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Thursday, May 28, 2020

भारत चीन सीमा पर बर्फ पिघली



भारत चीन सीमा पर बर्फ पिघली


भारत चीन के बीच संबंधों में तनाव आ गया था और ऐसा लग रहा था कि बस जंग होने वाली है। लेकिन भारत का जवाबी रुख देखकर चीन थोड़ा नरम पड़ गया और भारत में चीनी राजदूत सुन वेइडोंग ने कहा कि मतभेदों का असर द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ने देना चाहिए और आपसी विश्वास बढ़ाया जाना चाहिए। यह भाषा कूटनीतिक है और समझने वाली है अगर कोई पक्ष संबंधों पर असर नहीं डालना चाहता तो फिर मतभेद होंगे ही क्यों? झूठ बोलना चीन के डीएनए में शामिल है। 1960 के दशक में हिंदी चीनी भाई भाई और पंचशील के नारों की गुहार करता चीन भारत में घुस आया था और भारत को काफी हानि उठानी पड़ी थी। उस समय लद्दाख में चीन का जिओ पॉलीटिकल वर्चस्व था। आज भारत की तैयारी देखकर चीन ने यह समझ लिया कि यह मोदी का भारत है और मुंह तोड़ जवाब मिलेगा। वैसे भी चीन दुनिया भर में अपने विरोध के कारण बहुत ज्यादा उग्र नहीं हो सकता। क्योंकि उसने देख लिया चीनी तैयारी के खिलाफ भारत तो तैयार है ही अमेरिका भी मध्यस्था करने को खड़ा है। यही कारण था चीनी राजदूत ने सैन्य गतिरोध कहा कि बातचीत के जरिए मतभेद सुलझाए जाने चाहिए। चीन के राजदूत ने कहा हमें मूल निर्णय का पालन करना चाहिए कि दोनों देशों के पास एक दूसरे के लिए अवश्य हैं दोनों को एक दूसरे से कोई खतरा नहीं है। हमें एक दूसरे के विकास के लिए सही तरीके से देखने और रणनीतिक विश्वास बढ़ाने की जरूरत है। चार मोर्चा पर भारत और चीन आमने सामने है। पिछली 5 और 6 मई को पेंगोंग त्सो में दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ने के बाद क्षेत्रों के साथ-साथ उत्तरी सिक्किम और उत्तराखंड के कई अन्य विवादित क्षेत्रों में भी दोनों देशों ने अपनी फौज बढ़ा दी थी। चीनी राजदूत ने कहा और भारत को अच्छे पड़ोसी चाहिए और एक साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए चाहिए। राजदूत ने कहा दो प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन को निवेश उत्पादन क्षमता और अन्य क्षेत्रों में व्यवहारिक सहयोग मजबूत करना चाहिए तथा सामान्य हितों का विस्तार करना चाहिए।


इस पूरे गतिरोध की वजह भारत द्वारा लद्दाख में अक्साई चिन की गलवां घाटी में महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण है जिसे लेकर आपत्ति जता रहा है। गत 5 मई को वहां तैनात भारतीय और चीनी सेनाओं में जमकर मारपीट हुई इसमें डंडे और रॉड्स का खुलकर उपयोग हुआ। दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए। दरअसल , गद्दाख में निर्मित दार- श्योक- दौलत बेग ओल्डी रोड मैदानी इलाका ग्लवान घाटी तक जाता है। इस सड़क को सीमा सड़क संगठनने बनाया है। सीमा सड़क संगठन भारत सरकार की एजेंसी है और वह पड़ोसी मित्र देशों के सीमाई इलाके में बनाता रहा है। चीन की इन हरकतों के पीछे उसकी घबराहट भी है। भारत में उस क्षेत्र में 3023 किलोमीटर लंबी 61 सड़कों निर्माण की योजना बनाई है। इन सड़कों को रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इनमें से 2305 किलोमीटर सड़क का काम पूरा हो चुका है और बाकी पर काम तेजी से चल रहा है। चीन का कहना है भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सड़क का निर्माण कर रहा है जबकि भारत का कहना है कि वह अपनी सीमा के भीतर सड़के बना रहा है और किसी मूल्य पर इसे बंद नहीं किया जाएगा। हालांकि, फिलहाल, अस्थाई तौर पर सड़क बनाने का काम रोक दिया गया है लेकिन दोनों देशों ने सीमा पर सैनिकों की गश्त बढ़ा दी है। भारत ने कहा कि चीनी सेना लद्दाख सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त में बाधा डाल रही है। भारत ने बीजिंग के उस दावे का खंडन किया है जिसमें उसने कहा है भारतीय सेना के चीनी सीमा में घुसपैठ के कारण तनाव बढ़ा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीमा पर सभी गतिविधियां चीन की तरफ से हैं भारत तो सदा बहुत जिम्मेदाराना रुख अपनाता है। लेकिन भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।


भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान से 1 दिन पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खराब स्थिति की कल्पना करते हुए अपनी सेना को युद्ध की तैयारी में तेजी लाने का हुक्म दिया और कहा कि सेना पूरी दृढ़ता के साथ संप्रभुता की रक्षा करे। लेकिन भारत के जवाब के बाद उसका और उसने कहा कि हम बातचीत और विचार-विमर्श के माध्यम से मसलों को सुलझाने में सक्षम हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों ने सीमा संबंधित तंत्र और कूटनीतिक माध्यम स्थापित किए है। हालांकि कुछ टिप्पणीकार चीन की सकारात्मकता देख रहे हैं जबकि यह एक भुलावा भी हो सकता है। कौटिल्य ने अपनी विश्व विख्यात पुस्तक अर्थशास्त्र में लिखा है कोई भी जीव अगर स्वभाव के विपरीत कार्य करें तो उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

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