतंत्र का ‘कलंकित काल’ है, काली रात है। अजीब विडम्बना थी कि बेईमानी ,मक्कारी और फरेब के प्रतिरूप अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिये या यों कहें कि भारत को ब्रिटिश सत्ता मुक्त कराने के लिये अबसे 75 साल पहले इसी 8 अगस्त को ‘भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था’ और भारत को कांग्रेस मुक्त कराने का नारा देने वाली भाजपा ठीक वही कर रही है जो कांग्रेस किया करती थी। उधर भाजपा है कि चिल्ला कर कह रही है कि कांग्रेस ने उसके सदस्यों का अपहरण कर एक रिसॉर्ट में बंद कर रखा था और उसने डरा धमका कर वोट हासिल किया। यह लोकतंत्र पर एक धब्बा है, कलंक है। यह 8 अगस्त 2017 भारतीय संसदीय इतिहास में लोकतंत्र के लिये ‘दुखद दिवस’ के तौर पर जाना जायेगा , क्योंकि हमारे सामने दोनों तरफ कुछ ऐसे भी सदस्य थे जो उन दिनों से कायम थे जब ‘ दिन कलंकित’ नहीं हुआ करते थे अलबत्ता भाजपा – कांग्रेस की हाथापायी तो शुरू से चलती आये है। इनके अलावा जो थे वे सब हाशिये में खड़े हैं, ना दूध के धुले हैं और ना कालिख पुते हैं। कांग्रेस पर यह तोहमत लग सकती है कि वह अपने लोगों को एकजुट नहीं रख पायी, या कहिये कि उन्हें उठाकर ले गयी तथा एन चुनाव के दिन सामने लेकर आयी तथा वोट डालने के बाद ही उन्हें मुक्त किया। भाजपा और अन्य दल कांग्रेस को पानी पी पी कर कोस रहे हैं और कांग्रेस भी वही कर रही है या कहें उससे भी खराब कर रही है।

जब नरेंद्र मोदी प्रचार के ‘अश्वों की वल्गायें थामें’ सामने आये तो करतल ध्वनि के साथसमवेत घोषणा की गयी कि वे ‘पार्टी का नेतृत्व कुछ पृथक ढंग से करेंगे। ’ …और मुनादी हुई कि ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ बनाया जायेगा। दिन आये और दिन चले गये। भाजपा ने लोकतंत्र को अशक्त बनाने के लिये कांग्रेस पर काला रंग पोतना शुरू किया और आज भी वही हो रहा है। जब भाजहपा के हाथों में सत्ता आयी और वे गद्दी पर पूरी तरह जम कर बैठ गये और लोकतांत्रिक बहुमत को लेकर मुतमईन हो गये तो वही अपराध करने लगे जो कांग्रेस करती आयी है। मसलन, भाजपा ने यह पक्का कर लिया कि राष्ट्रपति उना आदमी होगा तो उपराष्ट्रपति भी अपना ही बना लिया। लोकसबा भाजपा- राजग गटबंधन को पूर्ण बहुमत है राज्य सभा में भी भाजपा ने कांग्रेस पर बढ़त हासिल कर ली है। अब जब नीतीश उसी के साथ चले गये कोग्रेस रसातल में पहुंच गयी। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में चुनाव के बाद सभी पार्टियों की दुकानें बंद कर दी और दलित मुद्दे पर खुद को दलितों का उद्धरक कहने वाली मायगवती दलित मुद्दे पर उखड़ कर सदन से इस्तीफा दे दिया। उत्तर प्रदेश में भी वही हाल है भाजपा विवेकहीनता के हद पार कर योगी आदित्यनाथ की पीठ ठोंक रही है। केवल पूर्वोत्तर भारत ही नहीं दक्षिणी राज्यों में भाजपा का इंद्रजाल फैल रहा है। जस तरह भाजपा कांग्रेस के खिलाफ चालें चल रहीं हैं उससे साफ लगता है कि वह कांग्रेस मुक्त भारत जैसे नारे के प्रति गंभीर है। उसने समस्त गंदी चलें चलनी शुरू कर दीं हैं। देश का राजनीतिक इतिहास विकृत होता जा रहा है। अब तो ऐसा लगता है कि किसी संसदीय मामले पर सत्तारूढ़ दल के खिलाफ खड़े होने वालें का एक जुट होना नामुमकिन है। प्रधानमंत्री ने वादा किया था कि सत्ता कम से कम दिखेगी , सुशासन ज्याध से ज्यादा होगा। आजादी के बाद से अब तक जो होता आ रहा था उसके प्रति नजरिया बदलेगा और उसका फल सकारात्मक होगा। अब मोदी चाहते हैं कि भारत की जनता ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो की तर्ज पर उसका साथ दे।’ पर 75 वर्षों के बाद मसले बदल गये हैं, जरूरतें बदल गयीं हैं। प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमें ‘गरीबी, गंदगी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, सम्प्रदायवाद, जातिवाद से मुक्ति पाकर एक नये भारत का निर्माण करना होगा। ’ लेकिन यह सब बातें कहने सुनने के लिये अच्छी हैं। मोदी जी केभक्त मानते हैं कि वे एकदम सही रास्ते पर हैं और कांग्रेस तथ अन्य के साथ जो हो रहा है वे सब उसी के पात्र हैं। भारत की जनता यह सब कांग्रेस की जमाने से देख रही है। कांग्रेस जितना भी चिल्लाये कोई सुनने वाला नहीं है। यह सही है कि भाजपा कांग्रेस को हटाया। लेकिन अब तो यह भी वही कर रही हे जो कांग्रेस करती आयी थी। यह भारत के लिये लज्जा का विषय है। जो थे उनसे भी ज्यादा गलतकारी और यह कहना कि उनसे पाक साफ हैं, यकीनन वह पार्टी नहीं थी जिसकी उम्मीद थी। वो सांप नाथ थे ये नाग नाथ हैं।

कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर

क्या हकीकत है और सियासत क्या         

 

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