3 मई तक लॉक डाउन कर दूसरा फेज चलेगा और इसके बाद यह खत्म हो जाएगा जैसा कि सरकार ने घोषणा की है। हालांकि मुख्यमंत्रियों से प्रधानमंत्री की टेली कॉन्फ्रेंसिंग में अधिकांश मुख्यमंत्रियों में लॉक डाउन की अवधि बढ़ाने की सिफारिश की है। लॉक डाउन बढ़ेगा या खत्म हो जाएगा इस पर आम जनता में कन्फ्यूजन है। कुछ लोग कहते हैं लॉकडाउन बढ़ सकता है और कुछ लोग इस उम्मीद में हैं कि लॉक डाउन खत्म हो जाएगा। यद्यपि प्रधानमंत्री ने अभी तक इस संबंध में कोई संकेत नहीं दिया है। अभी हाल में प्रधानमंत्री ने मन की बात में कहा था कि हमारा देश युद्ध के बीच में और लोगों को सावधानी बरतनी जरूरी है। प्रधानमंत्री ने देश वासियों से यह बात ऐसे मौके पर कही जब आर्थिक गतिविधियों को फिर से चालू करने के लिए राज्यों और केंद्र की सरकारें धीरे-धीरे छूट दे रही हैं। पश्चिम बंगाल में एक तरफ जहां यह खबर छपती है पिछले 34 घंटों में कोरोना वायरस के संक्रमण के 33 मामले सामने आए हैं। 35 नए मामलों के साथ ही बंगाल में पूर्णा वायरस संक्रमण की संख्या 550 हो गई जिनमें 5 लोग ठीक हो कर घर चले और 22 लोगों की मौत हो चुकी है। अगर देश भर के आंकड़ों को देखें इस महामारी से संक्रमित लोगों की संख्या में रोजाना वृद्धि हो रही है पिछले 24 घंटों के दौरान 1897 नए मामले आए हैं और 1007 लोगों की मृत्यु हो गई है। देश में अब तक कुल 31332 मामलों की पुष्टि हुई है जिनमें 111 विदेशी मरीज हैं। लेकिन इनके बीच एक उम्मीद भी दिखाई पड़ रही है कि संक्रमित लोगों के ठीक होने की रफ्तार भी तेज हुई है। खबरों की अगर मानें तो बंगाल में कोरोनावायरस से संक्रमण के लगभग 88% मरीज कोलकाता हावड़ा और उत्तर 24 परगना में हैं। इसके बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ग्रीन जोन में कामकाज आरंभ करने तथा दुकाने इत्यादि खोलने की इजाजत दे दी है। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक सहानुभूति भरा कदम बढ़ाते हुए लॉक डाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों छात्रों और पर्यटकों को अपने घर जाने की इजाजत दे दी है और उनके घर जाने का बंदोबस्त राज्य सरकारें करेंगी। सरकार ने निर्देश दिया है कि फंसे हुए लोगों को घर पहुंचाए जाने के लिए प्रदेश की सरकार है नूडल अधिकारी की नियुक्ति करेगी। जिन राज्यों के बीच आवागमन होने वाला है वहां की अथॉरिटी सड़क के माध्यम से आवागमन सुनिश्चित करेगी। जाने वाले लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी और अगर कोविड-19 के लक्षण नहीं मिले तब ही उन्हें जाने की इजाजत मिलेगी। गंतव्य स्थान तक पहुंचने के बाद उन दोनों की स्थानीय स्तर पर स्क्रीनिंग की जाएगी। ऐसे लोगों को आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग करना होगा ताकि उनकी सेहत पर निगरानी रखी जा सके। यही नहीं खाड़ी के देशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए 3 युद्धपोत भेजे जाएंगे। प्रधानमंत्री का यह साहसिक कदम सचमुच सराहनीय है। क्योंकि जो लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं और दाने-दाने को मोहताज हैं वह सचमुच देश के लिए बहुत बड़ा संकट बन सकते हैं। क्योंकि, वुभुक्षित: किम ना करोति पापः। आज देश की राजधानी दिल्ली से लेकर सुदूर राज्य तक हजारों ऐसे मजदूर फंसे हुए हैं जिनके सामने भूखों मरने की स्थिति आ गई है। उनके पास ना आई कार्ड है ना राशन कार्ड और ना आधार कार्ड लिहाजा उन्हें पीडीएस का लाभ बहुत कम मिलेगा या नहीं मिलेगा। समय-समय पर राष्ट्र संघ द्वारा जारी हंगर इंडेक्स देखते हुए सरकार ने अनाज के गोदाम भरे ताकि कोई भूख से परेशान ना हो लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अनाज से भरे गोदाम व्यर्थ हैं। इसी स्थिति में मदद के लिए सरकार ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की। कुछ लोगों का कहना है इस तरह की घोषणा से बहुत ज्यादा बात नहीं बनेगी। हालांकि इससे लाभ मिलेगा और यह लाभ दो तरफा होगा। पहला कि लोगों में प्रधानमंत्री के प्रति सहानुभूति बढ़ेगी जिससे देश में एकजुटता कायम होगी और यह किसी युद्ध के लिए सबसे जरूरी है। ध्यान रहेप्रधानमंत्री ने खुद कहा था कि हम एक युद्ध के बीच में खड़े हैं। इस युद्ध से निकलने के लिए या इस पर विजय प्राप्त करने के लिए सबसे आवश्यक है हम एकजुट रहें और अफवाहों पर ध्यान नहीं दे। लॉक डाउन की अवधि बढ़ भी सकती है हम भी हो सकती है लेकिन सरकार द्वारा सुनिश्चित किए गए उपाय निश्चित रूप से लाभकारी होंगे। सरकार की आलोचना करने वाले लोग यह प्रश्न कर सकते हैं कि जब मालूम है कि सोशल डिस्टेंसिंग से कोविड-19 की रोकथाम हो सकती है कुछ क्षेत्रों में व्यापारिक गतिविधियों को अनुमति देने की क्या जरूरत है क्योंकिइससे सोशल डिस्टेंसिंग खत्म होने लगेगा खास करके हमारे देश में जहां आबादी बहुत घनी है। कोई अगर चाहे कि चुटकियों में यह मसला हल हो जाएगा तो वह आर्थिक रूप से लंबे अरसे तक हमें प्रभावित करेगा लेकिन तब भी कारोबार को रोकना बुद्धिमानी नहीं होगी। क्योंकि लॉक डाउन से जहां व्यापक आर्थिक क्षति होती है वही एक बहुत बड़ा वर्ग प्रभावित भी होता है। इसलिए कारोबार को आरंभ किया जाना देश के नागरिकों के कल्याण में जरूरी है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो हो सकता है आगे चलकर सामाजिक असंतोष बढ़े। अगर बाजारवाद शब्दावली में कहें कि आंशिक रूप से व्यापारिक गतिविधियों वह आरंभ किए जाने की अनुमति एक तरफ से सप्रेशन अप्रोच है और ऐसा किए जाने से ना केवल लोगों में थोड़ा इत्मीनान आएगा बल्कि अन्य क्षेत्रों में उम्मीद भी जगेगी अगर लॉक डाउन बढ़ता भी है तो पहले की तरह नहीं होगा लेकिन ज्यादा उम्मीद होगी कि शायद लॉकडाउन खत्म हो जाए। ऐसी उम्मीदें और इत्मीनान न केवल देश के लिए लाभदायक होगा बल्कि समाज को भी इससे लाभ होगा। कम से कम तनाव के कारण होने वाले मनोरोग पर अंकुश लगेगा।
Thursday, April 30, 2020
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