इस किरदार की जरूरत क्या थी
सुशांत सिंह राजपूत पढ़ने को तो इंजीनियरिंग पढ़ी थी पर लाइफ हो रफ्तार टी वी से मिली । सुशांत दुर्भाग्यवश उन कलाकारों की फेहरिस्त में थे जो युवा थे होनहार थे और संघर्ष के बावजूद कामयाब थे लेकिन जिन्होंने इस दुनिया को बहुत पहले अलविदा कह दिया। टीवी से वह फिल्मों में आए थे। लगभग एक दशक से कुछ साल पहले सुशांत को लोगों ने पहली बार टीवी पर देखा। एक सीरियल था किस देश में है मेरा दिल और फिर 2009 में दिल पर एक सीरियल आया था पवित्र रिश्ता जिसके माध्यम से सुशांत रातो रात भारत के नौजवानों के दिलों की धड़कन बन गए। रिस्क लेने की सुशांत की काबिलियत और उसका साहस गजब का था। जब रोजगार का साधन नहीं था तो इंजीनियरिंग छोड़कर एक्टिंग में कूद गए और मुंबई में एक थिएटर ग्रुप में शामिल हो गए। 2011 में उन्हें पवित्र रिश्ता मैं मुख्य भूमिका मिली लेकिन सुशांत ने उसे स्वीकार नहीं किया। उनके इनकार से सिनेमा की समझ रखने वाले सभी लोग चौक पड़े। लगभग 2 साल तक उनका अज्ञातवास चला । नए-नए सितारों से भरे टीवी और सिनेमा की दुनिया में 2 साल की गैर हाजिरी काफी लंबी मानी जाती है। 2013 में गुजरात के दंगों की पृष्ठभूमि में उनकी पहली फिल्म आई काई पो चे। किसी नई फिल्म मैं किसी नए कलाकार के लिए इसमें एक्टिंग बहुत ही चुनौतीपूर्ण की फिर भी इसमें सुशांत की एक्टिंग शानदार थी। सुशांत की दूसरी खूबी थी विविधता। वह विविधता से एक्सपेरिमेंट करते थे। अब जबकि एक्सपेरिमेंट था ही इसमें सफल और असफल दोनों होना होता है। 6 साल के फिल्मी जीवन में पर्दे पर वह कभी महेंद्र सिंह धोनी हो गए तो कभी ब्योमकेश बक्शी तो कभी शादी के रिश्ते पर सवाल उठाने वाले शुद्ध देसी रोमांस की भूमिका निभाने वाले रघु राम भी।मैं सबसे ज्यादा शोहरत मिली महेंद्र सिंह धोनी पर बनी फिल्म धोनीःअनटोल्ड स्टोरी के लिए। संजय लीला भंसाली करणी सेना लगातार विरोध कर रही थी और हमला कर रही थी तो सुशांत सिंह राजपूत विरोध स्वरूप अपना सरनेम ट्विटर से हटा दिया था और केवल सुशांत रख लिया।
इंजीनियर सेक्टर बने सुशांत को ज्योतिष का भी बहुत शौक था और लॉकडाउन के दौरान वह लगातार पोस्ट डालते रहते थे लेकिन उन्होंने अपना भविष्य नहीं देखा। एक फिल्म चंदा मामा दूर के में अंतरिक्ष यात्री के रूप में काम करने वाले थे और इसके लिए वह नासा जाकर एक अंतरिक्ष यात्री की मुश्किलों की बारीकियों से अध्ययन करना चाहते थे।
उन्होंने अपनी आदतों के प्रतिकूल सोन चिड़िया में लाखन नाम के डाकू का भी रोल किया था। उनका यह डायलॉग हमेशा याद रहेगा जब मनोज बाजपेई सुशांत से पूछते हैं कि उन्हें मरने से डर लग रहा है लाखन बने सुशांत कहता है “एक जन्म तो निकल गया इन बीहड़ों में दद्दा, अब मरने से काहे डरेंगे।”
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