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Monday, June 11, 2018

भारत को पाकिस्तान से वार्ता शुरू करनी चाहिए

भारत को पाकिस्तान से वार्ता शुरू करनी चाहिए

 इतिहास गवाह है भारत  ने पाकिस्तान से बातचीत के कई प्रयास किए। जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हुए हैं सबसे भारत में अपने इस प्रयास में इजाफा ही किया है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार प्रोटोकॉल तोड़कर  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के जन्मदिन में शामिल हुए थे। यह भी दोनों देशों के बीच शांति स्थापना का प्रयास था। लेकिन बदकिस्मती से पाकिस्तान की तरफ से ऐसा कोई रुप नहीं अपनाया गया। शांति के हर प्रयास  का आतंकवाद से उत्तर दिया गया। उदाहरण के लिए जुलाई 2015 में ऊफा में बैठक के तुरंत बाद पंजाब के गुरदासपुर और जम्मू कश्मीर के उधमपुर में घातक आतंकी हमले किए गए। 2015 में ही दिसंबर में हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस इस्लामाबाद में हुआ और 2016 के जनवरी में  पठानकोट के वायुसेना अड्डे पर हमले हुए।

  2011 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी  की सरकार ने भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देना स्वीकार किया लेकिन फिर यहां उसकी खुफिया एजेंसियों ने   दबाव दिया कि सरकार धीरे कदम बढ़ाए। मामला खटाई में पड़ गया। 2013 में नवाज शरीफ ने भारत के साथ व्यापार की छूट देने की प्रक्रिया शुरू की लेकिन फिर दबा दिया गया।  इससे ज्यादा क्या बड़ा सबूत हो सकता है कि हाल में एक सार्वजनिक सभा में नवाज शरीफ ने कहा कि26 नवंबर का हमला पाकिस्तान की तरफ से हुआ था और आतंकवादियों ने किया था।  इससे निष्कर्ष निकलता है कि पाकिस्तान सरकार की तरफ से किया जाने वाला हर प्रयास वहां की खुफिया एजेंसियां दबा देती हैं। इसलिए अब वक्त आ गया है कि भारत सरकार खुफिया एजेंसियों से बातचीत के लिए अपने दरवाजे खोले यह प्रयास शुरू करे।  यह बात सुनने में थोड़ी अजीब लगती है लेकिन एक रास्ता है जिस के दरवाजे खोलने की कोशिश होनी चाहिए। पाकिस्तान की सैनिक सरकार के लिए भी यह सरल होगा जब वार्ता की मेज पर सेना का कोई प्रतिनिधि बैठा होगा। क्योंकि यह जगजाहिर है पाकिस्तान में असैनिक सरकार  पर वहां की सेना भारी पड़ती है। ऐसी स्थिति में सरकार को भी वार्ता के प्रतिफल से जनता को विश्वास में लेना आसान हो जाएगा। यह थोड़ा अजीब तो लगेगा ही क्योंकि दुनिया की कोई भी सरकार यह खुल्लम खुल्ला नहीं दिखाना चाहती कि वह सेना के दबाव में है। इसलिए सरकार के प्रतिनिधि बड़े नेता से ज्यादा अच्छा होगा कि दोनों देशों के सुरक्षा सलाहकार और सुरक्षा  अधिकारी इस में भाग ले। अतीत में ऐसा पाया गया है कि जब पाकिस्तान की सेना ने भारत से बातचीत के लिए सुझाव दिया है। 2012 में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज कियानी ने सियाचिन मामले को सुलझाने और उस इलाके को सेना मुक्त करने की पेशकश की थी। यह घटना तब की है जब एक बड़े हिमशैल से 140 पाकिस्तानी फौजियों और ठेकेदारों की जान चली गई थी।  भारत ने इस पेशकश को स्वीकार किया था लेकिन बाद में वही मामला ढाक के तीन पात हो गया। 2011 के आरंभ में जनरल कियानी और मनमोहन सिंह के बीच एक गैर सरकारी के माध्यम से बातचीत हुई थी और इसी के बाद क्रिकेट कूटनीति के लिए मैदान तैयार हुआ था। यह मैच मोहाली में हुआ था और भारत-पाकिस्तान के बीच विश्व कप सेमीफाइनल देखने के लिए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री युसूफ जिलानी भी आए थे।  2009 में आई एस आई के तत्कालीन प्रमुख और जनरल कियानी के विश्वासपात्र लेफ्टिनेंट जनरल शुजा पाशा ने भारतीय उच्चायोग के 3 सलाहकारों के साथ अपनी बैठक में सुझाव दिया था कि द्विपक्षीय वार्ता आई एस आई और पाकिस्तानी सेना को भी जगह मिलनी चाहिए। यह स्मरण होगा जनरल परवेज मुशर्रफ का कश्मीर के लिए 4 सूत्री फॉर्मूला एक मील का पत्थर था और यदि उनके खिलाफ पाकिस्तान में संकट नहीं पैदा हुआ होता  तो उसे कार्यान्वित किया गया होता। अभी हाल में पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने कुछ सकारात्मक संकेत दिए थे। मार्च में भारत के डिफेंस अटाशे को पाकिस्तान के सैनिक परेड में आमंत्रित किया जाना अपने आप में एक बड़ी घटना है और अपनी तरह की पहली घटना है।

 दोनों देशों के लिए मिशन तो एक ही है वह है कि शांति  के लिए काम किया जाए। समस्याएं किसी के हित में नहीं होती ।  कश्मीर में रमजान में युद्ध विराम का केंद्र सरकार का प्रयास और उसी तरह कई और प्रयास असर डाल रहे।  पाकिस्तान को भी ऐसे कदम उठाने चाहिए और कम से कम कश्मीर में तो गड़बड़ी नहीं करनी चाहिए। पिछले 1 महीने में सीमा पर पाकिस्तान द्वारा  युद्ध विराम उल्लंघन की कई घटनाएं की गई। अब कहीं जाकर उसे अक्ल आई है और उसने इसे रोका है संचार की हॉटलाइन को चालू किया है। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान भी वार्ता का इच्छुक है।

 पाकिस्तान में इस वर्ष चुनाव होने वाले हैं।  चुनाव का अर्थ है बदलाव और अगर सोचने के तरीके में बदलाव लाने की कोशिश की जाए और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों से बात शुरू की जाए तो बहुत दूर तक आगे बढ़ा जा सकता है और बदलाव का स्पष्ट  परिणाम दिखाई पड़ सकता है।

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