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Friday, August 25, 2017

ट्रंप ने पाकिस्तान को चेतया

ट्रंप ने पाकिस्तान को चेतया

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण एशियाई देशों के लिए अमरीकी रणनीति के तहत पकिस्तान को कठोर कार्रवाई की  चेतावनी दी है. ट्रंप ने अपने भाषण के दौरान कहा कि पकिस्तान में आतंकी संगठनों, तालिबान और अन्य संगठनो की  पनाहगाह के मसले पर चुप नहीं रह सकते क्योंकि इससे उस क्षेत्र और उसके आगे के भूभाग पर ख़तरा बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम उसे  करोडो डॉलर दे रहे हैं  और वह उन आतंकियों को पनाह दे रहा है जिनसे हम लड़ रहे हैं. 9/11 की  घटना के बाद अमरीका ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किया और पकिस्तान ने आतंकियों को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए आगे बढ़ कर अमरीका की  मदद की. लेकिन साथ ही दुनिया जानती है कि अल कायदा और आई एस आई एस (खोरासन गुट) सहित  दुनिया के सबसे खतरनाक इस्लामी आतंकी गिरोहों को पकिस्तान ने पनाह दे रखी है. अमरीका ने बार बार कहा कि इन आतंकी गिरोहों को उखाड़ फेंको पर पकिस्तान सुनता ही नहीं. उसकी इस आदत से अमरीका बात उठ रही है कि पकिस्तान को दोस्त माना जाय या दुश्मन. अमरीका और पकिस्तान ऐतिहासिक तौर पर दोस्त रहे हैं पर पकिस्तान उन आतंकियों को पनाह देने से बाज़ नहीं आ रहा है जो लोग अमरीकी फौज पर हमले कि योजना बनाते हैं. ट्रंप पकिस्तान कि इसी आदत से चिढ़े हुए हैं. ट्रंप के मूड का सूत्र पकड़ते हुए अमरीकी विदेश सचिव रेक्स टिलरसन ने मंगलवार को पकिस्तान को  चेतावनी दी कि “ यदि उसने अपना रवैय्या बदला तो हम उसके साथ काम करने को तैयार हैं और आतंकी संगठनों के हमलों से उसकी हिफाज़त भी करेंगे. इसके पहले ज़रूरी है कि वह शान्ति के हमारे प्रयासों को असफल करने में लगे संगठनों को ख़त्म करना शुरू करे.” आतंकियों को पनाह देने वाले अन्य राष्ट्रों को भी टिलरसन ने चेतवानी दी कि “ वे भी इससे बाज आ जाएँ, पकिस्तान तो हमारे निशाने पर है ही.” लेकिन अमरीका में पकिस्तान राजदूत एजाज अहमद चौधरी ने बुधवार को मीडिया से कहा कि राष्ट्रपति का यह कहना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि “दरअसल पकिस्तान ने तालिबान और हक्कानी गुट के खिलाफ जम कर कार्रवाई की है और उनके पैर उखड चुके हैं. पाकिस्तान ने उन आतंकियों के पनाहगाहों को भी नेस्तनाबूद किया है.” लेकिन जो ज़मीनी हकीक़त जानते हैं उन्हें मालोपोम है कि जो एजाज अहमद कह रहे हैं वह फ़क़त उत्तरपश्चिम पकिस्तान के पर्वतीय क्षेत्र   फाटा ( फेडरली  ऐडमिनीस्टरड ट्राइबल एरिया) में हो रहा है. यहाँ तालिबान के कुछ महफूज़ पनाहगाह हैं. ट्रंप कि बात से ज़ाहिर था कि अमरीका पकिस्तान कि खुफिया एजेंसी आई एस आई से भी नाराज़ है. उसने वर्षों से अपने क्षेत्रीय अजेंडा  को जारी रखा हुआ है. वह इस बात को स्थापित करना चाहता है कि काबुल में जो कुछ भी होता है वह भारत के इशारे पर होता है. यहाँ तक कि , आई एस आई का कहना है कि , अफगानिस्तान कि सरकार भी भारत के इशारे पर चलती है. अब विशेषज्ञों का मानना है कि आई एस आई दर असल उन सभी आतंकी गिरोहों, मसलन तालिबान , हक्कानी गुट , लश्करे तैयबा इत्यादि,  की  मदद करता है जिन्हें  अमरीका ने घोषित कर रखा है ताकि अफगानिस्तान और कश्मीर में उपद्रव कायम रहे. फिर भी अफगानिस्तान - पाकिस्तानी क्षेत्र तालिबान पर कार्रवाई के लिए इंटेलिजेंस हासिल करने के लिए अमरीका आई एस आई पर ही निर्भर है. वार्ता के लिए तालिबान को टेबल तक लेन के लिए भी अमरीका को आयो एस आई कि ही मदद लेनी होती है. यही नहीं आई एस आई की मदद अमरीका के लिए अपरिहार्य है. इसके माध्यम से वह पकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों पर नज़र रखता है. इसके अलावा रेडिओ सक्रीय वस्तुओं को आतंकियों के हाथों पड़ने से रोकने के लिए भी वाशिंगटन को आई एस आई की मदद चाहिए. ट्रंप के भाषण में एक और महत्वपूर्ण बात थी कि “ अब अफगानिस्तान में भारत की भूमिका बढ़ेगी खास कर आर्थिक क्षेत्र में.” पकिस्तान भारत को अपना नैतिक दुश्मन मानता है अतएव अफ्गानिस्तान  में भारत की  किसी  भी भूमिका  को पाकिस्तान अपने लिए ख़तरा मानेगा और बड़ी से बड़ी   आतंकवादी करवाई  कर सकता है. अफगानिस्तान में भारत कि भूमिका बढाने कि बात का पकिस्तान ने जम कर विरोध किया. अमरीका ने पाकिस्तान के खिलाफ बहुत बड़ी - बड़ी बात कही पर यह नहीं  बताया कि वह कारवाई क्या होगी , कैसे होगी या अमरीका किस तरह उसके आचरण को बदलेगा.

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