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Wednesday, June 17, 2020



भारत नेपाल को आपस में बातें करनी चाहिए





भारत और नेपाल में सीमा को लेकर तनाव चल ही रहा था सीतामढ़ी जिले के बॉर्डर पर नेपाल सीमा रक्षकों ने भारतीयों पर फायरिंग कर दी।इस घटना में सीमावर्ती गांव का एक नौजवान मारा गया। प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है मारे जाने के बाद उसके शव को पुलिसकर्मी सीट कर नेपाल सीमा में ले गए। जब ग्रामीणों ने आक्रोश जाहिर किया और हंगामा होने लगा तो वह उसे छोड़कर भाग निकले इसे लेकर ग्रामीणों में भारी तनाव है। इसकी शुरुआत नेपाल के नए नक्शे को लेकर हुई थी। नये नक्शे में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है। इसे पिछले महीने नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने जारी किया था। भारत ने इस पर यह कहते हुए आपत्ति जतायी थी कि यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। हालांकि, नए नक्शे को लेकर भी नेपाल में सभी लोग एकमत नहीं हैं। कई लोगों का तो यह मानना है कि नेपाल के प्रधानमंत्री ओली नक्शे को देखकर अपनों को संतुष्ट करने में लगे हैं और राष्ट्रीय बड़बोले नारों के बीच देश की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं। लोगों के सवाल पर वह ध्यान नहीं दे रहे हैं यहां तक कि वह संसद को यह भी नहीं बताना चाह रहे हैं कोविड-19 के लिए एकत्र किए गए 10 खरब रुपयों को कहां खर्च किया गया। इधर नक्शे का विवाद और उधर पुलिस की फायरिंग के कारण दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। भारत की तरह नेपाल में भी लॉक डाउन था। ओली का दावा है कि वुहान वायरस के बारे में किसी से भी ज्यादा जानते हैं। नेपाल में अभी स्थिति और खराब होने वाली जब अगले हफ्ते मध्य पूर्वी देशों में काम करने वाले प्रवासी श्रमिक अपने वतन लौटेंगे।


पिछले दिनों ओली ने संसद में कहा था नेपाली दोनों में दूसरों से ज्यादा इम्यूनिटी है। विपक्ष के नेता गगन थापा ने पूछा उनसे किसने यह कहा तो उनका उत्तर था उनका अपना दृष्टिकोण है। विपक्षी नेता डॉक्टर बाबूराम भट्टराई ने सही कहा था कि ओली एक खास किस्म के मनोवैज्ञानिक रोग से पीड़ित है। नेपाल के मॉलिक्यूलर डायनामिक्स के अनुसंधान निदेशक समीर मणि दीक्षित का मानना है कि ओली कोविड-19 को समझते ही नहीं हैं।


अब यहां सवाल उठता है काठमांडू में एक जिद्दी प्रधानमंत्री और सीमा पर ट्रिगर हैप्पी पुलिस क्या भारत और नेपाल के रिश्तो को नुकसान पहुंचाएगी? भारत और नेपाल में रोटी बेटी का संबंध है और सदियों से लोग इस संबंध को निभाते आए हैं। पिछले कुछ समय से भारत और नेपाल के संबंधों के बीच क्रांति भी जुड़ गई है। यानी नेपाल में जो भी राजनीतिक या सामाजिक क्रांति हुई है उसे भारत और भारत की जनता का सहयोग रहा है। उसी तरह भारत में राजनीतिक परिवर्तन के क्रम में नेपाल आश्रय स्थल रहा है और नेपाल की जनता का सहयोग रहा है। दक्षिण एशिया में विभिन्न देशों में आपसी संबंध है और उनका का सारा इतिहास रहा है। परंतु, नेपाल के मामले में यह अलग है। ब्रिटिश इंडिया पहले से भारत और नेपाल के संबंध रहे हैं। दोनों देश सामाजिक सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से ही नहीं जुड़े हैं बल्कि इनमें प्राकृतिक संबंध भी रहा है। हिंद महासागर से निकला मानसून जब हिमालय से टकराता है तो उससे बारिश होती है। हिमालय की पहाड़ी श्रृंखलाओं से निकली नदियां उत्तर भारत की जमीन को उर्वर करती है। यही नहीं दोनों देशों के बीच खुली सीमा रिश्तो को अद्वितीय बनाती है।





ऐसा शायद बहुत कम सुना गया है दोनों देशों की सीमाओं पर गोलीबारी हुई हो। हालांकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम तक फैली 1880 किलोमीटर लंबी सीमा ज्यादातर खुली हुई है और कभी कभार तनाव की खबरें भी आती है। लेकिन, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। नक्शों को लेकर पहले से ही तनाव है और अब यह घटनाएं। खबर है कि हाल के दिनों में बारा, बर्दिया, झापा जैसे इलाकों में भी सीमा पर तनाव की खबरें आई हैं। नेपाल इन क्षेत्रों में एसएसबी के लोगों की गतिविधियों को रोकने की कोशिश कर रहा है। 11 मई को झापा में भारतीय किसानों की भीड़ को रोकने के लिए नेपाल के सीमा रक्षकों ने हवा में गोलियां चलाई थीं। आरोप है यह किसान जबरन नेपाल की सीमा में खेतों में घुसने की कोशिश कर रहे थे। बाद में स्थानीय स्तर पर इस विवाद को सुलझा लिया गया। हालांकि, इस तरह की घटनाएं शायद ही भारत नेपाल के संबंधों में असर डाले किंतु जन स्तर पर इसका प्रभाव तो पड़ेगा ही। यही नहीं यह भी जरूरी है कि स्थानीय क्रॉस बॉर्डर स्तर पर दोनों तरफ से तंत्र और टेलीफोन हॉटलाइन बनाई जाए ताकि दोनों तरफ के प्रतिनिधि मिलकर इसी विवाद को तत्काल सुलझा दें और आपसी सहयोग बनाए रखें। सीमा विवाद को लेकर भारत और नेपाल के संबंध अब तक के सबसे खराब है। संबंधों को ठीक करने के लिए वार्ता के अलावा कोई विकल्प नहीं है। दोनों पक्षों को बातचीत को प्राथमिकता देनी होगी वरना स्थितियां और बिगड़ती जाएंगी। 5 वर्ष में दूसरी बार भारत नेपाल के संबंध बेहद तनावपूर्ण हुए हैं। भारत साफ कर चुका है वह सीमा पर कोई बातचीत करेगा। पिछले कुछ दिनों में भारत के इस मुद्दे पर चुप रहने पर नेपाल का थ्यान था। नेपाल के प्रधानमंत्री इस बड़े कदम के बाद भारत ने नेपाल से बात करने से इंकार कर दिया था। सारी बातों को देखकर ऐसा लगता है चीन से निकटता के कारण नेपाल के प्रधानमंत्री भारत के साथ संबंधों में मूलभूत बदलाव चाहते हैं। केपी शर्मा ओली ने भारत विरोधी रूप दिखाकर दो बार चुनाव में विजय पाई है। उन्होंने अपराजेय राष्ट्रवादी छवि बना ली है। लेकिन यहां उचित होगा अतीत को ध्यान में रखकर नेपाल अपना ईगो त्याग दे और सीमा को लेकर वार्ता शुरू हो ताकि संबंध फिर से मधुर हो जाएं।

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