CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Tuesday, July 5, 2016

भारत के संदर्भ में ढाका का हमला

बंगलादेश में आई एस के हमल और उस परिप्रक्ष्य आने वाले दिनों इसकी गतिविधि का विश्लेषण जरूरी है। इस एक वर्ष में आई एस ने चार महादेशों में हमले किये इससे लगता है कि उसकी आइडियॉलॉजी कातिजी से प्रसार हो रहा है ,जबकि विशेषज्ञों के अनुसार इराक और सीरिया में इसका विस्तार तेजी से घट रहा है। इराक और सीरिया में वह कई क्षेत्रों में एक तरह से अपनी खिलाफत(खलीफा का साम्राज्य) कायम कर चुका है। पिछले एक हफ्ते में उसने खिलाफत की सरहदों से बाहर आ कर तीन बड़े हमले किये। पहला इस्ताम्बुल में , दूसरा ढाका में और तीसरा बगदाद में। इतन हमलों से जाहिर होता है कि उसकी पहुंच खिलाफत की सरहद के बाहर किसी भी दिशा में है और किसी भी दूरी पर वह हमले को अंजाम दे सकता है। खिलाफत की फौजी भाषा में इसे यलगार कहते हैं। यानी वह कहीं भी यलगार कर सकता है।  इन हमलों के पहले पेरिस और ब्रुसेल्स में भी हमले हुये थे पर जैसु कि रिपोर्ट मिली ये हमले आई एस से जुड़े गिरोह ने यि थे पर ढाका और इस्ताम्बुल के हमले में जो देखा गया एक साम्य था और था योजनाबद्ध ढंग से सुविचारित हमला। यही नहीं दोनो देश सुन्नी बहुल हैं। आई एस भी अनुयायी है। इसलिये कुछ लोगों ने कहा कि रमजान में सुन्नियों को सुन्नियों द्वारा मारा जाना उस आतंकी समूह के सिद्धांतों के प्रतिगामी हे। पर मरने वालों की सूची देख कर पता चलेगा कि निशाने पर विदेशी थे ना कि वहां के आवासी। जो आवासी मरे हैं ‘वे कार्रवाई बाधा पहुचाने के कारण के शिकार हुये।’ पिछले हफ्ते आई एस के खिलाफत के दो साल पूरे हुये। इसने इस अवसर पर एक चार्ट जारी किया है जिसमें उसकी मौजूदगी किन किन देशों में हैं उसका जिक्र है। इसमें फ्रांस के अलावा भारत समेत15 मुल्कों के नाम हैं। इस सूची में जिनके नाम नहीं हैं वे भी आतंकित हैं। भारत में कई दर्जन नौजवानों को इसने ट्रेंड किया है। बंगला देश, तुर्की , नाइजीरिया, अफगानिस्तान , लीबिया, ट्यूनिशिया, सऊदी अरब, मिस्र और कुवैत समेत कई देशों में उसके हमले साफ बताते हैं कि उसकी आडियॉलॉजी का प्रसार कितने प्रभावशाली ढंग से हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसके साम्राज्य का प्रसार घट रहा है पर प्रभाव क्षेत्र बढ़ता जा रहा है। इससे लगता है कि आई एस आतंकवाद का आतंक और कायम करेगा जिससे उसका वैश्विक प्रभाव बढ़े। इस प्रभाव प्रसार के लिये वह सभी देशों के नौजवानों को एकत्र कर ट्रेंड करता है।  हाल के चारों हमले उसकी मंशा के उदाहरण हैं। पिछले महीने , टाइम पत्रिका के अनसार, सी आई ए के निदेशक जॉन केरी ने सिनेट को बताया था कि इन दिनो आई एस दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी संगठन है और यह अपना वर्चस्व कायम करने के लिये कहीं भी हमले करने में सक्षम है। आई एस के बारे में लगातार मिल रही प्रमाणिक खबरों से पता चलता है कि इतिहास में जिन देशों पर मुस्लिम खास करसिन्नी मुस्लिम साम्राज्य था उन देशों में अपना वर्चस्व कायम करने के लिये वह हमले कर सकता है। विशेषक्षों के अनुसार वह रोम पर भी आक्रमण कर सकता है और भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता है। इस्ताम्बुल और ढाका में जो हमले हुये उनके  विश्लेषण से एक बड़ी खोफनाक सच्चाई दिखती है। वह है कि फकत चार लोग एयरपोर्ट या कैफे में  घुसते हैं और इतनी बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हैं। यह एक उदाहरण है जिसका दूरगामी सामाजिक प्रभाव पड़ सकता है। बड़ी साजिशी ढंग से उसने धर्म से धर्म तंत्र को अलग कर दिया। देश में खास कर शहरों बुर्काधारी महिलाओं और गोल टोपी वाले नौजवानों की बढ़ती संख्या  हिंदुस्तानियत के लिये खतरनाक संकेत है। भारत में अर्से से धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक  सौहार्दता को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है।  भारत सरकार और भारतीय समाज को पूरी तरह सतर्क रहना होगा। इस मामले में दुनिया को एकजुट होकर इसके घृणित इरादे को जल्दी से जल्दी परास्त करना होगा।

0 comments: