डोकलम का मसला सुलझा, हटने लगीं फौजें
लगभग 70 दिनों के बाद हिमालय में भारत चीन सीमा पर कायम गतिरोध समाप्त हो गया . भारत और चीन ने डोकलम से अपनी अपनी फौज हटाने का फैसला किया और फौजों का हटाना आरम्भ हो गया है. भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में नकहा गया है कि हाल के हफ़्तों में चीन ने डोकलम के सम्बन्ध में कूटनयिक वार्ता आरम्भ की और भारत ने अपना नज़रिया ज़ाहिर किया और अपनी चिंताएं तथा हितों को बता सका. इसी आधार पर डोकलम से फौज हटाने पर सहमती हुई और इसके बाद फुज हटाने का काम शुरू हो गया. चीनी विदेश मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि की है पर कहा है कि डोकलम इलाके में उसकी गश्त जारी रहेगी. चीन द्वारा दोमुहां बयान दिए जाने के बावजूद भारत का बयान दोनों देशो के बीच तनाव ख़तम होने की पहला संकेत है. डोकलम में चीन द्वारा सस्दक बनाने के औज़ार गिराए जाने के बाद से तनाव शुरू हो गया था. डोकलम को भूटान अपना क्षेत्र बताता है और चीन के यहाँ पहुँचने के बाद भारत ने वहाँ अपनी फौजें भेज दीं. चूँकि चीन भारत की इस कारवाई को अपने क्षेत्र में भारत द्वारा दखलंदाज़ी बताता है अतएव उसने भी फौजें उतार दीं. नयी दिल्ली में चीनी दूतावास द्वारा अगस्त में जारी एक बयान में कहा गया था कि “ यह सत्य है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत ने चीन की सीमा में प्रवेश किया. यह घटना उस इलाके में घटी जहाँ सीमा एकदम स्पष्ट है.” लेकिन भारत और भूटान का यह कहना था कि चीन भूटानी क्षेत्र में सड़क बनाना चाहते थे. जो थिम्पू और बीजिंग में में 1988 और 1998 में समझौते के विरुद्ध है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने जून में कहा की चीन की सड़क बनाने की कार्यवाई से भारत चिंतित है क्योंकि भारतीय सीमा पर कायम यथ्गा स्थिति बदल जायेगी जिससे वहाँ की सुरक्षा पर प्रभाव पडेगा. पिछले कुछ वर्षों में भारत और चीन में कई सीमा विवाद हुए पर डोकलम इनसे थोड़ा अलग था क्योकि इस बार इसमें भूटान भी जुदा था और भूटान की हिफाज़त के लिए खडा था. अब चूँकि चीन और भोतान में कूटनीतिक सम्बन्ध नहीं है इसलिए भारत यह भूमिका निभा रहा था. अब ऐसे में चीन का आरोप अवैध कहा जाएगा.
कई हफ़्तों से हफ़्तों से भारत सरकार कह रही थी वह इस मसले का कूटनीतिक हल करने में लगी है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गत 5 अगस्त संसद में कहा था कि “ युद्ध कभी भी किसी विवाद का समाधान नहीं हो सकता. बुद्धिमानी इसी में है कि समस्या का समाधान कूटनीतिक तौर पर किया जाय. हम वही कर रहे हैं. इसमें न केवल डोकलम पर विवाद ख़त्म करने पर बात हो रही है साथ कई और मसलों पर भी वार्ता हो रही है.” इसके बाद गृह मंत्री राज नाथ सिंह ने भी कहा था कि मामला जल्द सुलझ जाएगा.
अकसर ताल ठोकते रहने का आदि भारतीय मीडिया भी इसी विचार का समर्थन कर रहा था जबकि चीनी मीडिया तो शुरू से ही बाहें चढ़ाए था. वह 1962 की मिसाल दे दे कर कहा करता था की उसे सबक सिखाया जाएगा. पर वैसा हुआ नहीं. दोनों देशों में समझौता हो गया. दोनों देशों के प्रधानमन्त्री अब साफ़ दिल से बातें करेंगे. दोनों नेता अगले महीने के आरम्भ में चीन के सियामन में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मलेन में मिलेंगे. मोदी चीन आयेंगे ज़रूर पर दोनों देशों की समस्या एक दिन में थोड़े सुलझ जायेगी.पर यह हर्ष की बात है कि दुनिया की सबसे लम्बी साझा सीमा के एक हिस्से पर उठा विवाद - मसला शांति और सहमती से निपट गया किसी किस्म के हथियार का उपयोग नहीं हुआ. यह एक सकारात्मक पहल थी पर अब दोनों देशों को किसी सृजनात्मक समाधान की कोशिश करनी चाहिए न कि इस तरह के शक्ति प्रदर्शन के अवसर आने देना चाहिए.
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