पाकिस्तान की जमकर ठुकाई की जरूरत
जम्मू के शुंजवान में पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने सोमवार को भारतीय सेना के एक केंद्र और उनके पारिवारिक आवासों पर हमला कर 5 सैनिकों को मौत के घाट के उतार दिया और एक असैनिक को भी मार डाला। इस हमले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि" इसका मुंहतोड़ उत्तर दिया जाएगा।" लेकिन क्या ऐसा होगा?
नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जवाबी फायरिंग के बावजूद पाकिस्तान की गोलीबारी और मोर्टार से गोले दागना यहां तक कि एंटी टैंक मिसाइल से फायर करने की कार्रवाई नहीं बंद हुई है। वह लगातार भारतीय सेना के शिविरों पर तथा उनके आवासों पर गोलीबारी करने में लगा है साथ ही जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को भारत में घुसाने की कार्रवाई भी धीमी नहीं की है। पहले तो यह सब घाटी में हुआ करता था अब जम्मू में भी हो रहा है। अब जम्मू में भी भारतीय फौजी शिविर और उनके परिजन सुरक्षित नहीं हैं। भारत ने 29 सितंबर 2016 को पाकिस्तानी आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया था। लेकिन उसके बाद से ही पाकिस्तानी सेना ने युद्ध विराम का लगातार उल्लंघन करना शुरू कर दिया। भारतीय स्पेशल फोर्स द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक किए जाने पर पाकिस्तान की दुनिया भर में जो किरकिरी हुई उसको उसे देखते हुए पाकिस्तानी जनरलों ने दोहरी रणनीति अपनानी शुरू कर दी है। पाकिस्तानी सेना और रेजंर्स ने नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी बढ़ा दी है। साथ ही उसने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को कश्मीर घाटी में घुसाने की प्रक्रिया भी तेज कर दी है। भारतीय सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और जम्मू -कश्मीर पुलिस लगातार आतंकियों को मार रही है। पाकिस्तान के लिए ये मरे हुए आतंकी सस्ते माल हैं। आतंकियों के परिजनों को थोड़ा सा मुआवजा दे दिया जाता है और जमीन दे दी जाती है बस वे खुश हो जाते हैं। साथ में इस की देखादेखी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नए लड़के भी मिल जाते हैं। उन्हें थोड़ी बहुत ट्रेनिंग देकर भारत में भेज दिया जाता है, तयशुदा टार्गेटस पर हमला करने के लिए। पाकिस्तान का आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्र दुनिया में सबसे बड़ा है और बड़े आराम से काम करता है। आतंकियों को मारे जाने से पाकिस्तान को कोई फर्क नहीं पड़ता बशर्ते पाकिस्तानी सेना ,रेंजर्स और बॉर्डर एक्शन टीम के लोग नहीं मारे जाते हैं। ये काफी बर्बर हैं। ये भारतीय फौजियों को मारते हैं तो उनके सिर काट लेते हैं ,उनके शव को तहस नहस कर देते हैं । यही कारण है सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान को बहुत आघात लगा। क्योंकि जिस शिविर पर हमला किया गया उसमे पाकिस्तानी सेना के जवान बड़े मजे में सो रहे थे। उस समय कुछ लोगों ने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक गलत हुआ है ? लेकिन वह बिल्कुल सही हुआ था। इसके अलावा भी कुछ होना चाहिये था जो नहीं हुआ। होना चाहिए था कि ठीक इस हमले के बाद कायम अस्थायी शांति का लाभ उठाते हुये भारत को वार्ता शुरू कर दी जानी चाहिए थी। यहां यह बता देना जरूरी है कि पठानकोट हमले के बाद यानी 2 जनवरी 2016 के बाद से दोनों देशों के बीच वार्ता का क्रम बंद हो गया था। उस समय वार्ता की शुरुआत होती तो दोनों देशों के शांतिप्रिय लोग इसका स्वागत करते। पाकिस्तान की सरकार भी इसमें शामिल होती है क्योंकि वह तो चाहती है कि बातचीत भी चलती रहे और आतंकवाद चलता भी चलता रहे। भारत से बातचीत को पाकिस्तान सम्मान का मुलम्मा लगा देता और पाकिस्तान की सियासत तथा समाज पर सेना का वर्चस्व कायम रहता दूसरी तरफ वह आतंकवाद के लिए बढ़ावा देती रहती। रावलपिंडी में बैठे जनरल चाहते हैं कि भारत से बातचीत चलती रहे और अगर वार्ता भंग होती है तो आतंकवाद चलता रहेगा। रुक रुक कर चलती हुई बातचीत पाकिस्तान को माफिक आती है। भारत के पास एक और विकल्प था कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर जबरदस्त हमला करता और अपनी ताकत को स्थापित कर देता। लेकिन भारत सरकार इस विकल्प को भी नहीं अपना सकी। इसका नतीजा सही नहीं हो सका। क्योंकि , पाकिस्तान चाहता है हल्की-फुल्की लड़ाई और भारतीय सैन्य शिविर पर हमले और उसके परिणाम स्वरुप कुछ सैनिकों की मौत उसके लिए आसान जंग है और तदर्थ जवाबी कार्रवाई कुछ ऐसी है जिसकी बात अक्सर हमारे गृह मंत्री करते हैं उनको अक्सर सुना जाता है कि "पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देंगे " ,लेकिन यह बेअसर होता जा रहा है । घोषित युद्ध ना होते हुए भी युद्ध पिछले 18 महीनों चल रहा है। इसमें पाकिस्तानी गोलीबारी और आतंकी हमलों में भारत के 80 जवान शहीद हुए है। अघोषित युद्ध प्रति कार्रवाई नहीं है। पाकिस्तान पर दबाव बनाने और हिंसा रोकने के लिये दिल्ली में पूर्णरूपेण पाकिस्तानी हाई कमीशन एक तरह से आईएसआई के एजेंटों का अड्डा है और यह भारतीय राजनीतिज्ञों ,अफसरों ,पत्रकारों तथा अवकाशप्राप्त सेना अधिकारियों को और एन जी ओ के कार्यकर्ताओं को भ्रष्ट करते हैं या फिर विभिन्न तरीकों से उन्हें विचलित करते हैं। यही नहीं पाकिस्तान के साथ तिजारत ही बंद कर देनी चाहिए और उसको दिया हुआ "मोस्ट फेवर्ड नेशन" का दर्जा रद्द कर दिया जाना चाहिए । एक ऐसा देश जो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और भारत जैसा देश उसे बर्दाश्त कर रहा है तब भी कोई इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ भी लगाई जाए जिसमें बिजली दौड़ती रहे तथा सेना के शिविर के आसपास सेंसर लगाए जाएं। कंटीले तारों की बाड़ तो पठानकोट हमले के बाद ही यानी 2 साल पहले लगाई जाने वाली थी पर अब जाकर कहीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि 1,487 करोड़ रुपयों की लागत से बाड़ लगायी जायेगी। इस अघोषित युद्ध में भारतीय सेना के कई जवान शहीद हुए हैं। भारत को भी चाहिए कि पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों पर हमला कर उन्हें तहस-नहस कर दे। ध्यान रहे, भारत के पास भी परमाणु बम है और पाकिस्तान के पास तो यह मात्र छद्म है ,मात्र छद्म। कुल मिलाकर जवाबी कार्रवाई काम नहीं कर रही है, बातचीत हो नहीं रही है क्योंकि वह इसके अलावा आतंकवाद को भी बढ़ावा देना चाहता है इसलिए सीमा पर कटीले तारों की बाड़, जिसमें हाई वोल्टेज करंट दौड़ता रहे या जम कर उसकी ठुकाई की जाय , इसके सिवा और कोई विकल्प नहीं है भारत के पास।
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