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Wednesday, April 8, 2020

मामूली दवा को लेकर असाधारण हालात

मामूली दवा को लेकर असाधारण हालात 

मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर एक बार दुनिया का संतुलन गड़बड़ाता  नजर आ रहा है अमेरिका ने चेतावनी दी है कि अगर भारत ने यह दवा नहीं दी तो जवाबी कार्रवाई की जा सकती है। दरअसल यह बहुत पुरानी दवा है और बेहद सस्ती भी । अमेरिका में कोरोना पीड़ितों के इलाज के रूप में ट्रंप इसे देख रहे हैं वहां इस बीमारी से अब लगभग 16000 लोगों की मौत हो चुकी है और अट्ठारह लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो गए हैं। ट्रंप ने भारत से मदद मांगी है और कथित रूप में साथ में चेतावनी भी दी है कि अगर उसे यह दवा नहीं दी गई तो वह जवाबी कार्रवाई कर सकता है। यहां यह बता देना जरूरी है कि भारत में इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। खबर है कि भारत ने इस प्रतिबंध में आंशिक ढील का निर्णय किया है और कंपनियों को यह सुविधा मिल रही है कि वे पुराने आर्डर को भेजें। भारत में इसके निर्यात पर इसलिए रोक लगाई है कि वह चाहता है कि हम अपनी जरूरतों का आकलन कर सकें और हमारे पास पर्याप्त स्टॉक रहे। भारत में भी इसका उपयोग चुनिंदा लोगों पर किया जा रहा है। अमरीका ने पहले ही इस दवा के 2.9 करोड़ डोज का राष्ट्रीय स्टॉक तैयार कर लिया है।
    वैसे अभी इस दवा के कारगर होने की पुष्टि नहीं हुई है। यूरोपियन मेडिसन  एजेंसी ने कहा है कि कोरोनावायरस के इलाज में इस दवा का इस्तेमाल क्लीनिकल ट्रायल के अलावा नहीं किया जाना चाहिए। उधर विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में यह भी कहा है कि मीडिया के एक वर्ग में कोरोनावायरस से जुड़ी दवाओं को लेकर गैरजरूरी विवाद पैदा किया जा रहा है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा भी है की किसी भी जिम्मेदार सरकार की तरह हमारी भी पहली प्राथमिकता अपनी आबादी के लिए दवा को जमा करना है।  इस पर जो प्रतिबंध लगा था वह इसी को देखते हुए लगाया गया था। सरकार ने सभी परिस्थितियों का आकलन करने के बाद 14 दवाओं के निर्यात पर रोक लगा दी है लेकिन अभी यह रोक आंशिक तौर पर हटाई गई है।
     इसमें दो बातें बहुत ही महत्वपूर्ण लग रही हैं। पहली बात कि मलेरिया की दवा को लेकर कोरोना के मामले में इतनी हाय तौबा क्यों और दूसरी बात कि मोदी सरकार ने क्या कहा है? यद्यपि जिस दिन ट्रंप और मोदी की टेलीफोन पर बातचीत हुई थी उस दिन तो अमेरिकी विदेश विभाग ने भी बयान में कहा था की वार्ता बहुत ही अच्छी हुई ।
    अभी पहली बात पर आते हैं कि आखिर दवा को लेकर इतनी परेशानी क्यों? विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोनावायरस के इलाज में यह दवा कितनी प्रभावी है इसके प्रमाण नहीं हैं। कैसे अमेरिका के राष्ट्रपति ने मलेरिया में काम आने वाली दवाई का बार-बार जिक्र किया है। जबकि फेसबुक ने ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो का एक वीडियो गलत जानकारी फैलाने की वजह से हटा दिया है। उस वीडियो में बोलसोनारो को यह कहते हुए दिखाया गया है कि यह दवा सब जगह काम कर रही है। लंबे समय से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल मलेरिया को भगाने में किया जाता था या मलेरिया का बुखार कम करने में किया जाता था। यद्यपि कुछ डॉक्टरों का कहना है यह दवा कुछ मामलों में काम कर रही है, फिलहाल इसके कारगर होने या प्रभावी होने के सबूत नहीं हैं। दूसरी ओर इस दवा का लीवर पर गंभीर साइड इफेक्ट होता है। डॉक्टरों का मानना है कि इसके लिए रेंडम क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत है। अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन और चीन में इस दवा के 20 से ज्यादा परीक्षण चल रहे हैं। उधर यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए ) का मानना है कि कई मामलों में इसका सीमित उपयोग किया जा सकता है। यानी, एफडीए इन दवाइयों का इस्तेमाल करने की अनुमति देता है। हालांकि भारत सरकार की शोध संस्था ने इसके प्रयोग को लेकर सीमित उपयोग की इजाजत दी है।
     अब आती है बात ट्रंप की चेतावनी की। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पेरासिटामोल बहुत ही सस्ती दवाइयां हैं इसका इस्तेमाल होना चाहिए। कोविड-19 ने अक्सर थोक में बेची जाने वाली इन दवाइयों को दुनिया के लिए मूल्यवान वस्तु बना दिया। अब राष्ट्राध्यक्ष इसके लिए फोन कर रहे हैं तो यह भारत के लिए बेहतरीन अवसर है। वैसे पेरासिटामोल का कच्चा माल चीन से आता है, सच कहें तो वुहान से। साठ के दशक में जो अमेरिका विरोध था भारत में वह आज नहीं है। लेकिन आज भी कुछ लोग कहते चल रहे हैं कि अमेरिका ने इस दवा को मांगा है। हमें उन्हें मना करना चाहिए । यही कारण है की विचार शुन्य विरोध हमारा सबसे टिकाऊ पाखंड है। 6 मार्च कि शाम को  जब  ट्रंप ने मोदी से दोबारा बातचीत की और बाद में प्रेस को बताया की भारत ऐसा नहीं करेगा क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच परस्पर संबंध अच्छे हैं बाद में उन्होंने जोड़ा की भारत अगर इंकार करेगा तो बेशक प्रतिशोधात्मक कार्रवाई की जा सकती है, क्यों नहीं। जब यह बात हुई तो भारत में मंगलवार को सुबह 4:00 बज रहे थे। कुछ अमेरिका विरोधी लोग नींद से जागे और कहने लगे ट्रंप ने मोदी की बांह मरोड़ दी। भारत ने एक बार फिर अमेरिका के सामने घुटने टेके। मोदी ने ट्रंप से भारत की संप्रभुता का सौदा किया। लेकिन जो लोग मोदी जी को नीचा दिखाना चाहते हैं उन्होंने इस तथ्य को देखा नहीं इस दवा पर से प्रतिबंध को हटा दिया गया है और निर्यातकों को यह छूट दे दी गई है कि वे पुराने ऑर्डर की आपूर्ति करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद जिद्दी हैं लेकिन मानवता को लेकर उनमें व्यापक सहानुभूति है।  जो लोग इस तरह की अफवाहें उड़ा रहे हैं उनके बारे में देशवासियों को यह सोचना होगा की वह केवल अपने देश की और सरकार की आलोचना नहीं कर रहे हैं बल्कि एक दूसरे देश की प्रशंसा भी कर रहे हैं। जबकि मोदी जी का कहना है कि "हम रहे ना रहे हमारा हिंदुस्तान रहना चाहिए।" हम हिंदुस्तान के बारे में नहीं सोचते।


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