बड़ाबाजार के जरिये आई एस आई भेजता है कश्मीरी आतंकियों को धन
कमांड भी ग्राउंड जीरो तक पहुंचता है बरास्ते कोलकाता
हरिराम पाण्डेय
कोलकाता : फौज और खुफिया विभाग की हर कोशिश के बावजूद कश्मीर में उपद्रव बढ़ता जा रहा है। ना धन की आमद कम हो रही है और ना ग्राउंड जीरो पर कमांड का अभाव हो रहा है। बंगलादेश के शीर्ष खुफिया एजेंसी एन एस आई के एक उच्चाधिकारी के अनुसार इसका " क्लू " कोलकाता में है। उक्त अधिकारी ने इंटरनेट प्रोटोकोल पर सन्मार्ग से लम्बी बातचीत में बताया कि बंगलादेश के कट्टरपंथी संगठनों को पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आई एस आई सोना भेजती है। इस सोने को विशेष कूरियर के जरिये कोलकाता भेजा जाता हैं। पुलिस और निगरानी संस्थाओं की आंखों में धूल झोंकने की गरज से देश में घुसते ही यह सोना ऐसे लोगों को सौंप दिया जाता है जो जो बंगाली या बंगलादेशी ना दिखें। वे पहले से ही आई एस आई द्वारा निर्देशित होते हैं। आम तौर पर इन दिनों तमिल और कन्नड़ युवकों का उपयोग किया जा रहा है। ये लोग सोना बड़ा बाजार लाते हैं। यहां बड़ा बाजार के " कंक्रीट के जंगलों " की तरह बने मकानों में खास किस्म की भठ्ठी लगी है , जिसमें उस सोने को तत्काल डाल दिया जाता है। पिघल कर उसका स्वरूप बदल जाता है। वह एक ब्लॉक की शक्ल का हो जाता है। इस गोल्ड ब्लॉक को आई एस आई के निर्देश के अनुसार बढ़ा बाजार के " कुछ खास " सुनारों को दे दिया जाता है। अभी लगभग दो हफ्ते पहले ढाका एयरपोर्ट के समीप सोने के साथ गिरफ्तार एक युवक ने कोलकाता के उन " कुछ खास " सुनारों में से 6 - 7 लोगों के नाम बताया है। हैरान करने वाली बात है कि सब के सब बड़ाबाजार के ही हैं।
इस तरह आये हुये सोने की कीमत बाजार की कीमत से कम से कम 30 प्रतिशत कम होती है और कुलमिला कर उन्हें लगभग 40 प्रतिशत कम दाम पर सोना मिलता है। अब यह कैश इलाहाबाद, मेरठ, पठानकोट और जोधपुर में हवाला के जरिये ट्रांसफर कर देते हैं। यहां से कैश कश्मीर में पूर्व निर्देशित आदमी को पहुंचा दिया जाता है।
कैसे पहुंचता है निर्देश
निर्देश का बड़ा ही क्लिष्ट नेटवर्क है। इस्लामाबाद से सीधा कोलकाता संदेश आता है। यहां पूर्व कोलकाता की बस्तियों में छोटे-छोटे ट्रांसमिशन सेंटर बनाये गये हैं। इन सेंटर्स पर सीधा इस्लामाबाद से " वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोंटोकोल " पर कॉल आती है। उस कॉल में नम्बर बताया जाता है। अब उस कॉल को यहां " जी एस एम टर्मिनेशन डिवाइस " नाम के एक डवाइस के जरिये साधारण गेबाइल कॉल में बदलकर बताये गये नम्बर से जोड़ दिया जाता है। लगता है यह देश के किसी नम्बर से फोन आया है। चूंकि " जी एस एम टर्मिनेशन डिवाइस " में जोड़े जाने के कारण आवाज की वेव लेंथ बहुत कम हो जाती है अतएव उसकी मॉनिटरिंग कठिन हो जाती है। अगर मॉनिटरिंग कभी हो भी जाय तो सुनने में एक दम सात्विक किस्म की बात लगती है। मसलन, " यार कोई पार्टी वार्टी नहीं दे रहे हो। चार वर्ष हो गये। एक जलसा लगाओ , यारों को बुलाओ सब यार बैठ कर मौज करेंगे। " यानी कोई एक्शन हुये चार हफ्ते हो गये। कोई एक्शन करो। पैसा भेजा जा चुका है। देखने सुनने में लगेगा कि यह बात कोलकाता से मेरठ या किसी अन्य शहर के किसी दोस्त से हो रही है। उस आदमी को मालूम है कि यह रिकार्डेड संदेश कश्मीर के किस हिस्से में किसे देना है यानी टार्गेट रिसीवर कौन है, कहां है। अगले 48 घंटों में यह संदेश उस टार्गेट रिसीवर तक पहुंच जाता है। रुपयों के साथ भी ऐसा ही होता है।
आई एस आई की इस कारगुजारी से ना केवल कश्मीर जल रहा है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा बढ़ता जा रहा है। खालिदा जिया के जेल जाने के बाद बंगलादेश की हालत बहुत तेजी से बिगड़ रही है, कभी भी कुछ हो सकता है।
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