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Monday, May 4, 2020

कोई शाबाशी दे रहा है, कोई शक कर रहा है

कोई शाबाशी दे रहा है, कोई शक कर रहा है
 रविवार को कोरोनावायरस से मुकाबले में जुटे फ्रंटलाइन वारियर्स को  शाबाशी देने के लिए  देश की सेना ने  विभिन्न अस्पतालों, स्मारकों और प्रमुख इमारतों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए, सैनिक बैंड की प्रस्तुति की। दरअसल 2 दिन पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख ने इससे संबंधित घोषणा की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर अपना सम्मान जहिर किया।  गृह मंत्री  अमित शाह ने भी ट्वीट किया। कई और नेताओं और आम जनों ने भी प्रशंसा की लेकिन कुछ ऐसे  लोग भी हैं जिन्होंने  इसकी आलोचना की।  लोगों ने कहा
 सड़कों पर भूखे प्यासे लोग
 हवाई यात्रा मुक्त
 रेल यात्रा पैसे बिन नहीं
 वाह-वाह करते भांड़
 बरसते फूल
 किस की मौत पर
प्रवासी लोगों की तकलीफ के लिए या कोरोना  खत्म  होने पर
 नासमझ नीरो
 कुछ ने कहा कि हमारे पास  पीपीई किट नहीं है,  हमारे पास उचित परीक्षण किट नहीं है और ऐसे में ध्यान भंग करने का एक और तरीका हमारी सेना को राजनीति  के खेल में शामिल ना करें। 
इस पहल के बरक्स   लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने कि अगर व्याख्या करें तो पाएंगे कि   लॉक डाउन का यह चरण  पिछले  दो  लाॅक डाउन से  थोड़ा अलग है।  तीसरे चरण में जिलों के रिस्क प्रोफाइलिंग के आधार पर  कुछ क्षेत्रों को  सशर्त  छूट दी गई है।  उदाहरण के लिए ग्रीन जोन जिलों को यातायात, बाजार सहित कुछ सेवाओं के लिए तय निर्देशों के तहत  शुरू करने की अनुमति मिली है।  वही येलो जोन में भी कुछ छूट मिली है। वर्तमान में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश के 733 जिलों में से 130 जिले रेड जोन 284 जिले   येलो जोन  तथा 319 ग्रीन जोन में हैं।  यद्यपि, रेल व हवाई यात्रा,  मॉल, होटल, रेस्टोरेंट इत्यादि को लेकर किसी भी जोन में किसी तरह की छूट नहीं दी गई है। लॉक डाउन की मौजूदा स्थिति में देश के 17% जिलों में रेड जोन की पाबंदियां कायम रहेंगी वहीं 38% जिले येलो जोन  को  हासिल छूट वाले होंगे और देश के 43%  ग्रीन जोन जिलों में  स्थानीय यातायात, सरकारी कामकाज तथा श्रम व मजदूरी से जुड़े कार्यों को  सशर्त छूट मिलेगी। यह आंकड़े साफ बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का फल मिल रहा है। एक तरफ जहां कोरोना वायरस का प्रसार घट रहा है वहीं दूसरी तरफ इस मोर्चे पर तैनात लोगों का आत्मबल बना हुआ है और पूरा मुल्क उनके साथ है। हालांकि इसमें राज्यों की भी भूमिका है। 
  लॉक डाउन के तीसरे चरण से  यह शुरुआती संकेत मिलने लगे हैं कि सरकार  संपूर्ण देश बंदी जैसी स्थिति से निकलने की कारगर  राह तलाशने शुरू कर दी है साथ ही सरकार की नजर उन क्षेत्रों पर भी है जहां कोरोना वायरस का अधिक संभावित है।  बेशक,  विगत डेढ़ महीने में  मोदी सरकार के निर्णयों से इस लड़ाई में अच्छी सफलता हासिल हुई है।  लॉक डाउन और विभिन्न तरीकों से जनता तथा कोरोना वैरीयर्स  का मनोबल  बनाए रखने  का तरीका भी सफल हुआ है। 
      चूंकि,  विशेषज्ञों का मानना है इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई लंबी है और यह कई वर्षों तक मानव जीवन को प्रभावित करने वाला होगा इस लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉक डाउन  के निर्णयऔर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए जाने जैसे उपाय दो कारणों से असरकारक हैं। पहला की सरकार ने  संपूर्ण लॉक डाउन करके  कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति से देश को अभी तक बचाने में कामयाबी हासिल की है वही साथ ही तरह-तरह के उपाय कर आम लोगों में मनोबल बनाए रखने में भी सफलता मिली है। दूसरी सफलता यह है कि भविष्य में खड़ी होने वाली चुनौतियों से मुकाबले के लिए सरकार ने नेशनल हेल्थ सिस्टम स्तर की तैयारी कर ली  है और साथ ही फूल बरसा कर इस सिस्टम से जुड़े लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाया है वे भविष्य में भी ऐसे मुकाबलों में विजय हो सकते हैं। आंकड़े बताते हैं यदि दो चरणों में  लॉक डाउन नहीं हुआ होता तो कोविड-19 के संक्रमण की तस्वीर ही कुछ दूसरी होती।  24 मार्च को हमारे देश में कोविड-19 से संक्रमित रोगियों  के बढ़ने की गति 21.6 प्रतिशत थी जो अब 10% से नीचे आ गई है।  यदि  प्रधानमंत्री ने संपूर्ण लॉक डाउन का फैसला नहीं किया होता तो  हमारे देश में कोरोना  संक्रमित लोगों की संख्या दो लाख से ऊपर  होती।  यही नहीं पिछले 2 चरणों के  लॉक डाउन  से सफलता मिली कि देश में इस बीमारी के कम्युनिटी संक्रमण को रोकते हुए  कोविड-19 के टेस्ट की संख्या बढ़ाने में सफलता मिली।  जर्मनी के बाद भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या  एक हजार  होने तक 7  लाख लोगों की  जांच की व्यवस्था कर पाया । न्यू यॉर्क टाइम्स रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में जिस दिन एक हजार  कोविड-19 संक्रमित मौत हुई थी उस दिन तक वह  सिर्फ 5लाख  59  हजार  468 टेस्ट  कर पाया था ।  दूसरे देशों की तुलना में भारत की इस सफलता का रहस्य जल्दी लॉक डाउन का निर्णय और आम जनता का तथा इसके उपचार में लगे लोगों का मनोबल बनाए रखने के लिए तरह-तरह के उपाय किए।  भारत ने जल्दी टेस्ट की गति तेज कर ली।  1 मई की सुबह तक भारत में कुल 9  लाख से अधिक केस किए हैं। इसी अवधि में देश में 304 सरकारी लैब  और 105 प्राइवेट लैब भी बनकर तैयार  हुए हैं।  यही नहीं 1 मई तक भारत में एक सौ से कम संक्रमित मरीजों को वेंटिलेटर,  500 से कम संक्रमित ओं को ऑक्सीजन सपोर्ट तथा 800 से कम मरीजों को आईसीयू की जरूरत पड़ी है। 
      सही समय पर सही कदम उठाने से एक लाभ हुआ कि भारत में कोविड-19 अपने चिकित्सा संस्थानों को चिन्हित कर  लिया।  यही कारण है कि भारत में कोविड-19 4% के आसपास है जबकि उससे ठीक होने का अनुपात 25% से अधिक है तथा यह अनुपात 10 अप्रैल के बाद से लगातार बढ़ा है।  अब लॉक डाउन का तीसरा चरण शुरू हुआ है जो 17 मई तक चलेगा और ऐसे में भविष्य का आकलन किया जाना जरूरी है।  इस रोग के प्रभाव के आधार पर देश के विभिन्न क्षेत्रों को जोन में बांटने  का एक लाभ यह  दिखता है कि  सरकार   कोरोना  के खिलाफ जंग और जनजीवन की सहूलियत दोनों पर ध्यान दे रही है।  सरकार के सामने देश की स्थिति यह स्पष्ट तस्वीरें होंगी।  एक तस्वीर वह  जहां उसे कोविड-19 से मुक्ति को  प्राथमिकता देनी है और एक तस्वीर हुआ जहां उसे जन सुविधाओं व अन्य स्थितियों को ठीक करना है । यह  कहना  गलत नहीं होगा कि मोदी सरकार ने राज्यों से संवाद करते हुए स्पष्ट दृष्टि से इस हालात से मुकाबले की नीति तैयार की है।  विपक्ष की  दलीलें चाहे जो भी हों  लेकिन तथ्यों  के विश्लेषण बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के फैसले सही साबित हो रहे हैं।  इसी तरह दीपक जलाना या फूल बरसा जाना भी बहुत ही व्यावहारिक कदम है जिससे लोगों में मनोबल बढ़ रहा है और कोविड-19 लड़ने के लिए समाज कमर कस चुका है।  

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