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Friday, June 19, 2020

चीनी गतिविधियों से दोबारा हमले का अंदेशा



चीनी गतिविधियों से दोबारा हमले का अंदेशा 


हरिराम पाण्डेय





कोलकाताः चीन भारत पर दुबारा  की तैयारी में है और हो सकता है वह इस बार मध्य क्षेत्र से हमला करे। राजनयिक सूत्रों के मुताबिक चीन बहुत बड़ी संख्या में सेना को लॉजिस्टिक सपोर्ट के साथ ल्हासा से नरी की ओर ले जा रहा है। 1250 किलोमीटर के इस रेंज में तिब्बत की तरफ से बड़ी संख्या में ड्रोन भारत के किसी भी प्रयास की खबर देने के लिए साथ साथ चल रहे हैं। नरी नेपाल के उत्तरी पश्चिमी सीमा से सटता है। नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार और उस पर से भारतीय सीमा को लेकर उससे तनाव और फिर चीन का उसके पास आकर बैठना अपने आप में खतरनाक लग रहा है।


यही नहीं, यहां चीनी महावाणिज्य दूतावास में बुधवार को बहुत ही गोपनीय बैठक हुई और इस बैठक में तय किया गया कि कम्यूनिस्ट रुझान वाले पश्चिम बंगाल में चीन समर्थक जनमानस तैयार किया जाए और इसके लिए कुछ चुनिंदा नेताओं को महावाणिज्य दूतावास में चाय पर आमंत्रित किया गया है। यहां यह बता देना प्रासंगिक होगा सोमवार की रात जो हमले हुए उनके पहले जिन ड्रोन से भारतीय सेना की गतिविधि का अध्ययन किया गया था वह नेपाल के रास्ते चीन से कोलकाता लाया गया था और वहां से उन्हें गलवान घाटी के पास पहुंचाया गया था।


सन्मार्ग बहुत पहले सेना की निगरानी के लिए ड्रोन्स का प्रयोग किये जाने के बारे में जानकारी दे दी थी। चीन के तिब्बत पर कब्जे का विरोध करने वाले एक तिब्बती लामा ने गुरुवार को दोपहर सन्मार्ग को बताया कि इतनी बड़ी गतिविधि की खबर भारतीय पक्ष को नहीं है। वैसे यहां खुफिया सूत्रों ने इस बारे में केवल मुस्कुरा कर जवाब दिया कि इस पर कार्रवाई की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना ने लगभग 2 ब्रिगेड सैनिकों को रवाना किया है। सेना के पास फिलहाल ये जानकारी है लेकिन चीन की सारी गतिविधि अभी उसकी सीमा में हो रही है इसलिए देखने के सिवा कोई चारा नहीं है। चीन की कोशिश है कि वह तिब्बत से गिलगित बालटिस्तान और जोड़ दे। सूत्रों के मुताबिक इसी प्रोजेक्ट के तहत उसने ल्हासा से कूच किया है। यह क्षेत्र गर्मियों और बरसात में सुगम है इसलिए अंदेशा है कि चीन इन्हें दो-तीन महीनों में कुछ करे।


सूत्रों के मुताबिक वह एक तरफ अति वामपंथी दलों जैसे माओवादी इत्यादि को धन और विस्फोटक मुहैया कराकर भारत के भीतर आंदोलन तथा आतंक का वातावरण तैयार कर सकता है और फिर भारत के सीमावर्ती स्थानों में चीन समर्थक विचारधारा का प्रचार करें और फिर कोई कदम उठाए जिससे भारत में अंदरूनी गतिविधियां ना हो सके। चीन केरल से लेकर उत्तर प्रदेश के अंत तक एक रेड कॉरिडोर बनाने की कोशिश में है। इसकी खबर खुफिया सूत्रों के पास पहुंच चुकी है और यही कारण है कि माओवादियों के हर प्रयास विफल हो रहे हैं।

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