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Sunday, February 18, 2018

कांग्रेस को मिला झुनझुना

कांग्रेस को मिला झुनझुना

मुंबई की पंजाब नेशनल बैंक की एक शाखा से 11,308  करोड़ रुपयों की धोखाधड़ी ने देश को सकते में डाल दिया है। यह देश की अब तक की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी है । साथ ही  यह बताती है कि हीरा उद्योग में कितनी बड़ी गड़बड़ी चल रही है। जबकि, भारत विश्व हीरा उद्योग का एक छोटा सा हिस्सा है । यह बड़ा अजीब लगता है कि भारत में हीरे पर जो टैक्स लगाया जाता है वह पॉलिश किए हुए हीरे पर होता है और कारोबार पर होता है न कि मुनाफे पर । अब ये शातिर व्यापारी   निर्यात को बढ़ा चढ़ा कर दिखाते हैं  और इससे जो लाभ होता है वह दूसरे उद्योगों या कारोबार   में डाल देते हैं ।  खासकर रियल स्टेट में यह रुपया चला जाता है, हीरा व्यापार में रहता नहीं है कि कारोबार में दिखे। 

  यू पी ए -2 सरकार ने 2011 में इस पर नकेल कसने की कोशिश की थी।  शातिर भारतीय हीरा व्यापारियों ने उस वर्ष   28. 22 अरब डॉलर का दिखाया था जबकि दुनिया भर में 2010 में हीरो का कारोबार 18.2 अरब डॉलर था । सरकार ने 2011 में इस पर 2% छूट की योजना लागू कर दी । नतीजा हुआ इससे ड्यूटी प्रभावित हुई और हीरा का कारोबार खासकर के निर्यात कारोबार गिरने लगा। यह 20 अरब डालर से घटकर 5.8 अरब डॉलर हो गया।    

  इस तरह के कारोबार  में निर्यात के नाम पर लाभ की राउंड ट्रिपिंग होती है। यहां राउंड ट्रिपिंग को समझना थोड़ा जरूरी है । यह विदेशों में कमाया धन होता है और भारतीय कंपनियों में और भारतीय कारोबार में लगाए जाने के नाम पर विदेश से आता है । पंजाब नेशनल बैंक  वाले मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा। अभी यह तो जांच का विषय है । यह मसला पिछले 5 वर्षों से चल रहा था और अब जाकर फूटा है । इस घोटाले को देख कर लगता है भारतीय बैंकिंग प्रणाली में जो सड़न  वर्षो से कायम थी वह अभी भी कायम है और बड़े लोग इसका लाभ उठा रहे हैं। विजय माल्या का मामला अभी लोगों के मन में ताजा ही था  कि पंजाब नेशनल बैंक  का यह भांडा फूट गया। यह सोचने वाली बात है कि देश में होने वाले जितने भी बैंक घोटाले हैं उनका 83 प्रतिशत सरकारी बैंकों में है होता है।  सरकार इस पर नकेल कसने के लिए कुछ नहीं कर पाती है । गरीब करदाताओं का पैसा इसी तरह लुटता रहता है। जब बैंक घाटे में आते हैं तुम के लिए अलग से कोष  बनाए जाते हैं । आज के  इन बैंक घोटालेबाजों ने हर्षद मेहता से सबक सीखी है। लगभग 20 वर्ष पहले हर्षद मेहता ने  इसी तरह का घोटाला किया था लेकिन पकड़ा गया क्योंकि वह देश में ही था, जबकि विजय माल्या जैसे घोटालेबाज हाल के पंजाब नेशनल बैंक मामले का हीरो नीरव मोदी विदेश में आराम कर रहे हैं और सरकार की पकड़ से बाहर है।     

     यह जो घोटाला हुआ है उसे देखकर यह प्रबल संभावना है कि  पंजाब नेशनल बैंक  की अन्य शाखाओं में  भी कुछ हुआ होगा जिसकी अभी खबर आनी बाकी है सरकार ने सभी बैंकों से कहा है इस मामले से संबंधित रिपोर्ट इस हफ्ते के अंत तक भेजें। इसका मतलब है कि कहीं ना कहीं सड़ांध की दुर्गंध आ रही है। बैंक अधिकारियों  की मिलीभगत से कारोबारी इस तरह के घोटाले बड़े आराम से कर सकते हैं। यह लघु अवधि के क्रेडिट के नाम पर पहला कदम आगे बढ़ाते हैं जैसे  नीरव मोदी ने शुरू किया। मोदी ने  लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के आधार पर यह शुरू किया। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग किसी भी अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय बैंक द्वारा जारी किया जा सकता है। इस लेटर के आधार पर बैंक 90 से 120 दिन के लिए कंपनियों को कर्ज देता है और यह रुपया कंपनियां दुनिया के किसी भाग से निकाल सकती हैं। इस तरह के धंधे आमतौर पर निर्यात  आधारित कंपनियां करती हैं। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग स्थानीय बैंक द्वारा लेटर ऑफ कंफर्ट के आधार पर जारी होता है। यह लेटर ऑफ कंफर्ट स्थानीय बैंक देते हैं। 2001 में केतन पारेख ने माधवपुरा मर्केंटाइल को ऑपरेटिव  बैंक से इंटर बैंक क्रेडिट ऑर्डर लिया था और इसे मुंबई स्टॉक एक्सचेंज के बैंक ऑफ इंडिया शाखा भुना लिया था। सीबीआई की एफ आई आर के अनुसार नीरव मोदी के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। क्योंकि, मोदी को जिन कंपनियों को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग दिया गया था उन कंपनियों के खाते खाली हैं। इस मामले में जो सबसे महत्वपूर्ण तथ्य दिखाई पड़ रहा है वह है समय का।  लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के जरिए जारी कर्ज  लघु अवधि के लिए होता है लेकिन पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारी नहीं बता पा रहे हैं या फिर उन्होंने एक अज्ञात अवधि तक इस मामले को क्यों लटका कर रखा था। यही नहीं   नीरव मोदी ने लघु अवधि के इंटरबैंक इतने चैनल्स कैसे खोले हैं। 

 दरअसल आम आदमी इस तरह के घोटालों ताने बाने को समझता नहीं है। केवल सुनी सुनाई बात पर निर्णय करता है और उसी पर कहानी आगे बढ़ती है । अब यह मसला मोदी सरकार के लिए भी वैसा ही हो सकता है। चुनाव सिर पर हैं और नीरव मोदी के इस मामले को कांग्रेस बखूबी भुना सकती है। इस घोटाले का राजनीतिक प्रभाव पता नहीं क्या होगा। लेकिन भारत जैसे देश में जहां सुनी सुनाई बातों पर 2जी घोटाले में अदालतें फैसले दे सकती हैं और लोगों को जेल भेजा जा सकता है वहां इतना बड़ा घोटाला क्या राजनीतिक रंग लाएगा यह तो आने वाला समय बताएगा।

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