दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हिंसा के कारण 30 से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं और कई दुकाने जला दी गई हैं। उससे भी ज्यादा आपसी सौहार्द एवं भाईचारे को भारी आघात लगा है। पारस्परिक विश्वास का सत्यानाश होता दिख रहा है। मुस्लिम समुदाय की ओर से हिंदुओं पर आरोप लगाए जा रहे हैं सारी गड़बड़ी उन्होंने फैलाई है। सच क्या है यह जानने के लिए भारतीय खुफिया गिरी के "जेम्स बांड" कहे जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मैदान में उतर आए हैं । उन्होंने खुद कहा है कि वह गृहमंत्री और प्रधानमंत्री के निर्देश पर ऐसा कर रहे हैं। उधर दिल्ली पुलिस का कहना है कि वहां शांति कायम हो गई है। इस हिंसा को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और अदालत ने सरकार को सख्त निर्देश दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके दिल्ली के लोगों से शांति और भाईचारा कायम करने की अपील की। उधर , कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूरे मामले पर कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफा दे देना चाहिए। विपक्ष का यह रुख ऐसे मौके पर सही नहीं कहा जाएगा। एक तरफ जबकि देश में राजनीतिक एकता और सहयोग की आवश्यकता है तो विपक्षी अपना मतलब साधने की कोशिश में लगे दिख रहे हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के प्रभावित इलाकों का दौरा किया और लोगों से मुलाकात की। अजित डोभाल को मुस्लिम साइकी का विशेषज्ञ माना जाता है और यही कारण है कि उन्हें दंगा प्रभावित क्षेत्रों में भेजकर स्थिति का आकलन करने और तदनुसार कदम उठाने के लिए भेजा गया है।कई जगहों पर मुस्लिम बुजुर्गों एवं आम लोगों ने सरकार और संघ के ऊपर उंगली उठाया और यह स्पष्ट कहा , "हमने कभी भी हिंदुओं पर अत्याचार नहीं किये और ना जुल्म होने दिया। अजित डोभाल ने कथित रूप से उस समय यह सब कहने से मना किया है। इसके पीछे शायद यह मंशा थी कि गुस्से को और भड़कने से रोका जाए ,क्योंकि इस तरह की घटनाएं जब - जब याद आती हैं मन पर प्रभाव तो पड़ता ही है। डोभाल ने मिलने वाले सभी लोगों को आश्वासन दिया कि अब पुलिस अपना काम करेगी और हम एक दूसरे की समस्याओं को बढ़ाएं नहीं बल्कि उन्हें सुलझाएं। एक बड़ी अच्छी बात कही कि यहां कोई किसी का दुश्मन नहीं है जो अपने देश से प्यार करते हैं, समाज से प्यार करते हैं, पड़ोसियों का भला चाहते हैं इन सभी को प्रेम से रहना चाहिए। यहां पारस्परिक एकता के साथ मिलकर काम करना चाहिए। कोई किसी का दुश्मन नहीं है। कुछ असामाजिक तत्व हैं हम उनके साथ सख्ती से निपटेंगे और अमन होगा। इस बीच स्थिति पर नजर रखने के लिए वहां खासकर के उत्तर पूर्वी दिल्ली की ड्रोन से निगरानी की जा रही है। डोभाल ने हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र जाफराबाद का भी दौरा किया और बताया हालात नियंत्रण में हैं और लोग संतुष्ट हैं। यद्यपि समाचार एजेंसियां बता रही हैं कि क्षेत्रों में पथराव अभी भी हुए हैं डोभाल को मुश्किल हालात से निपटने के लिए जाना जाता है वह प्रधानमंत्री के विश्वश्त भी हैं। पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म किए जाने के बाद डोभाल ने एक पखवाड़े से ज्यादा समय कश्मीर में रहकर हालात की निगरानी की थी और सरकार को रिपोर्ट दी थी। आज फिर डोभाल एक्शन में हैं। वह जमीनी स्थिति का जायजा लेने के बाद प्रधानमंत्री और कैबिनेट को दिल्ली के हालात के बारे में जानकारी देंगे। उन्होंने अपने दौरे में मिलने वाले लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि राजधानी में कानून व्यवस्था की स्थिति कायम होगी तथा हालात अब सामान्य होंगे।
आशा है कि दिल्ली में शांति कायम होगी लेकिन यह हिंसा एक लंबी कड़ी के रूप में भी बन रही है। अगर दंगों का मनोविज्ञान देखें तो दिल्ली का यह दंगा किसी संभावित षड्यंत्र की भूमिका है। सरकार अभी भी सही कदम उठा सकती है उसे स्पष्ट रूप से कानून और व्यवस्था लागू करने के और लोगों की में व्याप्त चिंता को खत्म करने के लिए इसके लिए उसे पूरी शक्ति लगानी होगी और बर्बरता को रोकना होगा, वरना हमारा लोकतंत्र एक ऐसे राष्ट्र में बदलने जा रहा है जिसमें बर्बरता और दंगे प्रमुख होंगे। सरकार का यह परम कर्तव्य है कि वह ऐसी बैर की भावनाओं को समाप्त कर समाज में सौहार्द कायम करे। हमारा देश 1947 से दंगे और बर्बरता का शिकार होता रहा है। इसे खत्म करना होगा और विश्वास की स्थापना करनी होगी। डोभाल ने मोर्चा संभाला है तो एक उम्मीद जगती है। वह सही बात सरकार को बताएंगे और सरकार बेशक उस पर अमल करेगी। डोभाल प्रधानमंत्री के करीबी माने जाते हैं और प्रधानमंत्री के निर्देश पर अगर वे इन क्षेत्रों के दौरे पर आए थे तो यह उम्मीद बनती है सरकार की मंशा सकारात्मक है।
Thursday, February 27, 2020
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