वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को कई आर्थिक पैकेज की घोषणा की। इसके पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को आश्वस्त किया अर्थव्यवस्था मजबूत किया जाएगा। उन्होंने गांव, किसान और आर्थिक विकास को लेकर कुछ बातें कहीं थीं और उससे जो संकेत मिल रहे थे उसमें वित्त मंत्री के भाषण की दिखाई पड़ रही थी। वित्त मंत्री के पूरे भाषण और उनके द्वारा की गई पेशकश में जो सबसे महत्वपूर्ण है वह है एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी। आप यहां प्रश्न उठता है कि यह गारंटी काम कैसे करेगी और एमएसएमई सेक्टर सहायता कैसे मिलेगी।अतीत के अनुभवों से देखा जा सकता है कि भारत एक ऐसा देश है जहां उद्योग विकास के नाम पर बैंकों से बड़े-बड़े कर्ज लेकर मशहूर व्यापारी देश से फरार हो जाते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आत्मनिर्भर भारत के बारे में कुछ विस्तार से बताया। इसके दो हिस्से हैं, पहला भारतीय रिजर्व बैंक के कुछ नियम और दूसरा कोविड-19 के तहत दी जाने वाली राहत। यह राहत पैकेज मार्च-अप्रैल घोषित की जा चुकी है। बुधवार को वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणाओं में सबसे ज्यादा ध्यान मध्यम,लघु और माइक्रो( एम एस एम ई) पर दिया गया है। इस चक्कर में ऋण गारंटी मैं बहुत ज्यादा वृद्धि की गई है। लेकिन , शायद यह सीधा नहीं मिलेगा। सरकार इस बात पर ज्यादा ध्यान देगी की एम एस एम ई से जुड़े उद्यम इसमें से कितना चाहते हैं या नहीं।
दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस घोषणा पर कई सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट कर पूछा है जुमले बनाने से पहले प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने 13 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त राशन और आर्थिक सहायता क्यों नहीं दी गई? 7 करोड़ दुकानदारों क्या किया गया?
हमारे देश की सबसे बड़ी ट्रेजडी है कि सरकार के रचनात्मक कार्यों पर भी विपक्षी दल उंगली उठाते हैं। उनसे एक सीधा सवाल है कि सरकार आखिर प्रयास ना करे तो क्या करे? खुलता पानीअक्सर यह देखा गया है कि इस तरह के कर्ज किसी संपत्ति की गारंटी पर भुगतान किया जाता है क्योंकि बहुधा नगदी के प्रवाह का विश्लेषण उपलब्ध नहीं होता । यही नहीं संकट के समय संपत्ति की कीमत गिर जाती है जैसा वर्तमान में भी हुआ है और ऐसे मौके पर उद्योग कर्ज लेने में दिलचस्पी दिखाते हैं लेकिन बैंक इसके लिए चुप नहीं होती। जहां ऋण गारंटी होती है वहां सरकार बैंकों को इस बात की गारंटी देती है कि अगर उनका पैसा वापस नहीं आया उसका भुगतान सरकार करेगी। मसलन, सरकार अगर किसी फर्म को दिए गए 1 करोड़ रुपए की गारंटी देती है तो इसका अर्थ है कि सरकार उसे वापस करेगी । यदि, सरकार 20% की गारंटी लेती तो वाह 20 लाख रुपए ही वापस करेगी। कोविड-19 का प्रकोप जब भयानक था तभी सरकार ने रोग एवं इलाज पर खर्च किया था और अब उसके खर्चे दो तरफा हो गये। एक तरफ जहां वह स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए खर्च कर रही है वहीं दूसरी तरफ इस दिशा में भी खर्च करेगी। यानी अर्थव्यवस्था पर दोहरा दबाव। उदाहरण के लिए देखें, विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 5 से 10% कमी आएगी जिसका अर्थ है 5 से 7 लाख करोड़ का राजस्व घाटा। इसके अलावा सरकारी कर्मचारी और देश की फर्में चाहती हैं उन पर व्याप्त आर्थिक संकट को खत्म करने में सरकार उनकी मदद करे। बैंकों के माध्यम से रुपए डालने के प्रयास बेकार हो गए। क्योंकि बैंक नहीं चाहते कि अब वह नए कर्ज दें। क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं नए लोन उनके एनपीए में और इजाफा न कर दें। अब सरकार के सामने एक अजीब स्थिति आ गई है। बैंकों के पास रुपया है लेकिन वह धन के अभाव से जूझ रही अर्थव्यवस्था में देना नहीं चाहते जबकि सरकार के पास इतना रुपया नहीं है कि वह सीधे अर्थव्यवस्था में डाल सके। अब इसका एक ही समाधान है कि सरकार कर्जे की गारंटी ले। लेकिन यह भी कोई नई व्यवस्था नहीं है।
अब क्या हो? इसके लिए तीन उपाय हैं या कहें तीन उपाय किए गए हैं। पहला ऐसे एमएसएमई जो कोविड-19 यह लॉक डाउन के पहले तक ठीक-ठाक चल रहे थे उनके लिए सरकार तीन लाख करोड़ तक की गारंटी दे सकती है यह एक तरह से आपात ऋण है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह उनके लिए है जिनका वार्षिक कारोबार सौ करोड़ से कम है। इस कर्ज की अवधि है 4 वर्ष और इस पर 12 महीनों की मोरटोरियम है। केंद्र सरकार की यह योजना एक तरह से वरदान साबित होती है। खासकर कारोबारियों के लिए जो मेहनत और लगन से दुबारा अपना बिजनेस चमकाना चाहते हैं। यही नहीं मुसीबत में फंसे व्यापारी अगर एमपी डिक्लेअर हो चुके हैं तब भी उन्हें कर्ज दिलाने के लिए जो खास सबोर्डिनेट ऋण स्कीम आई है वह भी ऐसे जज्बे वाले लोगों के लिए बहुत बड़ा सहारा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री के अनुसार यह पैकेज आत्मनिर्भर भारत को नई गति देगा। प्रधानमंत्री ने बुधवार को निर्मला सीतारमण की घोषणा के बाद ट्वीट किया कि हाल में सरकार ने करुणा संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थी और जो रिजर्व बैंक के फैसले थे तथा आज जिस आर्थिक पैकेज को घोषित किया गया है उसे जोड़ कर देखें तो 20 लाख करोड़ रुपए हो जाएंगे। यह राशि भारत की जीडीपी के 10% के बराबर है। सचमुच, वित्त मंत्री की घोषणा को अगर सही ढंग से लागू किया जाता है तो आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने में नई गति पैदा करेगा क्योंकि यह पैकेज लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लाॅ सबका ध्यान रख रहा है।
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