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Wednesday, February 19, 2020

ट्रंप की भारत यात्रा

ट्रंप की भारत यात्रा 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले हफ्ते के पहले दिन 24 फरवरी को भारत आ रहे हैं। इनकी यात्रा को लेकर दुनिया भर में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। किसी ने इसके नकारात्मक इसके  सकारात्मक पक्ष पर रोशनी डाली है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने ट्रंप की भारत यात्रा और उस दौरान होने वाली रैलियों की बात कहते हुए ट्रंप को मोदी का पिछलग्गू  बताया है। लेकिन चुनाव के पहले 40 लाख भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक ट्रंप के लिए   इन टिप्पणियों से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। ट्रंप ने अपनी भारत यात्रा के दौरान हवाई अड्डे से स्टेडियम तक लाखों लोगों की भीड़ की बात कही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 से 70 लाख लोगों की उपस्थित होने की बात कही है। ट्रंप को यह महसूस हो रहा है यह यात्रा  उनके चुनाव में प्रवासी भारतीयों से संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह यात्रा उनके वोटों को आकर्षित कर सकती है। जैसा कि लग रहा है डोनाल्ड ट्रंप इस यात्रा में कश्मीर का पत्ता तुरुप का हो सकता है। क्योंकि ट्रंप इस यात्रा के दौरान व्यापार संधि और कूटनीतिक रिश्ते को बिगाड़ने वाली अपनी छवि को सुधारने का प्रयास करेंगे।
    राष्ट्रपति की यात्रा से कुछ ही दिन पहले चार अमरीकी सांसदों ने भारत का दौरा किया और उन्होंने कश्मीर के हवाले से अपने विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो को पत्र लिख  कर   प्रजातंत्र में जारी इतने लंबे इंटरनेट बैन और आम लोगों को नेताओं के लंबे कैद को लेकर चिंता जताई थी। जिन्होंने पत्र लिखे थे उनमें सत्तारूढ़ दल के दो तथा विपक्ष के दो सदस्य थे। ट्रंप ने पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच इस  मसले पर मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पहल की थी हालांकि भारत ने साफ इंकार कर दिया था। पाकिस्तान के बालाकोट पर हमले के दौरान पकड़े गए एयरफोर्स के पायलट अभिनंदन को रिहा करवाने में प्रमुख भूमिका निभाने के संकेत भी राष्ट्रपति ट्रंप में उस दौरान दिए थे। अमेरिकी चुनाव नजदीक आ रहे हैं और राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए यह प्रयास दोबारा कर सकते हैं। हालांकि अब तक जितने भी सर्वे आए हैं उनमें ट्रंप की लोकप्रियता का आंकड़ा 50% से कम है। अमेरिका को महत्वपूर्ण दिखा सकने वाला किसी भी तरह का फैसला इस आंकड़े को बढ़ाने में मददगार हो सकता है।
      खबर है कि राष्ट्रपति ट्रंप कई बड़ी भारतीय कंपनियां जैसे तेल और गैस क्षेत्र की जानी-मानी कंपनी रिलायंस ऑटो और कई दूसरे अहम क्षेत्रों में मौजूद टाटा संस, टेलीकॉम कंपनी एयरटेल, महिंद्रा एंड महिंद्रा तथा अन्य कई कंपनियों के प्रमुखों से मिलेंगे। निर्माण क्षेत्र में तेजी लाना और नौकरियों के लिए नए मौके मुहैया कराना ट्रंप प्रशासन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है खास करके इस चुनाव में। फिलहाल अमेरिकी निर्माण क्षेत्रों में सुधार आया है और सुधार के आंकड़े आशा जनक हैं। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अमेरिका में एक अरब डॉलर निवेश और उसके बलबूते रोजगार से नए अवसरों बात की थी। 100 अरब डालर से टाटा समूह की 13 कंपनियां अमेरिका में हैं। जिसमें 35000 लोग काम करते हैं । व्यापार संस्था सीआईआई के एक अध्ययन के अनुसार अमेरिका में कम से कम एक सौ भारतीय कंपनियों में कुल 18 अरब डालर का निवेश है और इनमें एक लाख से अधिक अमरीकी लोगों को रोजगार हासिल है । अभी उम्मीद की जा रही है कि भारत अमेरिका से 24 लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए 2.6 अरब डालर के रक्षा सौदे को अंतिम रूप दे सकता है।
          विश्लेषकों के अनुसार डॉनल्ड ट्रंप की भारत यात्रा उनसे अपने चुनाव के मद्देनजर है। लेकिन यहां सवाल उठता है कि भारतीय मूल के अमेरीकीयों का कितना वोट ट्रंप के खाते में जाएगा इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। एशियन अमेरिकन लीगल डिफेंस एजुकेशन फंड नाम की संस्था के मुताबिक अधिकांश भारतीय डेमोक्रेट्स के वोटर है और इकोनामिक एंड पॉलीटिकल वीकली के अनुसार 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में इन लोगों ने 77% वोट हिलेरी क्लिंटन को दिया था। यद्यपि हाल के वर्षों में  अमेरिका में रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन जैसी संस्थाओं की पहुंच में इजाफा हुआ है। प्रवासी भारतीयों इस संस्था इंडियास्पोरा के कार्यकारी निदेशक संजीव जोशीपुरा का कहना है यह बड़ा मुश्किल है बताना कि राजनीतिक तौर पर राष्ट्रपति के लिए यह यात्रा कितनी मददगार होगी उनका कहना है कि वोटर दोनों नेताओं के बीच फरिश्तों को किस तरह देखेंगे अभी से कहना मुश्किल है। लेकिन, यह तय है कि अपने वोट का फ़ैसला करते समय उनके मन में कहीं न कहीं राष्ट्रपति ट्रंप को लेकर दिए गए बयानों कदमों और अमरीकी वीजा को निश्चित बनाए जैसे सवाल जरूर घूम रहे होंगे  जिनका सीधा असर भारत जैसे देशों से वहां जाने वाले  लोगों पर पड़ता है।


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