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Wednesday, May 20, 2020

चीन की विस्तार वादी नीतियों से सतर्क रहना जरूरी



चीन की विस्तार वादी नीतियों से सतर्क रहना जरूरी



चीन पूरी दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है और इस मंशा को अमल में लाने के लिए उसने पाकिस्तान तथा कई अन्य देशों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। ऐसा केवल व्यापार प्रसार में ही नहीं बल्कि जमीन पर और भारत के चारों तरफ घेरा डालने से लेकर तरह-तरह के प्रचार को हथकंडे के रूप में वह उपयोग कर रहा है। जहां तक व्यापार में चीनी वर्चस्व रोकने का प्रश्न है तो भारत सरकार ने बहुत ही सावधानीपूर्वक समग्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ डी आई) की समीक्षा की और 2017 के नियम में संशोधन कर दिया। इस संशोधन के तहत भारत सरकार ने कल सीमा से जुड़े देशों के प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से निवेश केहर प्रस्ताव पर पहले सरकार की अनुमति अनिवार्य कर दी। इस पर नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास द्वारा बहुत तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई। उस प्रतिक्रिया में कहा गया था कि चीन ने अब तक भारत में 8 अरब डालर से अधिक का निवेश किया है जिससे भारत में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं लाखों लोगों को नौकरियां मिली मिली हैं। लेकिन चीन के मन के भीतर का चोर अपनी बात कह गया कि निवेश के पीछे कोई गलत मकसद नहीं था। भारत सरकार के 18 अप्रैल को उद्योग और आंतरिक व्यापार प्रोत्साहन भाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहां गया था कि हम किसी भी विदेशी निवेशक द्वारा कोविड-19 की महामारी का फायदा उठाकर किसी भारतीय कंपनी का अधिग्रहण करने या अपने कब्जे में लेने का प्रयास रोकना चाहते हैं। इधर चीन कोविड-19 महामारी से विश्व भर के बाजारों में आई गिरावट को अवसर की तरह भुनाने में लगा है और यही कारण है कई देशों ने भी एफडीआई के नियमों में संशोधन उसे सख्त कर दिया है। कोरोना वायरस के असर के कारण अधिकतर भारतीय कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई जिसके कारण कंपनियों के शेयरों के भाव बहुत गिर गये और उनका आसानी से अधिग्रहण हो सकता है। चीन को इस मामले में खतरे के रूप में देखा जा रहा है। अभी हाल ही में चीन के पीपल्स बैंक मैं भारत के सबसे बड़े हाउसिंग लोन बैंक एचडीएफसी गैरों को बड़ी संख्या में खरीद कर अपनी हिस्सेदारी 0.8 प्रतिशत से 1.01 प्रतिशत कर ली। महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल का लाभ चीन ने उठाना शुरू कर दिया है और यह उसकी विस्तार वादी मंशा की पहचान है।





बात यहीं तक हो तो गनीमत है। चीन ने पड़ोसी देश पाकिस्तान को बढ़ावा देकर भारत के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है। अभी हाल में पता चला कि पाकिस्तान के लोग कश्मीर में जमीन खरीद रहे हैं और फिर वहां की नागरिकता लेकर एक बहुमत तैयार कर लेंगे तथा पहले से आतंकवाद के कारण परेशान सरकार को और परेशान करेंगे। समय रहते हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने इसका पर्दाफाश कर दिया इसे लेकर भी चीन काफी परेशान है। चीन बड़े ही सूक्ष्म हथियारों का उपयोग कर रहा है ताकि सरकार को हवा भी न लगे और वह मालामाल हो जाए, आसपास के देशों में उसका वर्चस्व हो जाए। 2017 में भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन का नेतृत्व करने के लिए इथोपिया के मामूली राजनेता ट्रेडोस के पक्ष में वैश्विक समर्थन जुटाया। ट्रेडोस चीनी समर्थन था इसलिए जीत गए। हालांकि ट्रेडोस जीतने के लिए भारत की जरूरत नहीं थी। लेकिन चीन चाहता था उसके पक्ष दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की उपस्थिति जरूरी है ।2019 में वुहान में जिस महामारी की शुरुआत हुई उसे छिपाने के लिए चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद कर रहा है और नींद करता है कि कोविड-19 की लड़ाई में भारत दुनिया की मदद करे। चीन को रोकने के लिए भारत के सामने एकमात्र विकल्प है कि वह महामारी पर काबू करने की कोशिश करते वक्त स्थानीय क्षमता का विकास करें। भारत की अर्थव्यवस्था कठिनाई में पड़ गई है इससे कारोबार को नुकसान पहुंचेगा। चीन ने बहुत चालाकी से दुनिया को सेहत के मामले में गुलाम बनाकर मानवतावाद के क्षेत्र में वर्चस्व से जोड़ दिया है। उसने ताबूत से लेकर मास्क दस्ताने वेंटिलेटर इत्यादि की कमी के जरिए महामारी चीन को दुनिया के मसीहा के रूप में पेश किया है। शायद किसी को यकीन ना हो लेकिन कोविड-19 लोकतांत्रिक दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया नाकामियों में से एक है क्योंकि इसने चीन को नया भू राजनीतिक हथियार दिया और उस हथियार को चीन परोपकार के रूप में पेश कर रहा है। चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से या कहीं उससे मिलकर एक अफवाह फैलाया है अभी आरोप लगाने का समय नहीं है महामारी के खिलाफ सभी ताकतों को एक हो जाना चाहिए। यह अफवाह कुछ वैसा ही है जैसा द्वितीय विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों ने फैलाया था। उनके लिए लाखों यहूदियों को बचाने से ज्यादा महत्वपूर्ण था हिटलर को हराना। हमारे देश के कुछ बुद्धिजीवी नरेंद्र मोदी के पूंजीवाद में दोष निकाल रहे हैं समझ में नहीं आ रहा क्यों वे लोग दुनिया कि चीन को खुश करने की कोशिश में क्यों हैं। भारत को ऐसे भीतरी और बाहरी मतलबपरस्तों से सावधान रहना होगा। आज पाकिस्तानी कारगुजारी मैं चीन की उपस्थिति साफ दिख रही है कल आर्थिक केंद्रों में चीन की मौजूदगी दिखने लगेगी और फिर हम धीरे धीरे उससे डरने लगे और हर कदम पर उसकी बात मानने को तैयार दिखाई पड़ेगे। सरकार इस बात को समझ चुकी है और चीन के बढ़ते कदम को रोकने की तैयारी में लगी है।

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