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Monday, September 12, 2016

राहुल की यूपी यात्रा बदल सकती है खेल का रुख

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की उत्तर प्रदेश यात्रा को बेशक भाजपा के प्रचार चैनलों में असफल बताया जा रहा है पर सच तो यह है कि यह यात्रा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिये अजेंडा सेट कर चुकी है। ध्यान देने की बात यह है कि जहां अन्य पार्टिया जाति और सम्प्रदाय को निशाने पर ले रहीं हैं राहुल गांधी ने किसान कार्ड चलकर सबको चित्त कर दिया। अब राजनीतिक तौर पर अत्यंत महत्वपूर्ण इस राज्य में पैदा हुई ताजा स्थिति को भुनाने और दुबारा वर्चस्व हासिल करने में कांग्रेस कितना कामयाब होती है यह तो भविष्य की बात है पर  विगत दो चुनावों से जहां किसान आंखों की ओट में थे आज उनका मसला सामने आ गया है। हिंदी के इस ह्रदय प्रदेश में अर्से से एक किसान नेता का अभाव था और राहुल गांधी की ताजा पहल ने इस कमी को भरने की आशा बंधाई है। इसका असर उत्तर प्रदेश के चुनाव पर ही नहीं 2019 के आम चुनाव पर भी पड़ सकता है।  इस ताजा स्थिति के बाद राहुल गांधी के आलोचक भी इसे तुरुप की चाल कहने लगे हैं। जिनलोगों ने कांग्रेस को खारिज कर दिया था वे भी अब गंभीरता से सोचने लगे हैं। विरोदा दलों को भी अपनी समरनीति पर अब पुनर्विचार करना होगा, क्योंकि एक जमाना था जब देश के किसान ही तय करते थे कि सत्ता किसकी होगी। बड़े बड़े विश्लेषक जिन्होंने कांग्रेस को एकबारगी खारिज कर दिया था और उसे बिल्कुल ‘फिनिश्ड’ पार्टी की संज्ञा दी थी उन्होंने जब देखा कि राहुल गांधी किसानों की समस्या को इस तरह ग्रासरूट स्तर से उठा रहे हैं तो उनके भी हाथ के तोते उड़ गये हैं। राहुल गांधी ने बड़ी समझदारी से किसानों का मसला उठाया है जिसे अनदेखा करना नामुमकिन है। हर दल इस दिशा में सोचेगा। राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश की सियासत को एक नयी दिशा दी है और बेशक चुनाव के दौर में सबसे ज्यादा बहस कांग्रेस को लेकर ही होगी। यह हालात वोट को खींचेगा ही। खाटलूट जैसी बेबुनियाद बातों का इस पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। राहुल गांधी ने अच्छा काम किया है और इसका श्रेय उन्हें मिलेगा ही। राहुल गांदा की किसान सभा को खेल का रुख बदलने वाला बताया जा रहा है। हालांकि , सत्ता में आने जैसी बात अभी नहीं कही जा सकती है पर यूपी में विप​क्षियों को जोरदार टक्कर देगी इसमे कोई शक नहीं है। उत्तर प्रदेश में सत्तासीन होना बड़ी बात है और कोई उसकी अम्मीद भी नहीं कर रहा है पर यह तय है कि कांग्रेस इस चुनाव के बाद किंगमेकर की भूमिका निभायेगी। हालांकि अभी भी कई हलकों में कहा जा रहा है कि चूंकि कांग्रेस में संगठन का अभाव है इसलिये वह ताजा स्थिति को वोट में बदल सकेगी इसमें शक है। क्योंकि पार्टी के पास साधनों का अभाव है। किसी भी राजनीतिक अजेंडा को उटाना ओर उसे वोट में बदलना दोनों अलग अलग है। अजेंडे को उठाने में व्यक्तिगत समझदारी की जरूरत होती है जिसका परिचय राहुल गांधी ने दिया पर उसे वोट में बदलने के लिये जिस तरह के संगठन की जरूरत पड़ती है उसका कांग्रेस के पास अभाव है। हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना हे कि इससे कुछ खास नहीं होगा क्योंकि यह फकत एक राजनीतिक अजेंडा है। यू पी का समाज जातियों में विभाजित है और वैसे समाज में एक वर्ग का वर्चस्व होना कठिन है।  उत्तर प्रदेश में किसानों का मसला एक महत्वपूर्ण मसला है और चरण सिंह तथा मुलायमसिंह और राहुल गांधी तक कई लोगों ने अपने लाभ के लिये इसे उठाने का प्रयास किया पर कोई लाभ नहीं मिला। लेकिन वही विश्लेषक मानते हैं कि राहुल गांधी ने मास्टर स्ट्रोक लगाया है अब हर पार्टी किसानों को लुभाने के चक्कर में पड़ जायेगी। लेकन अगर आप गहराई से ताजा सियासी हालात को परखेंगे तो राहुल गांधी की प्रशंसा करनी होगी। विगत तीन दशकों से किसान नेता अप्रासंगिक हो गये थे। स्थानीय स्तर पर खुद को हीरो बताने वाले इन नेताओं की सारी कोशिशें टिकट लेने तक हसीमित रहती थीं ओर जैसे टिकट मिला वे किसानों के मसलों से हाथ झाड़ लेते थे। उधर  विपक्षी नेताओं ने राहुल गांधी के इस प्रयास को मगरमच्छी आंसू कहा है और उनकी प्रतिक्रिया है कि सबसे ज्यादा दिनों तक कांग्रेस का शासन था और उसने के लिये कुछ नहीं किया। कांग्रेस ने इस अभियान में प्रियंका गांदा को भी उताने का फैसला किया हे। अगर प्रियंका ने भी सही नब्ज पकड़ी तो विपक्षी दलों के लिये कठिनाई पैदा हो कती है। अब आने वाला समय बतायेगा कि क्या होगा पर फिलहाल कांग्रेस के लिये संकेत आशाजनक हैं। अगर कांग्रेस ने ठीक से कदम बढ़ाया तो यह ताजा स्थिति खेल का रुख बदल सकती है।

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