अब भयानक संक्रमित चिकेन भी बाजार में
भारी पैमाने पर महामारी फैलने का खतरा
हरिराम पाण्डेय
कोलकाता : अभी अखाद्य और सड़े मांस को होटलों- रेस्तराओं में खिलाये जाने की घटना की गूंज बाकी ही हे कि जानलेवा जीवाणुग्रस्त मुर्गियों (चिकेन) को कोलकाता और आसपास के शहरों सहित सीमावर्ती राज्यों के बाजारों में बहुत तेजी से बेचे जाने की खबर है। इन मुर्गियों में निमोनिया के इतने खतरनाक जीवाणु हैं कि इससे 4 महीने से एक साल के बीच लगभग 3 लाख लोगों की मौत हो सकती है और इतने ही पशुपक्षी बीमार हो सकते हैं जो इन जीवाणुओं के वाहक के रूप में महामारी और फैला सकते हैं।
अमरीका में विगत तीन वर्षों से अमरीका में ए (एच7एन9) एवियन फ्लू के उपचार के लिये लगभग एक लाख मुर्गियों पर प्रयोग चल रहा था। ये वाइरस पक्षियों और पशुओं के लिये बहुत खतरनाक थे और इनका तेजी से संक्रमण होता था। जून 2015 में इस बीमारी से 5 करोड़ पक्षी मरे थे ओर अमरीकी अर्थ व्यवस्था को 3.3 अरब डालर का आघात लगा था। गत वर्ष यानी 2017 के सितम्बर में प्रयोग के दौरान अचानक 15 लाख मुर्गियों में एच5एन6 के वाइरस देखे गये जो पक्षियों के लिये हानिकारक नहीं थे बल्कि मनुष्यों के लिये अतिमारक थे। " एशियन पैसेफिक जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल बायोमेडिसिन " के मुताबिक ये वाइरस हथियार की तरह मारक हैं और बेहद खतरनाक हैं। यह संक्रामक है और अन्य पक्षियों मनुष्य तथा जीव जंतुओं में में तेजी से फैलता है। इस का असर चार महीनों में दिखने लगता है।
इन मुर्गियों को प्रयोगशाला से तत्काल बाहर कर दिया गया। सावधानीवश भारत सरकार ने इन मुर्गियों के आयात पर तुरत रोक लगा दिया। डब्लू टी ओ ने रोक हटाने के लिये हस्तक्षेप भी किया पर कुछ नहीं हुआ। 2018 की जनवरी में पाया गया कि लगभग एक लाख 33 हजार मुर्गिया वहां से गायब हो गयीं हैं। अत्यंत सुविज्ञ सूत्रों के मुताबिक उन मुर्गियों को भारत ले आया गया है और बेचा जा चुका है। अमरीकी विदेश विभाग के अनुसार ,संदेह है कि यह काम आतंकियों का है और वे समुद्री राह से इन्हें यहां ले आये हैं। अमरीका ने सरकारी तौर पर भारत सरकार के खाद्य विभाग को यह सूचना दे दी थीं ओर जब तक वह चेते तबतक मुर्गियां बिक चुकी थीं। भारत में पोल्ट्री का 50 हजार करोड़ रुपये का कारोबार है और पहले से ही जिनेटिकली मोडिफायड अनाज और सोया बीज खिलाये जाने वाली अमरीकी मुर्गियों को लेकर बवाल मचा हुआ है।
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