अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा आज से आरंभ हो रही है। ट्रंप की यह पहली भारत यात्रा है। जाहिर है कि भारत दुनिया के महाबली के स्वागत करने के लिए बहुत उत्साहित है। इसके पीछे राजनीतिक और व्यापार जैसे कई कारण हैं। इस दौरे से जुड़ी है जो सबसे रोचक बात वह है कि दोनों देशों के बीच 70 हजार करोड़ से ज्यादा का प्रस्तावित सौदा होने वाला है। यद्यपि, ट्रंप ने कहा था कि वे भविष्य के लिए बड़े व्यापारिक डील को बचा रहे हैं। यानी ट्रंप ने इशारा किया था इस दौरे में बड़े व्यापारिक समझौते नहीं होंगे। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर को पिछले हफ्ते भारत आना था लेकिन उन्होंने अपनी यात्रा मुल्तवी कर दी। क्योंकि ,कई मुद्दों पर दोनों देशों में एकमत नहीं हुआ जा सका। इस बारे में ट्रंप ने कहा था कि भारत हमारे साथ बहुत अच्छा सलूक नहीं करता है लेकिन इसके बावजूद मैं प्रधानमंत्री मोदी को बहुत पसंद करता हूं। पिछले 3 वर्षों से भारत और अमेरिका के संबंधों में कई बार उतार-चढ़ाव देखे गए। चीन के बाद अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है। 2018 में अमेरिका का द्विपक्षीय कारोबार 142.6 अरब डालर था यह एक रिकॉर्ड है। लेकिन 2019 में य सोदा घट गया और घटकर 23.2 अरब डालर हो गया। इससे लगता है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़े हैं। अमेरिका के साथ भारत का व्यापार घाटा फिर कम होने लगा है। लेकिन अमेरिका का गुस्सा अभी उतरा नहीं है। अमेरिका और भारत के बीच व्यवसाय युद्ध तब शुरू हुआ जब ट्रंप ने भारत से आने वाली स्टील उत्पादों पर 25% और अलमुनियम उत्पादों पर 10% ड्यूटी लगा दी। इस ड्यूटी का असर भारत पर पड़े इसके पहले भारत ने अमेरिका से कई बार अनुरोध किया था कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। इतना ही नहीं भारत ने कोई जवाबी कदम भी नहीं उठाया था। जबकि दूसरी तरफ, अमरीकी राष्ट्रपति ने खुलेआम कहा था कि भारत कैसे अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर ज्यादा टैक्स लगाता है। ट्रंप ने भारत को "ट्रैफिक किंग ऑफ वर्ल्ड" कहा था। इसके बाद भारत ने 16 जून 2019 से अमेरिका में बने या अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर 28% ड्यूटी लगा दी। अमेरिका को काफी गुस्सा आया और उसने इसकी शिकायत विश्व व्यापार संगठन में भी की थी। अमेरिका और भारत कई मुद्दों पर एक मत नहीं है। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय के मुताबिक अमेरिका हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना तकनीकी उत्पादों पर बड़े शुल्क, मेडिकल उपकरणों की कीमत पर नियंत्रण, डेरी मार्केट में कम पहुंच और डाटा लोकलाइजेशन से भी चिंतित है। अमेरिका के डेरी कारोबारी भारत में अपने उत्पाद बेचना चाहते हैं। लेकिन उनके साथ समस्या है कि वह अपने पशुओं को खून से बना हुआ चारा खिलाते हैं। यह भारतीय धार्मिक भावनाओं से विपरीत है। अब अमेरिका से भारत यह चाहता है की वह एक सर्टिफिकेट जारी करे जिससे यह साबित हो सके कि यह उत्पाद शुद्ध है। राष्ट्रीय किसान महासंघ ने हाल ही में कहा था एक तरफ केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने का वादा कर रही है और दूसरी तरफ एक ऐसा व्यापार समझौता करने पर तुली हुई है जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना होगा। इस सौदे की वजह से हर साल कृषि ,डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद अमेरिका से आयात किए जाएंगे। भारत सरकार को सावधान करने के लिए गत 17 फरवरी को राष्ट्रीय किसान महासंघ ने भारत अमेरिका व्यापारिक समझौते के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था। केंद्रीय बजट में सरकार ने अमेरिका से आयात किए जाने वाले चिकित्सा उपकरणों पर टैक्स लगा दिए। यह तो पहले से विवाद का कारण था। यानी इस बार बजट के प्रावधानों को लेकर भी नया विवाद छिड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है की ट्रंप के दौरे के दौरान अगर भारत और अमेरिका के बीच दोनों दे किसी बड़े व्यापारिक सौदे पर आगे बढ़ने का निर्णय करते हैं। जिसका का प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। हालांकि 10 बिलियन डालर के व्यापार पैकेज से भारत और पाकिस्तान के बीच सभी द्विपक्षीय मसले नहीं सुलझेंगे । यह हालांकि अनुमान है फिर भी अगले दो-तीन वर्षों में दोनों देशों में व्याप्त तनाव घटेंगे और इससे दोनों देशों को लाभ होगा।
Sunday, February 23, 2020
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