राजनाथ की टिपण्णी से बौखलाया चीन
अभी पिछले हफ्ते कि भारत कि टिपण्णी से चीन कि बौखलाहट कायम ही थी कि गृह मंत्री राजनाथ सिंग कि टिपण्णी ने उसे और भड़का दिया. राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि चीन से जो डोकलम में त्यानातानी चल रही है वह जल्द ही ख़त्म हो जायेगी. इसके पहले रविवार को नयी दिल्ली में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि 15 अगस्त को चीनी सेना कि एक टुकड़ी अनाधिकृत तौर पर लद्दाख क्षेत्र में पैन्गोंग झील के समीप भारतीय सीमा में प्रवेश कर गयी थी और भारत कि ओर से इसका जम कर मुकाबला हुआ. कई स्थानों पर तो दोनों पक्षों में हाथापाई तक हो गयी. इससे दोनों पक्षों के सैनिकों को मामूली चोटें भी आयीं. इस घटना पर चीनी विदेश विभाग कि प्रवक्ता हुआ चुन्यिंग ने कहा कि पैन्गोंग झील के समीप वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी क्षेत्र में चीनी सेना अपनी सामान्य गश्त पर थी कि भारत की फ़ौज ने उसे रोका और इस क्रम में मारपीट भी हुई. इससे चीनी सेना के कुछ जवान भी घायल हो गए. प्रवक्ता ने कहा कि जो भारत ने किया उससे दोनों पक्षों में शांति के लिए हुई सहमति पर आघात लगेगा. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बात कि पुष्टि की है कि झगडा हुआ था पर कोई व्योरा नहीं दिया. इस मार पीट का विडियो भी जारी किया गया है जिसमें चीनी सैनिकों को मार खाते दिखाया गया है.
उधर सोमवार को भारत तिब्बत सीमा बल के एक जलसे में गृह मंत्री ने कहा कि अब भारत चीन समस्या जल्दी ही सुलझा ली जायेगी. जबकि यह दूर दूर तक नहीं दिख रहा है कि दोनों देश किसी गंभीर वार्ता में लगे हैं. उलटे दोनों में तनाव बढ़ रहा है.अभी मारपीट वाली बात दबी भी नहीं थी कि भारतात के वरिस्थ मंत्री के इस कथन से चीन बुरी तरह बौखला गया है. जबसे डोकलाम में हालात बिगड़े थे तबसे मोदी सरकार के किसी मंत्री या अफसर ने ऐसी बात नहीं कही थी. चीन कि बौखलाहट इस बात को लेकर और है कि पिछले दो हफ़्तों से तनाव और कटुता बढ़ रही है और भारत का एक मंत्री ऐसा आखिर किस बिना पर कह रहा है? पैन्गोंग कि घटना बिलकुल विचित्र थी और इससे निष्कर्ष निकलता है कि दोनों तरफ शांति नहीं है और इस बारे में जो दावे किये जा रहे हैं वह बिलकुल सच नहीं है. इसके अलावा यह जो कहा जाता है कि परमाणु युग के बाद पत्ता युग आएगा. अगर पैन्गोंग कि घटना का विडियो देखें तो दोनों परमाणु शस्त्र संपन्न राष्ट्र फौजें लाद्दख की बर्फ ढंकी चोटियों पर एक दूसरे पर पथराव करतीं दिख रहीं हैं. ऐसे मौके पर जब डोकलाम मे तनाव बना हुआ है , लद्दाख में दोनों तरफ कि फौजें हाथापाई कर रहीं हैं और तब एक कैबिनेट मंत्री का यह कि मामला ज़ल्द सुलझ जाएगा, काफी महत्वपूर्ण है और इसी से चीन कि बौखलाहट बढ़ गयी है. दोनों तरफ की फौजें तानी हुई हैं कोई भी अपनी तरफ से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. दोनों तरफ से प्रतिष्ठा का प्रश्न है. खास कर चीन कि तो नाक ही फँसी हुई है. किसी भी देश ने चीन के सामने ऐसा करने कजी हिम्मत नहीं दिखाई जैसा कि भारत फिलहाल कर रहा है. वियतनाम , जापान, अमरीका सबने चीन के भुजाएं फड़काने का विरोध किया था पर किसी ने आँख में आँख डालकर बातें नकारने का दम ख़म नहीं दिखाया था पर विगत 16 जून से भारत न केवल उसकी आँखों में आँखें डाल कर बात कर रहा है बल्कि खुल्लम खुला ताल ठोंक रहा है . जबकि डोकलाम का भारत चीन सीमा से कुछ लेना देना नहीं है यह एकदम चीन भूटान सीमा का मामला है. चीन ने कई चेतावनियाँ दीं , धमकियां दीं पर भारत पर कोई असर नहीं हुआ इससे दुनिया में उसकी जमकर आलोचना हुई. साथ ही दुनिया देख रही है कि भारत अपने लिए नहीं एक छोटे से अन्य देश कि तरफदारी में खडा है. ऐसे में आखिर वह कौन सा संकल्प है जिसके बारे में राजनाथ सिंह कह रहे हैं. चीन कि बौखलाहट का यही कारण है. हालांकि कूटनीतिक तौर पर उनकी इस सकारात्मक बात का स्वागत किया जाना चाहिए.
0 comments:
Post a Comment