प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर लगातार शिकंजे कसते जा रहे हें और इसकी पीड़ा से छटपटाते केजरीवाल कुछ का कुछ बयान दे रहे हैं, बिल्कुल अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। अभी पिछले हफ्तने की बात है कि सी बी आई ने दिल्ली के ख्यिमंत्री के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को दुबारा गिरफ्तार किया है। इसके पहले भी उन्हें इसी आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन अदालत ने सबूत कमजोर होने के कारण उन्हें रिहा कर दिया और सी बी आई को डांट भी लगायी। इसबार फिर उन्हें सी बी आई ने गिरफ्तार किया है तो यह विश्वास किया जा सकता है कि इस बार सी बी आई ने नये सबूत जमा किये होंगे। अब सबूत क्या है और उसका वजन कितना है यह जानने में तो समय लगेगा पर इस गिरफ्तारी से दिल्ली की अफसरशाही में एक संदेश तो गया ही कि ज्यादा उत्साह दिखाने से दंडित किया जा सकता है।यही नहीं पार्टी को भी संदश गया है कि पंजाब , गोवा और गुजरात में पैर पसारने की तैयारी का नतीज क्या होगा। दिल्ली सरकार में दिल्ली और अंडमान निकोबार सेवा के 300 अफसरों की जगह है जिसपर केवल 135 अफसर भेजे गये हैं और राजेंद्र कुमार की गिरफ्तारी के बाद इन 135 में से 11 का तबादला हो गया है। यानी दिल्ली सरकार के पास महज 124 अफसर हैं जो काम देख रहे हैं। नतीजतन सारे काम देर से होंगे और उससे जन असंतोष बढ़ेगा। मुख्यमंत्री कार्यालय में 5 अफसरों के पद हैं जिनमें दो गिरफ्तार किये जा चुके हैं , एक का तबादला हो गया है और एक स्थाई तौर पर स्टडी लीव पर है। मतलब कि केवल एक अफसर के कंधे पर सारा बोझ है। अब आप वाले यह नहीं समझ पा रहे हैं कि मोदी बदला ले रहे हैं या हमले कर रहे हैं। क्योंकि मोदी पिछले चुनाव में केजरीवाल या कहें आप के हाथों पराजित हो चुके हैं। वैसे भी भाजपा और मोदी जी आप और केजरीवाल को भारी चुनौती महनते हैं और भाजपा के रणनीतिज्ञ यह मानते हैं कि अगर इसके पर अभी नहीं कतरे गये तो आगे बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिये माना जा रहा है कि मोदी उन लोगों को छोड़ेंगे नहीं जिनसे डर है कि वे आगे चल कर पंजे लड़ा सकते हैं। केजरीवाल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी के सामने कैसी चुनौती खड़ी कर दी थी यह सबको मालूम है। उन्होंने मोदी के गुजरात मॉडल की यह कह कर पोल खोलनी शुरू की कि इससे केवल अमीरों को ही लाभ मिला है। इसके बाद विधानसभा चुनाव में मोदी अपराजेय छवि के बावजूद केजरीवाल ने उन्हें धूल चटा दी। दिल्ली चुनाव के पहले राजनीतिक मनोविज्ञानी आशीष नंदी ने इकॉनमिस्ट पत्रिका में अपने एक लेख में कहा था ‘जब तक अरविंद समाप्त होंगे मोदी का कद छोटा हो चुका रहेगा।’ बिहार का चुनाव और इसके बाद बंगाल का चुनाव इसकी मिसाल है कि मोदी का जादू कामयाब नहीं हो सका। लेकिन चुनाव का मैदान ही नही जहां केजरीवाल ने मोदी जी को परेशान किया बल्कि उनके(मोदीजी ) बारे में अनर्गल ट्वीट्स करके भी उनकी गरिमा को आघात पहुंचाया। इस संघर्ष का मूल कारण यह नहीं कि मोदी जी का स्वभाव जरा कठोर है बल्कि यह है कि प्रधानमंत्री केवल शासन का प्रमुख ही नहीं होता उसका देश और पार्टी पर एक अदब भी होता है। इधर केज्रीवाल की बातचीत से ऐसा लगता है कि उनमें सत्ता या अधिकार सम्पनन लोगों की बेअदबी अथवा हेठी करने की आदत है। ऐसा लगता है कि वे राजनीतिक हस्तियों को नीचा दिखाने की लत से ग्रस्त हैं। हालांकि वे भी राजनीतिक समाज से हैं पर उनकी विरोधी छवि ही मशहूर है। वे अपने स्वभाव के कारण ऐसा दिखते हैं मानों राजनीति से दूर एक आम आदमी हैं। इसलिये वे देश के सबसे ताकतवर आदमी को लगातार सुइयां चुभोते रहते हैं और जहां तक मोदी जी का प्रश्न वे केजरीवाल को एक ऐसा आदमी मानते हैं जो ना खुद खेलेगा ना दूसरे को खेलने और खेल बिगाड़ देगा, वे केजरीवाल को एक अराजकतावादी मानते हैं। इसके बावजूद मोदी उन्हें नजरअंदाज कर देते पर चूंकि वो दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं औरर दिल्ली दश की मीडिया का केंद्र है। दानों के बीच की मामूली कहा सुनी भी बड़ी खबर बन जाती है। यही नहीं , आप पार्टी पंजाब और गोवा में भी पैर पसार रही है। देश में भाजपा और कांग्रेस को छोड़ सारी पार्टियां एक राज्य में सिमटी हुईं है। वामपंथी दो राज्यों में हैं। अगर आप ने पंजाब और गोवा में खाता खोल लिया तो वह खुद को राष्ट्रीय पार्टी घोषित कर देगी और एक नया सिरदर्द पैदा हो जायेगा। इसीलिये मोदी और भाजपा ने ‘संशोधनात्मक’ कदम उठाने का फैसला किया है और मोदी तथा केजरीवाल में पंजा लड़ाई का मुख्य कारण यही है। अब गुस्साये केजरीवाल ने अनर्गल बोलना आरंभ कर दिया है।
Thursday, July 28, 2016
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