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Wednesday, June 17, 2020

नेपाल का अविवेकपूर्ण कदम



नेपाल का अविवेकपूर्ण कदम


नेपाल में संविधान संशोधन विधेयक पारित हो गया। 275 सदस्यों वाले सदन में इसके पक्ष में 258 वोट मिले। आर जे पी सदस्य सरिता गिरी ने इसका विरोध किया लेकिन पार्टी ने इस विरोध को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया। इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद नेपाल ने भारत के साथ बातचीत के सारे दरवाजे बंद करें और इस मसले को सुलझाने के सभी अवसर गंवा दिए। भारत ने इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि यह नकली विस्तार का दावा मान्य नहीं है क्योंकि यह सबूतों और ऐतिहासिक वास्तविकताओं पर आधारित नहीं है। यही नहीं सीमा मसले पर बाकी बातचीत के अवसरों को भी खत्म कर देता है। मंत्रिपरिषद के फैसले के तुरत बाद ओली सरकार ने भारत से बातचीत के दौरान पेश करने के लिए ऐतिहासिक वास्तविकताओं और सबूतों को इकट्ठे करने के लिए 9 सदस्यों की एक टीम का गठन किया। विख्यात नक्शा नवीस और नेपाल के पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ सर्वे बुद्धि नारायण श्रेष्ठ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने पहले ही नक्शा जारी कर दिया है अब इसके बाद ऐतिहासिक वास्तविकताओं और सबूतों को एकत्र करने के लिए विशेषज्ञों की टीम का गठन आखिर क्यों किया जा रहा है। पूर्व राजदूत दिनेश भट्टराई ने कहा कि मंत्रिपरिषद के निर्णय के बाद टीम का गठन ठीक वैसे ही है जैसे घोड़े के आगे गाड़ी लगाना। उनका विचार है इस तरह टीम से भारत के साथ वार्ता के दौरान नेपाल की स्थिति कमजोर हो जाएगी।


बहुत बाद में विदेश मंत्री ग्यावली शिपीशली ने कहा कि टीम का उद्देश्य सीमा मामले पर भारत से बातचीत के समय तथ्य मुहैया कराना है ना कि सबूत और ऐतिहासिक वास्तविकताओं को तलाशना। विदेश मंत्री इस मुगालते में हैं कि सीमा मामले पर गंभीर रुख अपनाने से नेपाल से बातचीत के लिए भारत अपने विशेषज्ञों के साथ काठमांडू दौड़ा आएगा ।


संसद में वोट के तुरंत बाद विदेश मंत्री ग्यावली ने घोषणा की कि हम जल्दी ही बातचीत शुरू करेंगे और कूटनीति के माध्यम से समस्या का समाधान होगा। अब सवाल उठता है कि नेपाल के सरकार ने संविधान संशोधन विधेयक के लिए क्यों जल्दबाजी की? ऐसा लगता है कि सरकार ने सोचा होगा कि सीमा मामले पर राष्ट्रीय बड़बोलेपन से विपक्षी दलों की जुबान बंद हो जाएगी और स्थितियां उनके पक्ष में हो जाएंगी। लेकिन सच तो यह है कि नेपाल में राष्ट्रवाद का ज्वार उफन रहा है और इसमें शासन गाैण हो गया है ऐसे में कोई भी ओली सरकार के खिलाफ मुंह नहीं खोलेगा। पूर्व प्रधानमंत्री एवं एनसीपी में वरिष्ठ सहयोगी जलानाथ खनाल ने कहा कि “ यहां कोई पार्टी नहीं है केवल ओली हैं।”


विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने घोषणा की है कि जब आम जनता भूख से मर रही है व्यापारी और व्यवसायी मदद के लिए मुंह जोह रहे हैं अर्थव्यवस्था में वृद्धि की जरूरत है तो सरकार ने इनकी तरफ से आंखें मूंद ली हैं। इस बीच प्रधानमंत्री निवास के समक्ष प्रदर्शन शुरू हो गए जिसे बलपूर्वक तितर बितर किया गया और अब या देश भर में खाएंगे और जल्दी ही संकट का रूप ले लेगा तथा नक्शा राष्ट्रवाद इसमें कोई सहायता नहीं करेगा। 1000 से ज्यादा लोग काठमांडू में और सैकड़ों लोग देशभर में आर्थिक पारदर्शिता की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और कोविड-19 के बेहतर प्रबंधन के लिए आवाज उठा रहे हैं। लोग क्वॉरेंटाइन की स्थिति में सुधार, पी सी आर के पूर्ण इस्तेमाल तथा कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए किए गए धन के व्यय का खुलासा करने की मांग कर रहे हैं। इसमें शामिल होने वाले लोग अधिकांश नौजवान हैं और किसी पार्टी से नहीं जुड़े हैं तथा उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से एक दूसरे से संपर्क किया और नियत स्थान पर एकत्र हुए। या विरोध प्रदर्शन पोखरा, विराटनगर , चितवन, और बीरगंज फैल गया। प्रदर्शन बिल्कुल शांतिपूर्ण हैं। इस बार प्रधानमंत्री निवास के समक्ष कुछ ज्यादा लोग करते हुए लेकिन उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए जबकि प्रदर्शनकारियों के हाथ में केवल दफ्तियां थीं और वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कर रहे थे। इसमें दिलचस्प बात यह है कि कुछ विदेशी भी माटीघर मंडल में इस प्रदर्शन में शामिल थे। पुलिस ने 7 विदेशियों को हिरासत में लिया है, इसमें चीनी, अमेरिकी ,फ्रांसीसी ,कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के लोग हैं। नेपाल से पहला दल 11 तारीख को कुवैत से लौटा। यहां के लोग बड़ी संख्या में खाड़ी के देशों और मलेशिया में हैं तथा इन्हें वापस लाने के लिए बड़ी संख्या में विमान चाहिए। सरकार ने काठमांडू में चलने वाले वाहनों मे सम और विषम की प्रणाली लागू कर दी है। वहां मोटरसाइकिल चलाने की अनुमति तो दे दी गई है लेकिन पीछे किसी को बैठाने के लिए इजाजत नहीं दी गई है। जनता के दबाव के कारण सरकार लॉकडाउन में और ढिलाई देने पर विचार कर रही है। सरकार ने केंद्र, राज्यों और स्थानीय निकायों के माध्यम से 8.39 अरब रुपए खर्च करने का मोटे तौर पर हिसाब तैयार किया है। वहां पशुपतिनाथ का मंदिर अभी बंद रहेगा और कहा जा रहा है यहां चढ़ावे में लगभग 10 लाख रुपए रोज आते थे जो अभी बंद है इसके अलावा विदेशों से भी भारी संख्या में रुपए आते थे।


सरकार ने कोविड-19 की रोकथाम और नियंत्रण के लिए गठित उच्च स्तरीय कोऑर्डिनेशन कमिटी को भंग कर दिया है और इसी उद्देश्य के लिए गठित क्राइसिस मैनेजमेंट सेंटर ने इसकी जगह ली है। लेकिन सबसे बड़ा संकट यह है कि जब यह राष्ट्रवाद के नारे का ज्वार उतरेगा और यदि भारत ओली के ईगो को आघात पहुंचाएगा तब होली के सामने ऐसे जटिल सवाल खड़े होंगे जो इस समय देश के समक्ष हैं। ओली की अयोग्यता से सब वाकिफ हैं। मार्क मर्फी ने कहा था कि असली ज्ञान अपनी अज्ञानता को समझना है लेकिन ओली अपनी अज्ञानता से अवगत नहीं हैं और जो भी कदम उठा रहे हैं वह अविवेकपूर्ण है। ऐसी स्थिति भविष्य में पूरे देश के लिए घातक हो सकती है क्योंकि वहां चीन प्रवेश कर चुका है।

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