नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मंगलवार को मुलाकात हुई । इस मुलाकात से कई तरह के भ्रम दूर हो गए। खास तौर पर यह कि लोगों का कहना था अभिजीत बनर्जी मोदी की आर्थिक नीतियों की विरोधी हैं। मुलाकात के बाद पता चला ऐसा कुछ नहीं है। कुछ नकारात्मक सोच वाले लोगों ने कुछ बातों का तोड़ मरोड़ कर अर्थ निकाला था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुलाकात के बाद ट्वीट किया , "अभिजीत बनर्जी से मिलना बड़ा अच्छा लगा। यह बेहतरीन मुलाकात थी खास करके अभिजीत बनर्जी में मनुष्य के सशक्तिकरण के लिए जो भावनाएं हैं उसे देख कर बहुत भला लगा। अभिजीत बनर्जी से कई विषयों पर बहुत ही अच्छी बातचीत हुई। " इस मुलाकात के बाद अभिजीत बनर्जी ने एक बयान में कहा कि "प्रधानमंत्री से मुलाकात और भारत के बारे में उनके चिंतन पर लंबी बातचीत हुई। अभिजीत बनर्जी ने कहा लोग केवल राजनीति के बारे में सोचते हैं। बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इस राजनीति के पीछे के चिंतन के बारे में बातें करते हों। अभिजीत बनर्जी ने कहा कि प्रधान मंत्री शासन के बारे में सोचते हैं, यह बात समझ में नहीं आती कि लोग रंगो के आधार पर शासन की आलोचना क्यों करते हैं। वे इस माध्यम से शासन पर या कहें शासन प्रक्रिया पर बड़े लोगों का कब्जा चाहते हैं। वे नहीं चाहते यह ऐसी सरकार हो जो जनता के सुख दुख में साथ है।" अभिजीत बनर्जी ने कहा कि "प्रधानमंत्री अफसरशाही को सुधारने में लगे हैं।" अभिजीत बनर्जी ने अपने बयान में कहा नरेंद्र मोदी जो देश के बारे में सोचते हैं वह बिल्कुल अलग है। प्रधानमंत्री ने उनसे अपनी नीतियों को लेकर बात की और बताया कि वह चीजों को कैसे लागू कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जमीनी प्रशासन में उच्च वर्ग का नियंत्रण था। प्रधानमंत्री की नीतियों की प्रशंसा करते हुए अभिजीत बनर्जी ने अपने बयान में कहा कि "वह जो कर रहे हैं वह भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सबसे महत्वपूर्ण है कि अफसर जिम्मेदार बने।" अभिजीत बनर्जी ने कहा कि मुलाकात की शुरुआत में मोदी जी ने मजाकिया लहजे में मीडिया की ओर से एंटी मोदी बयानों के लिए उठाए जाने को लेकर सावधान किया।
हैरत तो तब होती है जब भारत के लोग अभिजीत बनर्जी को मोदी विरोधी बिंब के रूप में गढ़ने में लगे हैं और इसका मुख्य कारण है कि वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं और उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला है। कुछ लोग तो यह समझते हैं कि बनर्जी धर्मनिरपेक्ष हैं और उनकी नीतियां भारत के गरीबों के लिए बेहतर है। अब जबकि मोदी और अभिजीत बनर्जी में मुलाकात हुई है और उस मुलाकात के बारे में लोगों को जानकारी मिली तो वैसे नकारात्मक सोच के लोगों पर क्या गुजरती होगी? सबसे ज्यादा हैरत तो तब होती है जब खुद को निष्पक्ष कहे जाने वाले अखबारों में लिखा जाता है कि नोबेल प्राइज पाने का मतलब होता है व्यवस्था विरोधी स्वतंत्र चिंतन। अभिजीत बनर्जी को नोबेल प्राइज विकास मूलक अर्थव्यवस्था में प्रयोगी विधि को अपनाने के लिए मिला है उदाहरण के लिए अभिजीत बनर्जी के प्रयोग में गरीबी को खंडित कर अलग अलग परीक्षण करना प्रमुख है ,मसलन समाज के कुछ हिस्से के लोगों का खराब स्वास्थ्य अब इसके कई कारण हो सकते हैं ,जैसे स्वास्थ्य कर्मियों का काम पर नहीं आना ,अच्छी दवाएं उपलब्ध न होना, बचाव के लिए टीकाकरण नहीं होना इत्यादि। अब हर टुकड़े का प्रयोगी तौर पर परीक्षण जैसे कार्य अभिजीत बनर्जी के कामों में शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अभिजीत बनर्जी की मुलाकात देश के एक बड़े वर्ग को अचंभित कर देने वाली है इस वर्ग को यह महसूस हो रहा था कि अभिजीत वामपंथी है और मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करेंगे । लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टे प्रधानमंत्री ने उनसे मुलाकात की गर्मजोशी दिखाई और अभिजीत प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते सुने गए। अनोखा था एक दूसरे के प्रति आदर भाव। कई वर्ष पहले मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूरी भूरी प्रशंसा की थी। यहां प्रश्न उठता है कि एक दक्षिणपंथी विचारधारा वाली पार्टी के सबसे बड़े चेहरे नरेंद्र मोदी ने आखिर एक घोषित वामपंथी अर्थशास्त्री को अपने साथ कैसे जोड़ लिया या यह कहें कि उन्होंने जोड़ना कबूल किया। नरेंद्र मोदी की एक खासियत है ही है वे अपने आलोचकों के साथ मिलकर भी काम कर लेते हैं या कहिए वे अपने आलोचकों को भी निभा ले जाते हैं।
जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो उन्होंने दो परियोजनाओं को जोड़ा था। दोनों परियोजनाएं पर्यावरण और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए थी। पूरे देश में गुजरात ऐसा पहला राज्य था जिसने दशक भर पहले जलवायु परिवर्तन को लेकर अलग विभाग बनाया था। जलवायु परिवर्तन पर्यावरण से जुड़ा है और प्रदूषण जलवायु परिवर्तन की मुख्य समस्या है। मोदी ने इसी समस्या का हल ढूंढते -ढूंढते अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी से मदद मांगी थी। इन दोनों ने "अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब" की स्थापना 2003 में की थी। उसी संस्था को मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने एनवायरमेंटल ऑडिट को मजबूत करने के लिए एमिशन ट्रेंडिंग स्कीम को लॉन्च करने के लिए छोड़ा था नोबेल पुरस्कार पाने के बाद हमारे देश के लोगों ने अभिजीत को जाना लेकिन नरेंद्र मोदी उनकी प्रतिभा को बहुत पहले से जानने लगे थे और उन्हें उचित सम्मान देने लगे थे। इन दोनों की मुलाकात से यह साबित हुआ प्रतिभा के आगे विचारधारा के रोड़े नहीं आते हैं।
Wednesday, October 23, 2019
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