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Thursday, May 7, 2020

सीमा पर आतंकी हमले और कश्मीर में पनपता आतंकवाद


 सीमा पर आतंकी हमले और कश्मीर में पनपता आतंकवाद
  विगत 1 हफ्ते में कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार से लगभग 3 बार  हमले हुए और उसमें हमारे कई वीर सैनिक शहीद हो गए।  उस शहादत ने पूरे देश को विचलित कर दिया। ना केवल हमले हुए बल्कि बड़ी संख्या में घुसपैठ हुई और कश्मीर में भी हमले हुए।  इन घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान अपनी पुरानी चाल चल रहा है।  चालू वर्ष 2020 के पहले 3 महीनों में पाकिस्तान  ने  1144 बार युद्ध विराम का उल्लंघन किया।  2019 और 2018 की तुलना में यह बहुत ज्यादा था। 2019 में  युद्ध विराम की 685 घटनाएं जबकि 2018 में यह 627 थी।  मार्च में देश पर कोविड-19 का हमला हुआ और इस दौरान युद्ध विराम  के उल्लंघन की 411 घटना हुईं।  हालांकि कोविड-19 की महामारी पाकिस्तान पूरी दुनिया में फैली है। खबरें पाकिस्तान इस दौरान कोविड-19 से संक्रमित आतंकियों को  कश्मीर भेज रहा है ताकि घाटी के लोगों में इसका संक्रमण फैले। जम्मू और कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के 104 आतंकी घाटी में फैले हुए हैं। इन्हें  मिलाकर देखा जाए घाटी में 242  सक्रिय आतंकी  हैं।  अप्रैल 2020 के दौरान कूपवाड़ा क्षेत्र  मैं लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों  के बहुत बड़े  जत्थे  ने घुसने की कोशिश की। इनमें से 5 लोगों को पैरा कमांडो  ने  मार गिराया। 18 अप्रैल को सोपोर के  नूर बाग में आतंकियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल एक टुकड़ी पर गोलीबारी की इसके 4 दिनों के बाद 22 अप्रैल को सोफिया जिले  के मलहोरा  गांव में मुठभेड़ हो गई और इसमें चार आतंकी मारे गए और चार ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान शहीद हुए। 25 अप्रैल को पुलवामा जिले के अवंतीपुरा में   एकऔर  मुठभेड़ में आतंकी और एक उनका सहयोगी मारा गया।  हाल में 2 मई को हंदवाड़ा में ही आतंकियों ने एक नागरिक को बंधक बना लिया था और उसे छुड़ाने के ऑपरेशन के दौरान सेना के दो अधिकारी 2 सैनिक और एक पुलिस अधिकारी मारा। दोनों आतंकियों को खत्म कर  दिया गया।  इनमें से एक लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था।  इसके अलावा पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी और  घाटी में उनके सहयोगी  लोगों पर लगातार  दबाव डाल रहे हैं कि वे  पाकिस्तान वाले आजादी के जुमले का समर्थन करें। 
         हाल के हमलों  के संदर्भ में जम्मू कश्मीर की पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि जब सारी दुनिया कोरोनावायरस की महामारी से लड़ने की कोशिश कर रही है तो पाकिस्तान और इसके समर्थक आतंकवादी जम्मू और कश्मीर में लोगों के जीवन तथा उनकी सुरक्षा को खतरे में डालने का प्रयास कर रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है पाकिस्तान ने भारत को  परेशान करने के लिए कोविड-19  को एक नया हथियार समझ  लिया है।  पाकिस्तान  भ्रामक प्रचार कर रहा है कि  भारत जम्मू कश्मीर में लोगों को राहत और मेडिकल सुविधाएं नहीं मुहैया करा रहा है।  इतना ही नहीं वह यह भी प्रचारित कर रहा है कि  लॉक डाउन और इंटरनेट पर लगाई गई पाबंदी से कश्मीरियों को कोरोना वायरस से मुकाबले कठिन हो रहे हैं।  पाकिस्तान के स्वास्थ्य राज्यमंत्री जफर मिर्जा ने हाल में मांग की है कि  कश्मीर से  लॉक डाउन खत्म कर दिया ताकि कश्मीरियों को कोरोना वायरस से मुकाबले में सहूलियत हो सके। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता  कि  पाकिस्तान के सैनिक और असैनिक  नेतृत्व “ क” शब्द  से अपना दबाव हटा नहीं पा  रहा है।  हाल के दिनों में उसने पाकिस्तान के भीतर के लोगों को प्रभावित करने के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं।  पाकिस्तानी सेना ने  भ्रामक प्रचार करना शुरू किया है उसने  भारत को घुटनों  पर खड़ा कर दिया  है।  शायद  आई एस आई धारा 370 हटाए जाने क्षतिपूर्ति करने में लगा है ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सरकार को अपने देश में कमजोर बता सके। कश्मीर के केंद्र शासित क्षेत्र हो जाने के कारण  पाकिस्तान को भारी हानि  पहुंची है। पाकिस्तान को यह समझ में नहीं आ रहा है कि हवा  का रुख किधर है क्योंकि कश्मीर घाटी में आतंकवाद समर्थित राजनीतिक नारे बेकार साबित हो रहे हैं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास और विदेशी एकजुटता जैसी कोशिशों के फलस्वरूप  पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने एजेंडा नहीं उठा पा रहा है। पाकिस्तान  को यह भी मालूम है कि अगस्त से चीन की पाकिस्तान समर्थित कार्रवाई सीमित हो गई है  क्योंकि  चीन को भारत की ज्यादा जरूरत है। सरल भाषा में कहें तो पाकिस्तान  का यह पुराना दोस्त  जब कश्मीर की बात आती है तो बगलें झांकने लगता है। क्योंकि फिलहाल अभी भारत से दोस्ती में उसे लाभ दिखता है।
      पाकिस्तान  फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स की प्रतिबद्धताओं को भी नहीं मान रहा है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने 2019 की फरवरी में पेरिस में आयोजित एक बैठक में  पाकिस्तान की आलोचना की थी और कहा था आतंकी संगठनों द्वारा उत्पन्न आर्थिक जोखिम को नहीं समझ पा रहा है।  यह आतंकी संगठन अधिकांश जम्मू कश्मीर और अफगानिस्तान में सक्रिय हैं।  फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स जून में अपनी सूची में पाकिस्तान को धूसर सूची (ग्रे लिस्ट) में  रखा था और इसने पाकिस्तान को 27  पॉइंट्स को  अमल में लाने के लिए 4 महीने का एक ग्रेस पीरियड दिया था लेकिन पाकिस्तान ऐसा नहीं कर सका।  वह केवल 14 पॉइंट्स  अमल में ला सका।  फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स पाकिस्तान से फिर ताकीद की है  कि वह बचे हुए  पॉइंट पर इस साल जून तक अमल कर  ले।  इस सूची में आतंकियों को धन देने और मनी लांड्रिंग की अचूक व्यवस्था करने  जैसे कार्य भी शामिल हैं । अब कोविड-19 के कारण  फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने अवधि को अक्टूबर तक बढ़ा दी है।  इसका मतलब है कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में शामिल किए जाने से बचने के लिए चार  महीने  की मोहलत और मिल गई। पाकिस्तान को यह मालूम है कि कश्मीर का शगूफा का उठाकर  वह  अपने लोगों को  संतुष्ट नहीं कर सकता  क्योंकि फिलहाल पाकिस्तान की जनता की  समस्या कश्मीर नहीं है बल्कि जीवन यापन करने के घटते साधन, बढ़ती खाद्य समस्या और बेरोजगारी है ।  पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के 73 साल से ज्यादा  की अवधि में वहां के आधे लोग  भुखमरी के शिकार हैं।  इमरान खान अपने बीस महीनों के शासनकाल में लोगों की समस्याओं का  समाधान  तो दूर   वहां की आवाम  की जिंदगी को  और दुखद बना दिया है।  आज पाकिस्तान चीन की मदद और भारत के खिलाफ प्रोपगैंडा पर निर्भर है।  भारत  के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को लगातार सलाह दी है कि वह कश्मीर में सीमा पार से आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे।  अब प्रधानमंत्री को चाहिए युवा पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शर्मसार करने के लिए उसके खिलाफ कूटनीतिक अभियान कर दें।  प्रधानमंत्री ने तो पहले से ही पाकिस्तान के खिलाफ राजनीतिक अभियान शुरू कर दिया है आर कश्मीरी जनता भी उनके साथ खड़ी हो रही है क्योंकि उन्हें यह मालूम है कि  उनका भविष्य तो भारत के साथ ही है,  पाकिस्तान के साथ नहीं। 


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