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Tuesday, April 14, 2020

प्रधानमंत्री ने देश से सहयोग मांगा

प्रधानमंत्री ने देश से सहयोग मांगा 

बैसाखी, पोहेला बैसाख और देश के विभिन्न कोनों में मनाए जाने वाले अलग-अलग त्योहारों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार की दोपहरी से कुछ पहले कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए पूरे देश से सहयोग मांगा। प्रधानमंत्री का रुख और उनकी बॉडी लैंग्वेज एक नेता या देश के शासनाध्यक्ष की तरह नहीं थी, बल्कि घर के एक चिंतित बुजुर्ग जैसी थी। ऐसा बुजुर्ग जो अपने परिवार के दुख-सुख  के लिए लोगों को चेतावनी देता है और उनसे सहयोग की मांग करता है। यह पहला अवसर है जब प्रधानमंत्री का रुख ऐसा था। उन्होंने 3 मई तक  लॉक डाउन बढ़ाने की घोषणा की। बेशक मीन मेख निकालने वाले इसका तरह तरह से इंटरप्रिटेशन कर सकते हैं। लेकिन, स्पष्ट रूप से देखा जाए तो उनका रुख परिवार के मुखिया की तरह था जो हर सदस्य के लिए उसके कल्याण के लिए चिंतित था।
      अगर मंगलवार की सुबह तक के आंकड़े देखें तो हमारे देश में कोरोनावायरस से संक्रमित कुल 10363 मामले हुए जिनमें 1036 स्वस्थ हो गए और 339 लोगों की मृत्यु हुई ।130 करोड़ की आबादी में 339  लोगों का किसी खास महामारी से मारा जाना बहुत बड़ी संख्या नहीं है। लेकिन , नरेंद्र मोदी ने इसे अपने दिल पर लिया है और इस बीमारी से लड़ने के लिए पूरे देश से सहयोग मांगा है। इस जंग के लिए एक मोहलत तय की गई है और उस मोहलत को 3 मई मान कर मौजूदा लॉक डाउन की अवधि को बढ़ा दिया गया है। प्रधानमंत्री ने यह कदम खुद से नहीं उठाया उन्होंने लड़ाई कैसे लड़ी जाए उसके लिए राज्यों से निरंतर चर्चा की और सब ने यही सुझाव दिया कि लॉक डाउन को बढ़ा दिया जाए। सारे सुझाव को देखते हुए लॉक डाउन  की अवधि बढ़ाई गई है। प्रधानमंत्री ने देश को बताया कि इस लॉक डाउन के कारण भारत जानहानि   को टालने में सफल रहा है। बेशक इसके कारण दिक्कतें बहुत हुई है। चाहे वह खाने पीने की परेशानी हो या फिर आने जाने की। लेकिन जो बीमारी फैल रही है वह ज्यादा घातक ना हो जाए इसलिए देश के हर नागरिक को अपना कर्तव्य निभाना होगा। लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंसिंग से बहुत लाभ मिला है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने यह जरूर कहा है कि यह आर्थिक दृष्टि से बहुत महंगा पड़ेगा। लेकिन वह महंगा  होना देश के लोगों की जान से ज्यादा महंगा नहीं है। उनकी जिंदगी का सामने इस महंगे होने का कोई मूल्य नहीं है। जान है तभी तो जहान है।
       प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर काफी बल दिया कि कोरोना के संक्रमण को नए क्षेत्रों में नहीं बढ़ने देना है और इसके लिए हॉटस्पॉट की निशानदेही कर सतर्कता बरतनी होगी। जिन क्षेत्रों में हॉटस्पॉट बनने की आशंका है उनसे पहले ही सावधान हो जाना होगा और जहां आशंका कम है उन इलाकों में 20 अप्रैल के बाद बहुत मामूली छूट मिलेगी। लेकिन यह छूट भी सशर्त होगी। प्रधानमंत्री ने देश के द्वारा किए गए प्रयासों का भी जिक्र किया है और बताया कि जब हमारे यहां इसके प्रसार की हाय तोबा नहीं बची थी तब भी कोरोना प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग होती थी। भारत ने समस्या के बढ़ने का इंतजार नहीं किया इसलिए हमारे देश में हालात काफी संभले हुए हैं । प्रधानमंत्री ने 7 बातों को याद रखने की ताकीद की। ये बहुत जरूरी थी। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों का ख्याल रखें । हर घर में हर परिवार में कोई ना कोई बुजुर्ग होता है जिसे कोई न कोई बीमारी होती ही है। इसलिए उनका ख्याल रखना जरूरी है और साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय के निर्देशों का पालन करें साथ ही संक्रमण रोकने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप जरूर डाउनलोड करें। जो सबसे बड़ी दो बातें उन्होंने कहीं वह थी कि अपने आसपास रहने वाले गरीब परिवारों के भोजन की हर शख्स व्यवस्था करें ताकि कोई पड़ोसी भूखा न रहे साथ ही नौकरी करने वालों को नौकरी से नहीं निकालें। यह दोनों आखरी अपील अति मार्मिक थी और प्रधानमंत्री के बोलने का अंदाजभी इतना  मार्मिक था कि दिल में उतर जाए। वह कहते हैं ना
दिल की हालत अगर नहीं बदली तो
ऐहतियात- ए- नजर से क्या होगा
प्रधानमंत्री की अपील दिल में उतर जाने वाली थी और दिल को बदल देने वाली थी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक विगत 14 दिनों में देश के 15 राज्यों के 25 जिलों में संक्रमण का कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव है लव अग्रवाल ने बताया कि अब तक दो लाख कोरोना के टेस्ट हो चुके हैं और अगले 6 हफ्ते तक और टेस्ट करने की तैयारी है। इससे पहले आईसीएमआर के एक अध्ययन में कहा गया था लॉक डाउन जैसे कदम उठाकर भारत 62 से 89 प्रतिशत मरीजों की संख्या कम कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी कहना है कि अगर लॉक डाउन के साथ साथ टेस्टिंग और कांटेक्ट ट्रेसिंग की जाए तो संक्रमण बड़े कारगर ढंग से रोका जा सकता है। इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया में निदेशक डॉक्टर रोड्रिगो आफरीन के अनुसार कोविड-19 की रोकथाम के लिए भारत सरकार ने जो कदम उठाए वह सराहनीय हैं। भारत सरकार ने जो लॉक डाउन किया है साथ ही ट्रेन और बस सेवाओं को रोकने का फैसला किया इससे संक्रमण के फैलने की दर में कमी आएगी लेकिन इसके साथ ही टेस्टिंग और कांटेक्ट ट्रेसिंग करना  होगा। इन सारी परिस्थितियों में प्रधानमंत्री के सामने जान और जहान में संतुलन स्थापित करने की चुनौती थी। जिस चुनौती के लिए मंगलवार को उन्होंने देश की समस्त जनता से सहयोग मांगा। जो लोग अर्थव्यवस्था की सुस्ती की बात करते हैं उन्हें यह साफ समझना चाहिए प्लीज संक्रमण के विराट को सपाट बनाने के प्रयास से कहीं ज्यादा जरूरी है इस बात की निगरानी कि कौन संक्रमित है अथवा कौन नहीं है। इसलिए लॉक डाउन की अवधि को बढ़ाना आवश्यक था और देश के कल्यान को देखते हुए प्रधानमंत्री ने यह सहयोग मांगा। उचित होगा देश की पूरी जनता उनके साथ सहयोग करे:
वह मेरे घर नहीं आता मैं उसके घर नहीं जाता
मगर इन एहतियात से ताल्लुक नहीं मर जाता


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