पहली बार नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल हमला किया। 3 किलोमीटर अंदर घुसकर 5 सेक्टर में 7 ठिकाने तबाह किए। दुश्मन के 38 आतंकियों को मार गिराया। इसकी पूरी योजना दिल्ली में बैठ कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बनायी। हमला कुल 4 घंटे में निपट गया। हमला खत्म करने के बाद सेना ने अपने बयान में कहा कि सभी जवान सुरक्षित लौट आए। हलांकि इसे पहला हमला कहा जा रहा है पर इससे भी पहले फौज ने सर्जिकल हमले किये हैं। खासकर बर्मा और भूटान में। पाकिस्तान पर भी इसके पहले इस तरह के हमले हुये हैं। डीजीएमओ रणवीर सिंह ने कहा, 'बुधवार को बहुत ही भरोसेमंद और पक्की जानकारी मिली थी कि कुछ आतंकी एलओसी के समीप ‘लॉन्च पैड्स’ के अंदर इकट्ठा हुए हैं। वे इस इरादे के साथ इकट्ठा हुए थे कि घुसपैठ कर सीमा के इस तरफ जम्मू-कश्मीर के अंदर या भारत के अहम शहरों में आतंकी हमले कर सकें। यह खबर मिलने के बाद भारतीय सेना ने बुधवार की रात आतंकियों के लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल हमले किए। इसका मकसद आतंकियों के नापाक मंसूबों को नाकाम करना था जो हमारे देश के लोगों को नुकसान पहुंचाना चाहते थे। हमारे सर्जिकल हमला में कई आतंकी मारे गए। एलओसी पार उन्हें भारी नुकसान पहुंचा। यह ऑपरेशन अभी खत्म हो गया है। इसका मकसद आतंकियों से निपटना था। हमारा तुरंत ऐसा कोई ऑपरेशन दोबारा चलाने का इरादा नहीं है। लेकिन भारतीय सेना किसी भी आपात स्थिति का जवाब देने को पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पाक के डीजीएमओ से बात कर उन्हें कल रात के ऑपरेशन की जानकारी दी। हम किसी भी सूरत में आतंकियों को एलओसी के पार बेझिझक हरकत नहीं करने दे सकते। हमें यह मंजूर नहीं होगा कि आतंकी हमारे देश के अंदर किसी भी नागरिक को नुकसान पहुंचाएं। पाक ने जनवरी 2004 में भरोसा दिलाया था कि वे अपनी सरजमीं का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं होने देंगे। हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान अपने वादे पर कायम रहेगा और सहयोग करेगा।" लेकिन यहां एक अहम बात यह है कि सेना ने हमला आतंकियों को मारने के लिये किया या उड़ी का बदला लिया यह फौज स्पष्ट नहीं कर पा रही है। एक तरफ प्रधानमंत्री इसे मीडिया में इस तरह दे रहे हैं कि यह उड़ी का बदला है दूसरी तरफ फौज का कहना है कि यह हमला आतंकियों के सफाये कि लिये था ताकि हमारे जान माल की और हानि ना हो सके। सर्जिकल हमला से बदले हालात पर चर्चा के लिए सरकार ने गुरुवार शाम नॉर्थ ब्लॉक में सर्वदलीय बैठक की। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सुरक्षा अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बाकी राजनीतिक दलों के सभी प्रमुख नेता शामिल हुए। बैठक में रक्षा मंत्री पर्रिकर ने राजनीतिक दलों को सर्जिकल हमला की जानकारी दी। सभी नेताओं ने इस कदम के लिए सरकार का समर्थन किया।
सर्व दलीय बैठक से पहले सोनिया गांधी ने कहा- ' देश की सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से उठाए गए कदम में हम उसके साथ हैं। सर्जिकल हमला से सेना ने पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया है। हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान को इस बात का अहसास होगा कि उसने भारत के खिलाफ सीमा पार से आतंकवाद जारी रख भारी भूल की है।' उड़ी हमले के बाद से ही भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और बयानबाजी जारी है। पाक के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने परमाणु हमले को लेकर डराने की कोशिश की है। उन्होंने कहा- “टैक्टिकल वेपन्स जो हैं, जो हमने यह प्रोग्राम डेवलप किया हुआ है। यह अपनी हिफाजत के लिए डेवलप किया हुआ है। हमारी डिवाइसेस जो हैं 'जस्ट एज शो-पीस' तो नहीं रखे हुए। लेकिन अगर हमारी सलामती को खतरा हुआ तो हम नेस्तनाबूद कर देंगे उनको।” इस धमकी के बाद पंजाब में सरहद के 10 किलोमीटर के अंदर तक 200 गांव खाली कराने के लिए कहा गया है। पाकिस्तान की तरफ आतंकी ठिकानों पर भारतीय सर्जिकल हमला के दावे को पड़ोसी मुल्क की सेना ने खारिज किया है। पाकिस्तान की सेना की मीडिया विंग ने कहा, 'इंडिया की ओर से कोई सर्जिकल हमला नहीं हुआ है। इसके बजाए भारत की ओर से क्रॉस बॉर्डर फायरिंग की गई, जोकि होता आया है। कायदों के मुताबिक पाकिस्तानी सेना की ओर से इस फायरिंग का कड़ा जवाब दिया गया।' माना जा रहा है कि किसी किस्म की शर्मिंदगी से बचने के लिए पाकिस्तान की ओर से यह बयान दिया गया है। ऐसा न करने पर पाकिस्तानी हुकूमत को देश की जनता को समझा पाना मुश्किल होता और उन पर भी कार्रवाई करने का दबाव होता। पाकिस्तानी सेना का यह बयान इसलिए भी संदिग्ध है क्योंकि पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ ने हमले की खबर आते ही इसकी कड़ी निंदा की। उधर विषेशज्ञों का कहना है कि भारतीय सेना द्वारा सर्जिकल हमला उड़ी में आतंकी हमले के बाद देश की जनता में उमड़े 'व्यापक गुस्से' को शांत करने के लिए किया गया। प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी थी कि उड़ी में हुए आतंकी हमले का बदला लिया जाएगा, और सही समय आने पर सेना कार्रवाई करेगी। इस हमले के बाद की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी मिला है। अमरीका के सुरक्षा सलाहकार सुजैन राइस ने फोन करके भारतीय सुरक्षा सलाहकार से बातें की हैं। लेकिन अगर जंग होती है तो इसका भारत पर गंभी असर पड़ सकता है। खासकर अर्थ व्यवस्था और रोजगार पर।
Friday, September 30, 2016
मुंहतोड़ जवाब
Posted by pandeyhariram at 7:41 PM
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