प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल का मंगलवार को दूसरा विस्तार किया । हालांकि जब उन्होंने सत्ता संभाली थी तो जनता को कहा था कि वेछोटे से छोटे मंत्रि मंडल से सुशासन लायेंगे। उनका नारा था ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्ननेंस।’ उन्होंने शासन की शुरूआत 48 मंत्रियों से की थी। लेकिन ऐसा लगा कि वे दबावों के सामने झुक गये और अब दूसरी बार उन्होंने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। अब विस्तारित मंत्रिमंडल में कुल 78 मंत्री हो गये। संविधान में प्रधनमंत्री समेत कुल 82 मंत्रियों की अनुशंसा है। मंत्रियों की यह संख्या उतनी ही है जितनी मनमोहन सिंह के काल में थी। सभी जानते हैं कि उस संमय इस संख्या के कारण ही मंत्रियों और मंत्रालयों में अक्सर ठनी रहती थी। उतने ही मंत्री हैं जितने मनमोहन राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक सादे समारोह में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्तमंत्री अरुण जेटली के अलावा कई और केंद्रीय मंत्री, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आदि उपस्थित थे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस समारोह में शामिल नहीं हुईं। उन्होंने ट्वीट किया कि हंगरी के विदेश मंत्री के साथ बैठक की वजह से वो शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हो पा रही हैं। इतने बड़े विस्तार का मतलब साफ है कि वे अपने मंत्रियों को काम करने की खुली छूट देना चाहते हैं। लेकिन यह छूट कहीं काम नहीं करने का माहौल ना बना दे। क्योंकि इस विस्तार के बाद तो कहीं भी ‘मिनिमम गवर्नमेंट’ नहीं दिख रही है। अब गवर्नेंस का क्या होगा यह तो समय ही बतायेगा। लेकिन कुछ अच्छा होने की उम्मीद है इसका संकेत इस बात से भी मिलता है कि श्री जावड़ेकर का प्रोमोशन केवल इसीलिये हुआ कि उन्होने वन मंत्रालय मे पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की गड़बड़ी को कथित तौर पर खत्म कर दिया। धर्मेद्र प्रधान और पियूष गोयल की भी प्रोन्नति की संभावना थी पर ऐसा नहीं हो सका। साथ ही दो मंत्रियों के विभाग भी बदले गये। मसलन मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी से मानवसंसाधन विभाग ले लिया गया और उसे प्रकाश जावड़ेकर को सौंप दिया गया। स्मृति इरानी जबसे मानव संसाधन मंत्री बनीं थीं तबसे विवादों में थीं। स्मृति इरानी को कपड़ा मंत्रलय दिया गया है। वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली के पास सूचना और प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार था उसे उनसे लेकर वैंकय्या नायडू को दे दिया गया। र्वैकया नायडू फिलहाल शहरी विकास और गरीबी उन्मूलन मंत्री हैं। इस विस्तार में केवल एक मंत्री का प्रोमोशन हुआ और पांच मंत्रियों को पद से हटा दिया गया। जिनका प्रोमेशन हुआ वह हैं श्री प्रकाश जावड़ेकर और जिन पांच राज्य मंत्रियों को बाहर कर दिया गया है वे हैं निहाल चंद, राम शंकर कठेरिया, सांवर लाल जाट, मनसुखभाई वासव और एम के कुदरैय्या। जिन 19 सांसदों को राज्यमंत्री बनाया गया है वे हैं- फग्गन सिंह कुलस्ते, एसएस आहलूवालिया, रमेश चंदप्पा, विजय गोयल, रामदास आठवले, राजेन गोहांई, अनिल माधव दवे, पुरुषोत्तम रूपाला, एमजे अकबर, अर्जुन राम मेघवाल, जसवंत सिंह सुमनभाई भभोर, डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय, अजय टाम्टा, कृष्णा राज, मनसुख लक्ष्मण भाई मांडविया, अनुप्रिया पटेल, सीआर चौधरी, पीपी चौधरी, डॉक्टर सुभाष रामराव भामरे। राज्यमंत्री बनाए गए अर्जुन मेघवाल राजस्थान के बीकानेर से लोकसभा सांसद और राजस्थान सरकार के पूर्व अधिकारी हैं। दिल्ली से आने वाले विजय गोयल को भी राज्यमंत्री बनाया गया है। वो राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं। गोयल अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। राज्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले विख्यात पत्रकार एमजे अकबर राज्यसभा सांसद हैं। राज्यमंत्री बनाए गए एसएस अहलूवालिया पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग से भाजपा के सांसद हैं। वो इससे पहले भी केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। रामदास आठवले राज्यसभा में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के सांसद हैं। उन्होंने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्य मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले अनिल माधव दवे मध्य प्रदेश से ज्यसभा सदस्य हैं।वहीं गुजरात से आने वाले जसवंत सिंह भभोर गुजरात सरकार में आदिवासी मामलों और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री रह चुके हैं। उन्हें मोदी कैबिनेट में राज्यमंत्री बनाया गया है। अपना दल की अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से लोकसभा सांसद हैं। अपना दल के लोकसभा में दो सांसद हैं। पटेल ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली।राजस्थान के पाली से लोकसभा सदस्य पीपी चौधरी ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वो सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं। राज्यमंत्री बनाए गए डॉक्टर सुभाष रामराव भामरे महाराष्ट्र के धुले से भाजपा के लोकसभा सांसद हैं।
वे सहारे भी नहीं अब जंग लड़नी है तुझे
कट चुके वे हाथ अब इनमें तलवारें ना देख
जिन सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है उनकी सूची देख कर तीन बातें सामने आती हैं पहली सोशल इंजीनियरिंग दूसरी चुनाव के मद्दे नजर सम्बद्ध राज्य में कुछ कार्य और जिन राज्यों में 2016 के चुनाव में थोड़ी बहुत सफलता मिली है वहां कुछ विशेषज्ञता से साथ कुछ कार्यो को अंजाम देने की योग्यता। यह विस्तार स्पळट संकेत है कि भाजपा के सामाजिक आधार को मजबूत करने की यह मोदी और अमितशाह की समरनीति है। कुल मंित्रयों में से 12 अनुसूचित जाति , जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के हैं। ये उन्नीस मंत्री देश के 10 राज्यों , उत्तरप्रदेश, राजस्थान , गुजरात, बंगाल, महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश , दिल्ली , उत्तराखंड, कर्नाटक और असम के प्रतिनिधि हैं। लेकिन इस सूची को देख कर निराशा होती है। मोदी जी से उममीद थी कि वे राजनीति में कोई नया आइडिया लायेंगे लेकिन उन्होने भी जातियों का ही सहारा लिया।
कहां तो तय था चरागां हर घर के लिये
यहां रोशनी मयस्सर नहीं शहर भर के लिये
जाति को समाज से बड़ा करने की कांग्रेसी कोशिश को हवा देते मोदी दिखायी पड़ रहे हैं। इस विस्तार को देख कर ऐसा लगता है कि राजनीति में सबकुछ पहले से तय है हम केवल इसे पोस सकते हैं या विपक्ष में बैठ कर कोस सकते हैं। किसी के पास कोई आइडिया नहीं है। सब केवल वही पुराना कीर्तन करते नजर आ रहे हैं और हम सब सुनने के लिये बाध्य हैं।
हमे जैसा चाहो बजाओ
हम आदमी नहीं झुनझुने हैं
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