उड़ान हौसलों से होती है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार की रात राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने एक जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही वह थी कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए हमारा आत्मनिर्भर होना।उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से दुनिया को मुकाबला करते हुए 4 महीने से ज्यादा हो गये। इस दौरान दुनिया भर में 42 लाख से ज्यादा कोविड-19 से संक्रमित हुए और तीन लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई। भारत में भी अनेक परिवारों ने अपने स्वजन खोए हैं। प्रधानमंत्री ने सब के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, एक छोटे से वायरस ने सारी दुनिया की करोड़ों जिंदगियों को तबाह कर दिया। सब लोग एक तरह से जंग में जुटे हैं। यह इतिहास में अभूतपूर्व घटना है। पूरी दुनिया के लोगों को टूटना , बिखरनाऔर पराजित होना मंजूर नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी नियमों का पालन करते हुए अब हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है। जब पूरी दुनिया संकट में है तो हमें भी इसे पराजित करने के लिए संकल्प लेना होगा और हमारा संकल्प इसके आतंक से भी विराट होगा। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कि “हम पिछली शताब्दियों से ही लगातार सुनते हैं होगी। आज हमें कोरोना से पहले की दुनिया, वैश्विक व्यवस्थाओं को विस्तार से देखने का और समझने का मौका मिला है। कोरोनो संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रहीं हैं उन्हें हम लगातार देख रहे हैं।जब इन दोनों काल खंडों को भारत के नजरिए से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की दो यह हमारा सपना ही नहीं यह हम सबकी जिम्मेदारी भी हैं। लेकिन इसका मार्ग क्या हो? विश्व की आज की स्थिति सिखाती है इसका मार्ग एक ही है आत्मनिर्भर भारत। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हम एक बहुत अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है। “
प्रधानमंत्री ने अपनी बात का एक उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि जब कोविड-19 आरंभ हुआ तो हमारे देश में एक भी पीपीई किट नहीं बनते थे। एन 95 मास्क का नाम मात्र का उत्पादन होता था। आज हमारे देश में हर रोज 2 लाख पीपीई किट और लगभग इतने ही एन 95 मास्क बन रहे हैं। यह हम इसलिए कर पाए भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। आपदा को अवसर में बदलने कि भारत की दृष्टि आत्म निर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी शुद्ध होने वाली है। आज दुनिया में आत्मनिर्भर शब्द के अर्थ बदल गए हैं। ग्लोबल विश्व में आत्मनिर्भरता की परिभाषा बदल रही है। अर्थ केंद्रित वैश्वीकरण बनाम मानव केंद्रित वैश्वीकरण की चर्चा आज जोरों पर है और विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन आज आशा की किरण है । भारत की संस्कृति आत्मनिर्भरता की बात करती है जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है। भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है तो आत्म केंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता।
20 मिनट से ज्यादा लंबे भाषण प्रधानमंत्री ने एक बार भी अस्पताल शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में उन्होंने कोई बात नहीं कही। प्रधानमंत्री ने इलाज या उपचार शब्द का प्रयोग किया विदेशों को भेजी गई दवाओं का जिक्र जरूर किया। कोरोना से जंगकी रणनीति का खुलासा नहीं किया। यही नहीं उन्होंने अपने पूरे भाषण में तीन बार लॉक डाउन शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने लॉक डाउन चार की बात करते हुए कहा कि यह बिल्कुल बदला हुआ होगा नए रंग रूप वाला होगा नए नियमों वाला होगा।प्रधानमंत्री में ढाई हजार शब्दों के भाषण में केवल तीन बार गरीब शब्द का इस्तेमाल किया। साफ पता चलता है गरीबों और बीमार लोगों के प्रति कितने संवेदनशील हैं। उन्होंने ऐसे लोगों में सहानुभूति भरने के बदले उनमें आत्मबल भरा। उन्होंने इसके लिए उम्मीद जगाई 20 लाख करोड़ रुपयों के आर्थिक पैकेज की। उन्होंने कहा कि 18 मई से लागू होने वाले लॉक डाउन 4 का स्वरूप एकदम बदला हुआ होगा। यानी उन्होंने संकेत दे दिया कि कारोबार पूरी तरह बंद नहीं होंगे और कई सेवाएं चलेंगी। उन्होंने बहुत खास बात कही। प्रधानमंत्री ने आर्थिक पैकेज की घोषणा करते हैं असंगठित क्षेत्र यानी प्रधानमंत्री ने यह संकेत दिया कि चाहे संगठित क्षेत्र हो या असंगठित पैकेज में सबके लिए कुछ ना कुछ है और जल्दी ही महत्वपूर्ण फैसलों का ऐलान किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह स्पष्ट किया कि देश में बड़े पैमाने पर सुधार किए जाएंगे। उन्होंने इन सुधारों की रूपरेखा बताते हुए कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लिए बोल्ड रिफॉर्म्स की जरूरत है और इन रिफॉर्म्स की प्रतिबद्धताओं के साथ अब देश को आगे बढ़ना अनिवार्य है। उन्होंने एक नया शब्द जैम दिया। जैम का अर्थ है जे ए एम यानी जनधन, आधार, मोबाइल। इनसे नियंत्रित सुधारों का असर हमने देख लिया है। अब सुधारों के उस दायरे को व्यापक करना है उसे नई ऊंचाई देनी है। यह रिफॉर्म्स खेती से जुड़ी सप्लाई चेन में होंगे, ताकि किसान सशक्त हो सकते हैं और भविष्य किसी भी संकट के समय उन पर कम से कम प्रभाव पड़े। यह रिफॉर्म्स टैक्स सिस्टम में होंगे। पूरा का पूरा टैक्स सिस्टम सरल, स्पष्ट, बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर और सक्षम मानव संसाधन के साथ एक मजबूत फाइनेंसियल सिस्टम के लिए तैयार किए जाएंगे। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिए पांच स्तंभों का जिक्र करते हुए उसका खुलासा किया। पहला होगा इकॉनमी यानी अर्थव्यवस्था। इससे अर्थव्यवस्था में क्वांटम जंप या कह सकते हैं हनुमान कूद आएगा। दूसरा स्तंभ है इंफ्रास्ट्रक्चर, तीसरा हमारा सिस्टम चौथा हमारी डेमोक्रेसी और पांचवा डिमांड यानी हमारा ही उत्पादन होगा उसकी मांग बढ़े । प्रधानमंत्री के अनुसार आज विश्व की स्थिति हमें सिखाती है आत्मनिर्भर होना। एक राष्ट्र के रूप में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों में प्रचंडआत्मबल भरने के लिए कहा कि यह स्थिति एक संदेश एक अव- सर भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह देश इस अवसर का लाभ जरूर उठाएगा। मुश्किलें और अभाव हमें रोक नहीं सकते हम अपनी मंजिल हासिल करके ही रहेंगे। यह हमारा हौसला है हमारे भीतर का आत्मबल है हम लक्ष्य को प्राप्त करेंगे ही। छोटी-छोटी मुश्किलें हमें नहीं रोक सकती। लेखक मृत्युंजय कुमार सिंह नए हाल के उपन्यास ” गंगा रतन विदेसी” में लिखा है एक चुटकी नमक पूरे देश को घुटनों पर ला सकता है और गांधी जी ने इसी एक चुटकी नमक के लिए आंदोलन कर देश को आजाद कर दिया अंग्रेजों ने भारतीयों के आगे घुटने टेक दिए। यानी मुश्किलें कैसी भी हों हौसलों से ही उड़ान होती है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन 130 करोड़ जनता में इन हौसलों को भर दिया।
ये कैंचियां क्या खाक हमें उड़ने से रोकेंगी
उड़ान पंखों से नहीं हौसलों से हुआ करती है
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