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Friday, April 3, 2020

उत्साहो बलवानार्य

उत्साहो बलवानार्य 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र को एक बार फिर संबोधित किया। संबोधन   से पहले लोगों के मन में तरह-तरह की आशंकाएं पैदा हो रही थीं, क्या होगा, क्या नहीं होगा? क्या नई घोषणा होगी? लेकिन प्रधानमंत्री ने जो कहा उससे  प्रत्येक देशवासी के भीतर ना केवल उम्मीद बढ़ी बल्कि उनमें साहस और संकल्प की क्षमता भी बढ़ गई।  जहां आशंका थी लॉकडाउन की अवधि और बढ़ेगी या फिर आंतरिक आपात स्थिति की घोषणा होगी या कोई और नई पाबंदी लागू होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और प्रधानमंत्री हैं जो कुछ  कहा उससे देश के 130 करोड़ लोगों में सामूहिक शक्ति और सामूहिकता का संकल्प पैदा हुआ। रामनवमी के दूसरे दिन और शक्ति पूजा के आखिरी दिन प्रधानमंत्री ने जो शक्ति की परिभाषा बताई वह अतुलनीय थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह लॉक डाउन की अवधि जरूर है, हम सब अपने अपने घरों में बंद हैं ,लेकिन हम में से कोई भी अकेला नहीं है। "130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक शक्ति सबके साथ है और समय-समय पर इसकी भव्यता और इसकी दिव्यता का अनुभव करना आवश्यक है।" सचमुच जब देश इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा है ,इतने बड़े युद्ध मैं शामिल है तो ऐसे में जनता जनार्दन के विराट स्वरूप का दर्शन करते रहना चाहिए। इससे आत्मशक्ति पैदा होती है। इससे लगता है कि हमारे साथ पूरा देश है पूरा राष्ट्र है। हम पराजित नहीं हो सकते। इस कोरोना नामक जंजीर से हमें, हमारे उत्साह ,हमारे संकल्प को बांधा नहीं जा सकता। ऐसे में महाकवि दिनकर की एक पंक्ति याद आती है- जब जनार्दन को बांधने दुर्योधन चला था तो उन्होंने अपना विराट रूप दिखाया था और जनार्दन ने कहा था:
  यह देख जगत मुझ में लय है
  यह देख पवन मुझमें लय है
    बांधने मुझे तो  आया है
   जंजीर बड़ी क्या लाया है
सचमुच जिसे अहिर की छोहरियां छछिया भर छाछ पर नाच नचाती थीं  उसने बता दिया कि राजसी शक्ति नगण्य है, आत्मबल और संकल्प ही सर्वोपरि है सर्वशक्तिमान है । मोदी जी ने इसी संदर्भ का सूत्र पकड़ते हुए देश के 130 करोड़ लोगों को शक्ति संपन्न बनने का एक सूत्र बताया कि सब एकजुट होकर जनता से जनार्दन बन जाएं। कोरोनावायरस को हमारी शक्ति  इंकार कर देगी। उसका महत्व हमारी एकजुटता के आगे कुछ नहीं है। उन्होंने देशवासियों का साहस बढ़ाते हुए कहा कि "करोना से त्रस्त जो हमारे गरीब भाई बहन हैं उन्हें निराशा के अंधियारे से निरंतर प्रकाश की ओर जाना है।" कोरोना से जो निराशा का अंधकार उत्पन्न हुआ है उससे निकलने की राह यह है कि उनके भीतर की निराशा को समाप्त कर दिया जाय और इसका एक मात्र उपाय है कि उन्हें यह महसूस हो कि इस दुख में हम अकेले नहीं हैं। हमारे साथ हमारे देश के करोड़ों भाई बहन हैं। प्रधानमंत्री ने देश की जनता से अपील की -" पांच अप्रैल रविवार को रात 9:00 बजे सब लोग अपने घरों की बत्तियां बुझा दें और अपने घरों के दरवाजे पर, बालकनी में या टेरेस पर खड़े होकर एक मोमबत्ती या दीपक या टॉर्च और कुछ ना हो तो मोबाइल की बत्ती 9 मिनट तक जलाए रखें। आलोचक यह पूछ सकते हैं कि फिर इससे क्या होगा? यह उपचार है क्या? किसी भी भयंकर स्थिति से मुकाबले के लिए चाहे वह बीमारी हो, चाहे वह युद्ध सबके मन में एक संकल्प होना चाहिए और एकजुटता का आत्मबल होना चाहिए । संकल्प से उम्मीद जागती है और आत्मबल से उत्साह में वृद्धि होती है  और मुकाबले की शक्ति बढ़ती है:

उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्। सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥

इससे यह भी स्पष्ट होता है हम सब एक ही लक्ष्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं और वह लक्ष्य कोरोना के अंधकार को मिटाकर स्वास्थ्य का प्रकाश फैलाना है। प्रधानमंत्री ने इस अपील से पैदा होने वाले एक प्रश्न का पहले ही जवाब दे दिया कि "चिराग जलाते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें । सबको कहीं भी एकत्र नहीं होना है। इसके बाद कुछ देर बैठ कर देश के पीड़ित भाई बहनों के चेहरे को याद करें और फिर कोरोना के अंधकार को दूर करने के लिए प्रकाश की ओर चल पड़ें । महाभारत के युद्ध में अर्जुन निराश हो गए थे तो कृष्ण उन्हें उत्साहित किया था।

तस्मादुतिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः 

आज फिर कोरोना से   भयभीत  जनता को अपने भीतर संकल्प की शक्ति भरकर इससे मुकाबले के लिए तैयार हो जाना चाहिए।


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