CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Wednesday, March 14, 2018

जाना स्टीफन हॉकिंग का 

जाना स्टीफन हॉकिंग का 

बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया
  
महान वैज्ञानिकों के हंसी का नजरिया या कहें कि "सेंस ऑफ ह्यूमर" बहुत मजेदार होता है। रिचर्ड फाइनमेन का नाम बहुतों ने सुना होगा। एक असाधारण वैज्ञानिक , नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड निहायत हंसोड़ आदमी थे। लेकिन स्टीफन हाकिंग के समकक्ष नहीं थे। हॉकिंग कभी जिद्दी और कभी खुद ब खुद हंसी पैदा कर देने वाले इंसान लगते थे। अगर आप में से किसी ने हॉकिंग के पास पहुंचने की खुशकिस्मती पाई होगी तो मालूम होगा हॉकिंग गैरजरूरी सवालों का जवाब नहीं देते थे बल्कि पूछने वाले के पैरों पर से व्हीलचेयर का चक्का  गुजार देते थे और हंसने लगते थे। इसका मतलब है कि आपका सवाल गैर जरूरी है और बकवास है। आप अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। हॉकिंग दुनिया के पहले आदमी थे जिन्होंने ज्ञान की ऊंचाई को हासिल करने के बाद भी अपनी अपंगता का मजाक उड़ाना बंद नहीं किया था।  एक बार उनके सहायक रोगर फेनरोज ने ,जिनके साथ हॉकिंग ने  मैथमेटिकल सिंगुलैरिटी  बड़ा काम किया था, उनका परिचय कराते हुए कहा था , " हॉकिंग जल्दी ही पिता(एक नई खोज की है) बने हैं , यानी हॉकिंग लकवाग्रस्त हैं , शारीरिक रूप रूप से अशक्त हैं तब भी उनके शरीर का एक हिस्सा- मस्तिष्क-  कारगर है।" उनके बारे में टीवी सीरियल्स में हंसी के कई किस्से मशहूर हैं। ये बताते हैं कि वह अपनी शारीरिक बाध्यता के बावजूद गजब के हंसोड़ थे और हंसने में कभी शरमाते नहीं थे । बस उनकी एक शर्त थी चुटकुले या जोक्स एकदम स्मार्ट होने चाहिए, वरना वे अपना मशहूर तरीका आपके पैर पर से व्हीलचेयर का चक्का गुजारने से चूकते नहीं थे। हॉकिग एकाकी या कहें सिंगुलैरिटी के प्रबल समर्थक थे।  उनका मानना था कि ब्रह्मांड बिग बैंग से बना है। बिग बैंग से ही अंतरिक्ष, समय और पदार्थ का निर्माण हुआ है। उनकी पुस्तक "द स्टोरी ऑफ टाइम" बहुत मशहूर हुई थी। उस पुस्तक में हॉकिंग्स लिखते हैं कि एक बार वेटिकन में ईसाईयों ने कॉस्मोलॉजी सम्मेलन का आयोजन किया था।  उसमें पोप के भाषण को उन्होंने उद्धृत किया गया है- "बिग बैंग को हमने नहीं देखा है ना उसकी जांच की है यानी यह ईश्वर की रचना है। विश्व या ब्रह्मांड को ईश्वर ने बनाया है।" इस पर लिखते हैं " काल और स्थान निश्चित लेकिन उनकी कोई सीमा नहीं है । इसका मतलब है कि इसका आदि या इसका अंत नहीं है । मैं गैलीलियो जैसा अंत नहीं चाहता। यह संयोग ही है कि उनकी मौत के 300 साल बाद मैं पैदा हुआ था।" हॉकिंग ने  अपने चुटीले अंदाज में बहुत कुछ कह दिया। यहां तक कह दिया कि ब्रह्मांड की कोई रचना नहीं हुई है ना उसका  आदि  है ना अंत है और आखिर में यह भी कह दिया कि वे गैलीलियो जैसा अंत नहीं चाहते।" यानी उनका व्यंग्य संगठित धर्म पर था। 
     हॉकिंग से एक बड़ी सबक यह सीखने को मिलती है की अगर आप विज्ञान से जुड़े स्त्री या पुरुष हैं तो आपमें हंसने की ताकत भी होनी चाहिए और हंसाने की भी। कुछ साल पहले हॉकिंग दिल्ली आए थे। उनसे कई लोगों ने ज्योतिष पर सवाल पूछे। यह कहना जरूरी नहीं है कि उस समय हॉकिंग कई लोगों के पैर पर से अपने व्हीलचेयर का चक्का गुजारना चाहते थे लेकिन उन्होंने बड़े चुटीले अंदाज में कहा  खास करके भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि "दुनिया का सबसे बड़ा कॉस्मोलॉजिस्ट लगता है हमारे पड़ोसी ज्योतिषी हैं ।बहुत से भारतीय ज्योति विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान में फर्क नहीं समझते। ज्योति विज्ञान पर स्टीफन हॉकिंग्स ने जो काम किया है वह आइंस्टीन के "थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और क्वांटम मैकेनिक्स" को समबद्ध  करता है। इसके प्रकाश में हमारे देश  की विज्ञान बुद्धि या कहें कि "साइंटिफिक टेंपरामेंट" को क्या कहा जाएगा। अगर यह सवाल हाकिंग्स से पूछा जाता है तो वे जोर से हंस देते। क्योंकि, इस देश में एक राजनीतिज्ञ कहता है कि किसी ने बंदरों को आदमी बनते नहीं देखा है इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि हमारे पूर्वज बंदर थे। एक और राजनीति को कहते हुए सुना गया है हमारे ज्योतिष नासा के वैज्ञानिकों से ज़्यादा जानकार हैं। यही नहीं एक और राजनीतिज्ञ कहते हैं गाय ही दुनिया में कैसी पशु है जो ऑक्सीजन लेती भी है और छोड़ती भी है। भारत में बहुत से ऐसे लोग मिल जाएंगे जो इन सब बातों पर भरोसा करते हैं। लेकिन बात यहां एक वैज्ञानिक हो रही है। स्टीफन हॉकिंग इस युग के बहुत बड़ी मेधा थे। उन्होंने इस ब्रह्मांड को समझने के लिए हमें जो कुछ भी दिया है वह हमारे रोजाना पाठ की वस्तु है।  उन्होंने ही ब्लैक होल जैसे जुमले को दुनिया को बताया। स्टीफन हॉकिंग की खोज से आइंस्टीन भी चकित हो जाते (यदि वह उस समय होते) क्योंकि , हॉकिंग ने थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और क्वांटम मैकेनिक्स को संबंधित किया था जो संभवत 20 वीं सदी में भौतिक शास्त्र की सबसे बड़ी बौद्धिक गवेषणा थी । ब्रिटिश भौतिकशास्त्री रॉगर पेनरोस और स्टीफन हॉकिंग की विज्ञान तथा दर्शनशास्त्र पर बातचीत विज्ञान प्रेमियों को चकित कर देने वाली है। यह बातचीत एक पुस्तक के रूप में "द नेचर ऑफ स्पेस एंड टाइम " के नाम से प्रकाशित हुई है।  पिछली शताब्दी के आरंभ में क्वांटम फिजिक्स  न्यूटन की भौतिकी पर भारी पड़ रही थी, खास करके ब्रम्हांड को विश्लेषित करने में । आइंस्टीन और नील्स बोर में भी कुछ ऐसे ही विषयों पर बातें हुआ करती थीं, जो हॉकिंग और रोगर में हुआ करती थीं। 
  हॉकिंग 21 वर्ष की उम्र में ही तब मर चुके थे जब उन्हें डॉक्टरों ने ए एल एस के कारण बायोलॉजिकली मृत घोषित कर दिया था। पर हाकिंग इस घोषणा के पचपन वर्षों के बाद तक जीवित रहे और  76 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ। इसलिए डॉक्टर हाकिंग के लिए किसी किस्म की श्रद्धांजलि नहीं जरूरी है। जरूरी है उनकी तरह आत्मविश्वास पैदा करने की और चेतना को जगने की।

हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है तब कहीं चमन में होता है कोई  दीदवर पैदा

0 comments: