मानसून बाद बंगाल सहित देश भर में भारी दंगे की आशंका
राज्य के ईंट भट्ठे बन रहे हैं आतंकियों के ट्रेनिंग सेंटर ,जे एम बी ने तैयार किया है नेटवर्क
हरिराम पाण्डेय
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में एक बार फिर 1946 की तरह साम्प्रदायिक विद्वेष फैला कर भारी पैमाने पर लोगों के जान माल को नुकसान पहुंचा कर देश भर में अपना उल्लू सीधा करने की साजिश आरंभ हो चुकी है।
पिछले चार वर्षों से स्थानीय नेताओं और पुलिस के कुछ अफसरों के सहयोग से इसका नेटवर्क बुना जा रहा है। अब जबकि नेटवर्क तैयार हो चुका है तो जमातुल मुजाहिदीन बंगलादेश ( जे एम बी ) के बड़े नेता केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के कुछ अफसरों से मिलकर इसे कार्यरूप देने में जुटे हैं। यहां राजनयिक सूत्रों के अनुसार पिछले साल अक्टूबर से अबतक एक केंद्रीय एजेंसी और जे एम बी के पांच शीर्ष नेताओं की दो बार बैठक हो चुकी है। यह बैठक केंद्र सरकार की जानकारी में हुई है या नहीं यह तो अभी पता नहीं चल पाया है पर दोनों सूरतों में यह बंगाल की जनता के लिये बेहद खतरनाक है।
क्या है योजना
जबसे कट्टर पाकिस्तान समर्थक खालिदा जिया को जेल की सजा हुई है तबसे बंगलादेश की स्थिति बहुत तेजी से बिगड़ती जा रही है। जल्द ही वहां पर उपद्रव भड़कने वाला है। प्रधान मंत्री शेख हसीना वाजिद के जान को भी खतरा है। चूंकि ढाका की वर्तमान सरकार हिंदुओं के प्रति उदारता बरत रही है इसलिये कट्टरपंथियों के निशाने पर वहां के हिंदू होंगे। जब उन पर जुल्म शुरू होगा तो 1971 की तरह वे भारत का, खासकर बंगाल, का रुख करेंगे। यहां पहले से तैयार कट्टरपंथियों की जमात उसी समय बलवा शुरू कर देगी। धार्मिक केंद्रों पर भी हमलों की तैयारी है। इससे देश भर में साम्प्रदायिक हिंसा का माहौल पैदा हो जायेगा। राजनियकों का कहना है कि इस बिगड़े माहौल से केंद्र सरकार के एजेंडे को चुनाव में सहायता मिल सकती है इसलिये उसने सुरक्षा एजेंसियों को चुप रहने का संकेत दिया है।
कैसे जमा हो रहे हैं आतंकी
सूत्रों के मुताबिक बंगाल में लगभग 3500 गैर सरकारी ईंट भट्ठे हैं। इनमें से अधिकांश पर एक खास सम्प्रदाय का कब्जा है। इन भट्ठों में समन्वित रूप से लगभग 5 लाख लोग काम करते हैं जिनमें जिनमें 20 प्रतिशत झारखंड से आये मजदूर होते हैं और बाकी 80 प्रतिशत बंगला देशी। यानी मोटेतौर पर चार लाख बंगलादेशी यहां काम करते हैं। ईट भट्ठे वाले भी इन्हें ही प्राथमिकता देते हैं क्योंकि ना ये काम के घंटे की बात करेंगे और वेतन बोनस यहां तक कि किसी तरह किसी की मृत्यु भी हो गयी तो कोई कुछ नहीं कहेगा , क्योंकि सब अवैध हैं। यथास्थिति बनाये रखने के लिये प्रशासन और स्थानीय नेताओं की जबान और आंख चांदी कने जूतों से बंद कर दी जाती है। जुलाई से सितम्बर के बीच बरसात में जब भट्ठे बंद हो जाते हैं इनमें से लगभग आधे मजदूर अपने- अपने घर लौट जाते हैं और बाकी यहीं रुके होते हैं। यही बाकी बचे मजदूर आतंकियों द्वारा तैयार किये जाते हैं। इन्हें बम- विस्फोटक बनाने- लगाने और इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग इत्यादि दी जाती है और क्योंकि इस अवधि में उनके खाने पीने और अन्य सामानों का खर्च आतंकी संगठन ही उठाते हैं। राजनयिक सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान से भी आतंकी यहां आकर पनाह लेते हैं और फिर देश भर में फैल जाते हैं। यह एकदम सुरक्षित तरीका है जो प्रशासन एवं नेताओं की छत्रछाया में चल रहा हे।ये भट्ठे एक तरह से आतंकियों की पनाह बन चुके हैं। यहां हथियारों का भंडार जमा किया जा रहा है। इस वर्ष अक्टूबर के बाद होने वाले दंगों में इन्हीं तैयार किये गये आतंकियों का उपयोग किये जाने की योजना है।
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