अपराध बढ़ने के कई कारण हाते हैं। अपराध दरअसल समाजवैज्ञानिक फिनोमिना है जो अन्य कई कारणों के अलावा मुख्यत: कुंठा और निराशा की अभिव्यक्ति है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एन सी आर बी) के आंकड़े बताते हैं कि 2005 से 2016 के बीच देश में अपराधों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। रिकार्ड के मुताबिक ‘मानव तस्करी ’ में 42 प्रतिशत , विभिनन सामाजिक वर्गों में मार पीट के मामलों में 23 प्रतिशत , सड़कों पर मारपीट के मामलों में 10 प्रतिशत, जालसाजी के मामलों में 23 प्रतिशत और चोरी के मामलों में 6 प्रतिशत वृद्दि हुई है। यही नहीं अपराध के दर में भी इजाफा हुआ है। प्रति एक लाख की आबादी पर 2005 में 456 मामले दर्ज किये गये थे जो कि उसी आाबादी में 2015 में बढ़ कर 582 हो गये। अलबत्ता राष्ट्र द्रोह के मामले में और महिलाओं के प्रति अपराध और डकैती के मामले घटे हैं हालांकि बलात्कार की कोशिशों की घटनाएं बढ़ी हैं। सबसे ज्यादा आपराधिक घटनाएं उत्तर प्रदेश में दर्ज हुईं हैं यह दिलचस्प होगा कि यहां चुनाव होने वाले हैं और राज्य की 20 करोड़ की आबादी 28 लाख आपराधिक घटनाएं हुईं हैं। दिल्ली में बलात्कार की सर्वाधिक घटनाएं हुई। यहां प्रति एक लाख की आाबदी पर 23.7 बलात्कार हुये। साथ ही अपहरण तथा चोरी की घटनाओं में भी दिल्ली अववल रहा। यहां प्रति 1 लाख की आबादी पर अपहरण की 33 और चोरी की 62 घटनाएं हुईं। लेकिन उत्तरप्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है जहां हवालात में बलात्कार की 91 घटनाएं दर्ज की गयीं हैं। पश्चिम बंगाल में नकली नोटों के पकड़े जाने की सर्वाधिक 415 घटनाएं हुई। अपराध की बढ़ती घटनाओं का यह ग्राफ सचमुच चिंता का विषय है। अपराधों के बढ़ने का सबसे पहला और बड़ा कारण है कानून के खौफ का खात्मा। इंसानी फितरत है कि वह बंदिशे तोड़ना चाहता है। समाज में जब कानून की व्यवस्था की हानि होने लगती है तो यह स्वभाव तेजी से उभरता है जिसमें आर्थिक तथा सामाजिक परिस्थितिया उत्प्रेरक का काम करती हैं। अपराध बढ़ने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या में वृद्धि। जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों पर यदि हम सोचना प्रारम्भ करें तो महसूस होगा कि समाज की कई समस्याओं का कारण केवल जनसंख्या वृद्धि ही है। देश में अनाज की कमी, पानी की कमी, वायु प्रदूषण की समस्या, तेल और गैस की बढ़ती कीमते, ईंधन के अन्य साधन, ओजोन परत के द्वारा सूर्य की किरणों में भी प्रदूषण का पैदा होना, जंगलों का कटाव, खेती की भूमि का लगातार कम होना आदि अनेक समस्याएं केवल जनसंख्या वृद्धि के कारण तेजी से भयंकर रूप लेती जा रही हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण ही समाज में भीड़ बढ़ रही है। सरकार और पुलिस का नियंत्रण बढ़ती जनसंख्या के कारण कम होता जाता है। परिणामस्वरूप तरह-तरह के अपराध बढ़ रहे हैं। विडम्बना यह है कि जितने अपराध पुलिस और अदालतों के समक्ष प्रस्तुत होते हैं उससे कहीं अधिक संख्या ऐसे अपराधों की भी होती है जिनके विरुद्ध पुलिस में शिकायते ही नहीं पहुँच पाती हैं। समाज में मानव बढ़ते जा रहे हैं परन्तु मानवता के लक्षण समाप्त होते जा रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि का प्रकोप राजनीति और लोकतंत्र पर भी देखने को मिलता है। इनमें सबसे चौंकाने वाले तथ्य नाबालिगों में बढ़ती अपराध वृत्ति है। क्योंकि यही नाबालिग या ग्शोर जब नौजवान होंगे तो शातिर अपराधी बन जायेंगे जो समाज के लिये आतंक हो सकते हैं।
विभिन्न अपराधों के आरोप में गिरफ्तार किए गए नाबालिगों से संबंधित आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 साल में नाबालिगों की दुष्कर्म मामलों में संलिप्तता की संख्या तेजी से बढ़ी है। अलग-अलग अपराधों के लिए गिरफ्तार किए गए इन नाबालिगों में 86 प्रतिशत बेहद गरीब परिवारों से पाए गए, जबकि छह प्रतिशत बेघर और छह प्रतिशत से कम किशोरियां अपराधों में संलिप्त पाई गईं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा दिए गए आंकाड़ों में सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि वर्ष पिछले वर्ष गिरफ्तार किए गए 35,244 नाबालिग अपराधी अपने अभिभावकों के साथ ही रह रहे थें। प्राप्त आकड़ों के अनुसार, गिरफ्तार किए गए 16-18 आयु वर्ग के नाबालिगों की संख्या साल 2003 से 2015 के बीच बढ़कर 60 प्रतिशत हो चुकी है। इन 12 सालों में दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किए गए नाबालिगों में 288 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि चोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए नाबालिगों की संख्या में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ये आंकड़े बड़े खतरनाक हैं और अगर किशोरों को अपराधी बनने से नहीं रोका गया तो आने वाले दिन बड़े खतरनाक होंगे।
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