गायों को मां कहने वाले इस देश से हजारों गाएं रोज कटने जाती हैं बंगलादेश
सीमा रक्षकों और पशु तस्करों में जबरदस्त सांठगांठ, राज्य सरकार के प्रयास निष्फल
हरिराम पाण्डेय
कोलकाता : एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गायों की तस्करी या यों कहें कि गोधन की तस्करी रोकने का सख्त आदेश दिया है और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा है कि पशुओं की तस्करी रोकने के कई उपाय किये गये हैं और तस्करी काफी घटी है लेकिन दूसरी तरफ जमीनी हकीकत यह है कि सीमा सुरक्षा बल के जवानों की हिफाजत में तस्करी का काम धड़ल्ले से चल रहा है। बंगला देश के एक पुलिस अफसर मोहम्मद इस्माइल हुसैन द्वारा सन्मार्ग को भेजी गयी एक तस्वीर गवाह है कि किस तरह अत्यंत क्रूरतापूर्ण ढंग से बी एस एफ की जानकारी में पशुओं को उसपार ले जाया जाता है। लकड़ी का लीवर और गड़ारी लगा दिया जाता है। गायों के गले में रस्से बांध कर उस गड़ारी और लीवर के माध्यम से कंटीले तारों के उस पार भारत से गायों को इसपार बंगलादेश की सीमा में लाया जाता है। जहां सीमा पर नदियां हैं और कंटीले तार की बाड़ नहीं है वहां गायों को टृक से उतार कर ड्रग का इंजेक्शन लगा दिया जाता है। इससे वे व्याकुल होकर नदियों में दौड़ती हुईं उस पार पहुंच जाती हैं। जहां उसे उस पार के तस्कर पकड़ लेते हैं। यह सारा काम बी एस एफ की मिलीभगत से होता है। स्मगलिंग के अबतक के इतिहास में यह तरीका नायाब है साथ ही तस्वीर यह भी बताती है कि तिरंगे की शपथ लेकर सीमा की हिफाजत का जिम्मा उठाने वाले ये हमारे ‘जांबाज जवान’ अपने स्वार्थ के लिये कितने भ्रष्ट और कितने क्रूर हैं। इनके हमलों में घायल होने की एक तस्वीर पर सोशल मीडिया में ‘जयहिंद’ का नारा लगता है और ये लोग कैसे हैं इसकी जानकारी जब मिलती है तो हम दंग रह जाते हैं। ऐसे लोगों की हिफाजत में अगर देश है तो आतंकी क्यों नहीं प्रवेश करेंगे, हथियार क्यों नहीं आयेंगे?
गृहमंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक लगभग 6500 गाएं रोजाना तस्करी से उसपार जाती हैं। राजस्थान , हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार से इन गायों को बंगाल लाया जाता है। तस्करी से जुड़े एक सूत्र ने कोलकाता में सन्मार्ग को बताया कि उधर से बंगाल में घुसने के लिये बंगाल - बिहार की सीमा चौकी पर पुलिस और दलाल इत्यादि को लाख रुपये प्रति ट्रक दिये जाते हैं। एक ट्रक में औसतन 10 गाएं आतीं हैं। यहां से इन गायों को उत्तर चौबीस परगना , माल्दह और मुर्शिदाबाद की सीमा पर ले जाया जाता है जहां से उन्हें कटने के लिये उस पार भेज दिया जाता है। एक स्वस्थ गाय का अमूमन वजन 700 किलोग्राम होता है। उसपार जाते ही उसकी कीमत लगभग 3.0 लाख रुपये हो जाती है। एक ट्रक पर लगभग 30 लाख रुपये का धंधा। राज्य सरकार के खाद्य मंत्री श्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का कहना है कि सरकार गायों की तस्करी को बर्दाश्त नहीं करेगी , इसके प्रति एकदम ‘जीरो टॉलरेंस’ है। ढाका के कैफे पर हमले के बाद मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा था कि पशुओं की तस्करी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जायेगी। सरकारी आंकड़े बताते हें कि पशुओं की तस्करी से लगभग 15000 करोड़ का वार्षिक धंधा होता है जिसका उपयोग स्थानीय अर्थ व्यवस्था में हुआ करता हे। बंगलादेश उप उच्चयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर सन्मार्ग को बताया कि यह सीमा पर एक अलिखित समझौता है और इससे दोनों तरफ की अर्थ व्यवस्था चलती है। बंगलादेश में गायों के कटने के बाद चमड़े भारत आ जाते हैं जिसका एक अलग ट्रेड है। हड्डियों का अलग बिजनेस है। जो तस्कर पैसा नहीं देते या फिर गड़बड़ी करते हैं उन्हें मार दिया जाता है और बताया यह जाता है कि बी एस एफ ने स्मगलरों को मार गिराया।
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