अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत दौरा कई समझौतों और आश्वासनों के साथ-साथ कई मनभावन प्रदर्शनों के बीच भव्य रहा।यद्यपि पाकिस्तानी सरकार को यह फूटी आंख नहीं सुहा रहा है। लेकिन भारत में इसे लेकर काफी उत्साह है। अभी तक आलोचना के स्वर नहीं सुनने को मिले हैं। केवल उनके दौरे या उनकी भारत में मौजूदगी के बीच शाहीन बाग में जो हिंसक घटनाएं हुई अगर उनको जोड़ा जाए तो यह उनका विरोध कम और भारत का अपमान करने की मंशा ज्यादा थी। यह एक राष्ट्र विरोधी कृत्य है और इसकी भर्त्सना की जानी चाहिए। यद्यपि इसकी पृष्ठभूमि की समीक्षा करें तो एक खास संदेश मिलता है। बकौल वाशिंगटन पोस्ट ट्रंप अपने देश में मुसलमानों पर पाबंदियां लगाना चाहते हैं और मोदी जी ने विपक्षी दलों के कथनानुसार पाबंदियां लगाने का काम शुरू कर दिया है। यह एक तरह से ट्रंप का विरोध किया जाना होगा। लेकिन ऐसे संदेशों को ना माना जाए तो अच्छा है। लेकिन जिन लोगों ने यह सब किया है उन्हें भी अपने देश के सम्मान के बारे में सोचना चाहिए ।
अमेरिका और भारत के बीच क्या है जो समझौते हुए हैं उनसे अलग दोनों देशों के बीच के सियासी संबंधों पर सोचा जाना जरूरी है। भारत और अमेरिका के बीच आरंभ से ही संबंधों में उतार-चढ़ाव होता रहा है। लेकिन तब भी दोनों के संबंध कायम है। इसका कारण है वह सेतु जो भारत के सॉफ्ट पावर से निर्मित हुआ है । इसे संजोग ही कहा जा सकता है कि ट्रंप की भारत यात्रा अहमदाबाद से आरम्भ हुई। अहमदाबाद पटेल समुदाय का निवास स्थान है। वह पटेल समुदाय जो एक जमाने में अमरीका में मोटेल व्यापार का अगुआ था। भारतीय प्रवासियों का समुदाय दोनों देशों के बीच संबंध को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब भी संबंधों में थोड़ी सी ठंडक आने लगती है तो यह समुदाय उसे फिर से गरमाने का काम करता है। भारत और अमेरिका के बीच यह सब क्लिंटन के जमाने में आरंभ हुआ जब पाकिस्तान दुनिया भर में आतंकवाद के लिए विख्यात था और उसका प्राथमिक लक्ष्य भारत था। आज तक उसकी धमक अमेरिकी राष्ट्रपतियों की बातचीत में सुनाई पड़ती है। डोनाल्ड ट्रंप के भी सब ईगो में कहीं न कहीं वही था तथा यही कारण है कि उन्होंने अपने भाषण में वादा किया कि वह आतंकवाद को समाप्त करेंगे । ट्रंप ने अपने भाषण में कहा कि वह पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ आतंकवाद को रोकने की कोशिश करेंगे। कंपनी भारत के चंद्रयान मिशन की भी तारीफ की और स्पष्ट कहा कि वह भारत के साथ मिलकर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और तेजी से आगे बढ़ेगा कंपनी कहा कि अमेरिका भारत के साथ प्यार करता है और उसकी इज्जत करता है। वह भारत के लोगों का हमेशा निष्ठावान दोस्त बना रहेगा। 9/11 के हमले के बाद अमेरिका ने भी समझ लिया कि आतंकवाद कितना खतरनाक है और तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत की तरफ हाथ बढ़ाया। इस दोस्ती को आगे बढ़ाने के लिए क्लिंटन ने कई प्रभावशाली आप्रवासी भारतीयों को सहायता ली। इसके बाद वे भारत आए। उनका भारत आना अटल बिहारी वाजपई द्वारा अपनाई गई भारतीय विदेश नीति के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में माना जाएगा। वाजपेई जी ने उस समय निर्गुट संबंधों को किनारा करके द्विपक्षीय संबंधों पर जोर दिया। यह दो दशक में किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की पहली भारत थी। उस समय तक भारतीय आप्रवासी नागरिकों पर आरोप था कि वे 1991 की मंदी के लिए दोषी हैं और अमेरिका में उन्हें अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता था। लेकिन बाजपेई क्लिंटन के संबंधों के बाद भारतीय कंपनियां वहां उतरने लगी। बुश के जमाने में भी भारत अमेरिका संबंध कुछ मद्धिम पड़े फिर तब भी भारत को एक विश्वस्त सहयोगी के रूप में माना जाता था। 2010 में लगभग 30 लाख भारतीय अमेरिका में रहते थे और उनकी मौजूदगी को देखते हुए पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में दीपावली पर दीए जलाए । एक बार फिर सॉफ्ट पावर ने कमाल किया और कूटनीति में शीत युद्ध की जो जंग थी वह खत्म हो गई। हाल में हाउडी मोदी को जो सफलता मिली उसने तो कमाल कर दिया और अब नमस्ते ट्रंप ने एक नया अध्याय संबंधों में जोड़ दिया।
अब जबकि ट्रंप भारत आए हैं तो वे यहां का स्वागत सत्कार देख मुग्ध हो गए। बेशक ताजमहल के सौंदर्य के प्रति उनकी आत्ममुग्धता में कहीं सियासत नहीं दिख रही थी। इन सबके बावजूद जिन लोगों ने उपद्रव करके भारत को बदनाम करने की कोशिश की है उनकी न केवल सार्वजनिक निंदा होनी चाहिए बल्कि उनके नेताओं की शिनाख्त कर उन्हें दंडित भी किया जाना चाहिए।
Tuesday, February 25, 2020
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