"आपको अपनी ऊंचाई मुबारक"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर एक लंबा धन्यवाद प्रस्ताव प्रेषित किया। धन्यवाद प्रस्ताव में कई ऐसे बिंदु थे जिसमें देश की अतीत की राजनीतिक दशा ,वर्तमान की राजनीतिक स्थिति और भविष्य की योजनाओं का रेखाचित्र परिलक्षित हो रहा था। मोदी ने कहा कि कई दशकों के बाद देश ने एक ऐसी सरकार को चुना है जिसे पहले से ज्यादा जनादेश प्राप्त है और यह चुनाव जनता ने पूरी तरह जांच करके ,ठोक बजाकर के किया है। उन्होंने कहा हो सकता है इसके पहले वाले चुनाव में किन्ही कारणों से विजय मिल गई हो लेकिन बाद के चुनाव में जनता ने जो कुछ भी किया हुआ पूरी तरह सोच समझकर निर्णय किया और तब ईवीएम का बटन दबाया। इसके पूर्व सोमवार को "ओडिशा के मोदी" कहे जाने वाले प्रताप सारंगी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत की थी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब तक देश में जितने भी महापुरुष हुए हैं सबने आखरी छोर पर बैठे लोगों के भले की बात कही है। पिछले 5 वर्षों में हमारी सरकार यही कोशिश की है और हमारा प्रयास रहा है कि जिसका कोई नहीं उसकी सरकार है।
मोदी जी ने अपने धन्यवाद प्रस्ताव में एक बात गंभीर बात कही उन्होंने कहा कि सब अधिकार की बात करते हैं अधिकार लेने और अधिकार देने की, लेकिन हमारा प्रयास है कि हम कर्तव्य की बात करें। अधिकार तभी जायज है जब वह कर्तव्य से जुड़े हैं। यकीनन हर देशवासी का कर्तव्य होता है कि वह अपनी सार्थकता को स्पष्ट करें तथा अपने कर्तव्य का पालन करें। मोदी जी ने कहा कि पहले जनता के मन में सवाल उठता था की सरकार क्यों नहीं करती लेकिन अब सवाल उठता है कि सरकार क्यों करें, क्यों कर रही है । उन्होंने कहा कि देश में कर्तव्य का भाव जगाने की जरूरत है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन की बात को उद्धृत किया। उन्होंने कहा कि 1942 से 1947 तक सारा देश बापू की बात पर कायम था। हर काम आजादी की लड़ाई में बदल जाता था। देश का हर व्यक्ति किसी न किसी कोने से आजादी का सिपाही बना हुआ था। इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि देश की जनता एक वक्त का खाना बंद कर दे और सारा देश इस बात पर अमल करने लगा। उन्होंने बड़े हल्के तौर पर यह भी जिक्र किया मैंने देश से अपील की कि वह गैस की सब्सिडी छोड़ दे और देश ने छोड़ दिया। उनके कहने का मतलब था कि देश का हर नागरिक कर्तव्य पालन के लिए तैयार है सरकार उसको कुछ कहे तो सही। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर तंज किया और कहा कि कांग्रेस कहती है कि उनकी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता। हम किसी की लकीर को छोटी करने में विश्वास नहीं करते बल्कि अपने लकीर बड़ी कर देते हैं। आपको ऊंचाई मुबारक हो। आप इतने ऊंचे चले गए हैं आप को जमीन नहीं दिखती। जमीन वाले तुच्छ दिखते हैं। हमारा सपना जड़ों से जुड़ने का है हम ऊंचाई की स्पर्धा में कहीं नहीं हैं।
प्रधानमंत्री ने 2004 से 14 के वक्त का जिक्र करते हुए कहा कि कभी भी कांग्रेस की सरकार ने दूसरे की तारीफ नहीं की। इसने कभी अटल बिहारी वाजपई या नरसिम्हा राव या मनमोहन सिंह की तारीफ तो नाम तक नहीं लिया। लेकिन मैंने लाल किले की प्राचीर से कहा इस देश की अब तक की सारी सरकारों ने देश को आगे ले जाने का काम किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम किसी के योगदान को नकारते नहीं है। जब हम देश की 130 करोड़ की आबादी की बात करते हैं तो इसमें सब शामिल होते हैं । प्रधानमंत्री ने फिर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस को कई बार अच्छे मौके मिले हैं लेकिन उसने उन मौकों को गंवा दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली बार यूनिफॉर्म सिविल कोड का मौका मिला था लेकिन कांग्रेस ने गंवा दिया। इसके बाद फिर शाहबानो का मौका मिला था उसे भी उसने गवां दिया। शाहबानो का मामला जब चल रहा था तो कांग्रेस के एक मंत्री ने कहा था कि "मुसलमानों के उत्थान की जिम्मेदारी कांग्रेस की नहीं है अगर वह गटर में जीना चाहे तो जी सकते हैं।" जब कांग्रेस की ओर से इस पर सवाल उठाया गया कि मंत्री ने ऐसा कहा है तो मोदी जी ने हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा की वह यूट्यूब पर इसकी कड़ी भेज देंगे। मोदी जी ने आपात स्थिति को लेकर कांग्रेस को जमकर खींचा। उन्होंने कहा" 25 जून की रात देश की आत्मा को कुचल दिया गया था। संपूर्ण देश को कैद खाना बना दिया गया था। उद्देश्य था किसने कि सत्ता बनी रहे। न्याय पालिका को चंगुल में ले लिया गया था। मोदी जी ने कहा कि हम आपातकाल को याद करते रहेंगे ताकि कोई दोबारा ऐसा ना कर सके।"
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने "मेक इन इंडिया" का जिक्र करते हुए कहा कि इस का मजाक उड़ाने से देश का भला नहीं हो पाएगा। मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है। हमारा सपना नया भारत बनाने का है और इसके लिए मेक इन इंडिया जरूरी है। प्रधानमंत्री ने बाबासाहेब आंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में पानी के संबंध में जितने भी कदम उठाए गए हैं या जितनी भी पहल की गई है वह सब बाबासाहेब अंबेडकर ने किए हैं । उन्होंने जल संचय पर बल देने की अपील की और कहा कि अगर जल संचय नहीं किया जाएगा तो जल संकट बढ़ता जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार सरोवर बांध सरदार पटेल का सपना था लेकिन उसके में काम में देरी होती रही और गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मुझे इस परियोजना के लिए उपवास तक करना पड़ा। आज लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में देश की प्राथमिकताओं का खाका खींचा। देश की आकांक्षा को पूरा करने के लिए हम हर चुनौती और बाधा को पार कर सकते हैं। हमने जो दिशा पकड़ी है कठिनाइयों के बावजूद उसे छोड़ा नहीं। हम अपने मकसद पर अड़े रहेंगे। इस मौके पर अपनी जिजीविषा का और अपने साहस का परिचय देते हुए प्रधानमंत्री ने एक शेर कहा:
जब हौसला कर लिया है ऊंची उड़ान का
तो कद क्या देखना है आसमान का
अपने विशेष अंदाज में प्रधानमंत्री ने लोकसभा में जो भाषण दिया वह भाषण सचमुच आकर्षित करने वाला था ।लेकिन पूरे भाषण का केंद्र कांग्रेस थी और वह भाषण अपने आप में रचनात्मक या संदेश वाहक ना होकर आलोचनात्मक सा होता गया। प्रधानमंत्री का हर जुमला , शब्दों का संयोजन तथा उनकी बॉडी लैंग्वेज सीधा प्रहारक थी। वह प्रहार कांग्रेस पर था। प्रधानमंत्री का लोकसभा से यह लाइव प्रसारण देश सांस थाम कर सुन रहा था । सबको आकांक्षा थी कि इस समय कुछ न कुछ बेहद महत्वपूर्ण आएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं था वह एक राजनीतिक भाषण था जिसके निशाने पर कांग्रेस थी।
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