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Friday, March 3, 2017

कैसा देश चाहते हैं ये

कैसा देश चाहते हैं ये

 इनदिनों भारतीय सेना के एक शहीद कैप्टेन की बेटी गुरमेहर कौर का मामला सोशल मीडिया में छाया हुआ है। उसे लगातार धमकियां दी जा रहीं हैं यहां तक कि उससे कुकर्म तक करने की दामकी दी गयी है। गुरमहर का दोष इतना ही था कि उसने कहा था कि उसके पिता को पाकिसतानियों ने नहीं मारा बल्कि ‘वे दो देशों में नफरत के कारण पैदा हुई जंग में मारे गये। ’ इसके बाद  रामजस कॉलेज में हुई घटना के बाद उसने सोशल मीडिया पर एक मफ्ती लिये हुए फोटो डाली कि ‘मैं ए बी वी पी से नहीं डरती।’ यह तो मालूम ही होगा कि ए बी वी पी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का छात्र संगठन है। इस लड़की का यह रुख संघी बंदाओं को खल गया और असे दामकियां मिलने लगीं। अबसे पहले कभी छात्र राजनीति का इतना पतन नहीं देखा गया है। गुरमेहर ने घोषणा की कि वह ‘डी यू बचाओ अभियान से बाहर आ रही है।’ विश्वविद्यालय परिसर में विद्यार्थी परिषद की हिंसा के बब में यह अभियान शुरू किया गया था। जिस देश में ‘बेटी बचाओ’ के नारे लगते हों उस देश में गुरमेहर की घोषणा बेहद मायनेखेज है। हम अपनी इक बेटी को बोलने का मुक्त वातावरण नहीं दे पा रहे हैं, जीने का वातावरण तांे दूर है। गुरमेहर कौर ने सोशल मीडिया पर चार मिनट का एक मूक वीडियो डाला था , जिसमें तख्तियों के जरिये हिंदू मुस्लिम एकता की बात कही गयी थी। जब बलात्कार की धमकी सोशल मीडिया पर आयी तो सरकार के कान खड़े हुये। वह चेतने लगी कि सेना के शहीद कैप्टेन की बेटी का मामला है अगर तूल पकड़ा तो समस्या हो जायेगी। गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने ट्वीट किया ‘एक नौजवान लड़की के दिमाग को कौन प्रदूषित कर रहा है।’ विदथीं परिषद के पूर्व नेता और अरुण जेटली ने भाजपा के छात्र संगठन का विरोध करने वालों को अलगावादी कह। भाजपा के इक सांसद प्रताप सिनहा ने गुरमेहर की तुलना अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम से कर डाली। दूरसंचार मंत्री रविशंकर ने कहा गुरमेहर के बारे में सोशल मीडिया में जो कहा गया है वह सही नहीं है पर उनहोंने साथ ही यह भी कह दिया कि रिजिजू ने कुछ गलत नहीं कहा है। बाद में रिजिजू ने अपने बयान का स्ब्पष्टीकरण देकर मामला और गर्म कर दिया। उनहोंने कहा कि वे केवल ‘‘वामपंथियों के विरोध में बोल रहे थे जो 1962 के भारत चीन युद्ध में भारत की पराजय पर खुशियां मनाते थे और राष्ट्रविरोदा नारे लगाते थे।’’ जो भी ये मंत्री- नेता कहने की कोशिश कर रहे थे उससे स्पष्ट हो रहा है कि विद्यार्थी परिषद का विरोध करने वालों को निशाना बना रहे थे और सबको राष्ट्र विरोधी बता रहे थे। पिछले साल जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में जो हुआ उस समय भी कुछ ऐसा ही कहा जा रहा था। इसपर कोई कुछ नहीं कह रहा है कि रामजस कॉलेज में विद्यार्थी परिषद वालों ने छात्रों के अलावा शिक्षकों को भी पीटा। यह तो उसी तरह का राष्ट्रवाद है जिसने रोहित वेमुला को खुकुशी करने पर मजबूर कर दिया। हमारे नेताओं और सरकार ने कभी यह सोचा है कि विश्वविद्यालय परिसर में जो कुछ भी वे कर रहे हैं वह विश्वविद्यालय की शिक्षा को कैसा बना देगा? बंगाल में लम्बे मार्क्सवादी शासन में कलकत्ता विश्वविद्यालय को इसी तरह के आंदोलनों ने कैसा बना दिया यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है। तब भी हमारे मंत्री सबक नहीं ले पा रहे हैं। वे यह नहीं सोच रहे हैं कि किस तरह कह देश वे गढ़ रहे हैं जहां खुली अभिव्यक्ति पर पाबंदी लग रही है। हर विरोधी गतिविधि को राष्ट्रविरोधी बताना तथा उनपर हमला करने वालों को पुलिस की मदद से हिफाजत देना एक तरह से विरोध को मारना है। दिल्ली महिला आयोग ने पु​लिस को कहा है कि गुरमेहर कौर से कुकर्म की जिन लोगों ने धमकियां दी हैं उनपर प्राथमिकी दर्ज की जाय। गृहमंत्री ने बी कार्रवाई का निर्देश दिया है पर पुलिस ने अभी तक कुछ नहीं किया। मंत्रियों की प्रतिक्रियाओं ने संघी तत्वों को और प्रोत्साहित किया जा रहा है और अब तो गुरमेहर के तार राजनीतिक दलों से जोड़े जा रहे हैं। अगर यह सच है तो इससे क्या होता है? क्यों एक पार्टी के साथ जुड़ना सही है और दूसरी के साथ जुड़ना गलत? गुरमेहर के पिता की शहदत पर भी फब्तियां कसीं जा रहीं हैं। यह पूछा जा रहा है कि क्या वे कारगिल में मारे गये थे या कुपवाड़ा मे? इससे कुछ होने वाला नहीं है सिवा इसके कि गुरमेहर और असकी मां को भयानक भावनात्मक आघात के। इस राह पर चलने से ज्यादा अच्छा होता कि सरकार कॉलेज कैम्पसेज का वातावरण स्वस्थ करने की कोशिश करे जहां मुक्त अभिव्यक्ति की आजादी हो। जो लोग कैम्पसेज में गुंडा गर्दी करते हैं उन्हे पकड़ा जाना चाहिये तथा गुरमेहर जैसी छात्राओं को हत्या तथा कुकर्म की धमकी देने वालों की पड़ताल कर उन्हें सजा दी जानी चाहिये। दुर्भाग्यवश यह सब नहीं हो पा रहा है। समझ में नहीं आता कैसा भारत चाहते हैं ये लोग?

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