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Friday, June 5, 2020

भारत के लिए यह बस एक और तूफान है



भारत के लिए यह बस एक और तूफान है





कोविड-19 ने वैश्विक तौर पर दुनिया भर में व्यापार और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है बेशक भारत को भी नुकसान पहुंचा है । लेकिन, मुश्किलों से निपटने की मोदी जी की क्षमता को देखते हुए यह कहा जा सकता है की यह वित्तीय संकट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए तूफान जैसा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीआईआई के वार्षिक सत्र में देश के बड़े व्यवसायियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक बड़ी उड़ान के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि दुनिया एक भरोसेमंद साथी की तलाश है लेकिन भारत में इसकी क्षमता ताकत और योग्यता सभी मौजूद है। बस आपको इस अवसर को आगे बढ़कर फायदा उठाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को तेज विकास के पथ पर लाने के लिए पांच बातें बहुत जरूरी हैं। वे पांच हैं इंटैट, इंक्लूजन, इंफ्रास्ट्रक्चर, इन्वेस्टमेंट और इनोवेशन। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे लिए सुधार का मतलब है फैसले लेने का साहस करना। प्रधानमंत्री ने भारत के बड़े कारोबारियों को विश्वास दिलाया विकास की राह फिर से पकड़ना उतना मुश्किल नहीं है जितना प्रचारित किया जा रहा है। सीआईआई के इस 125वें वार्षिक सत्र का थीम था गेटिंग ग्रोथ बैक यानी वृद्धि की राह पर लौटना। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर का मतलब केवल रणनीति क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता नहीं है बल्कि देश को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है सरकार आपके साथ है आप आगे बढ़ने का संकल्प लें।


वैश्विक अर्थव्यवस्था की दर पिछले 3 साल से धीमी पड़ रही है। 2017 में यह 3.2% से गिरकर 2018 में 3% और 2019 में 2.3% तक आ गई है। इस महामारी से 1930 में जब महामंदी आई थी उसके बाद से आर्थिक विकास मैं अब तक सबसे खराब गिरावट देखी जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान लगाया है कि 2020 में विश्व अर्थव्यवस्था में तीन प्रतिशत की कमी आएगी और आर्थिक उत्पादन में 9 खरब डॉलर का नुकसान होगा और यह नुकसान महा लॉक डाउन के कारण होगा। इस आर्थिक गिरावट का असर विकासशील देशों पर और भी बुरा होगा क्योंकि इन देशों में जीवन और जीविका दोनों का ज्यादा नुकसान होने की आशंका है। इस महा लॉक डाउन में जो रोजगार का नुकसान होगा उसे आर्थिक गिरावट गति और बढ़ सकती है। इस बात को लेकर कि कुशल श्रमिक बहुत दिनों तक बेरोजगार रहे तो उनका कौशल हल्का पड़ जाता है और काम करने की प्रेरणा कम हो जाती है और वह आखिरकार कुशल श्रमिकों की जमात से बाहर हो जाता है। दुनिया भर में बेरोजगारी का स्तर बहुत ज्यादा है। अमेरिका में 4 करोड़ जॉब बेकार और बेरोजगारी 20% के करीब पहुंच गई है। यानी अमेरिका में हर पांचवा आदमी बेकार हो गया है। यूके में भी कुछ ऐसा ही है। यूरोपियन यूनियन देशों में जॉब सपोर्ट प्रोग्राम्स की वजह से बेरोजगारी कम है लेकिन 3 करोड़ से अधिक श्रमिकों को सरकार के वेतन समर्थन कार्यक्रम के माध्यम से पैसा दिया जाता है। नई कंप्यूटर तकनीको के कारण पहले ही रोजगार खत्म हो रहे थे और कोरोना वायरस की महामारी ने इन प्रवृतियों को हवा दे दी है क्योंकि लॉक डाउन के दौरान लगभग सभी कंपनियों को अपनी पूरी वर्क फोर्स के बगैर अपना काम चलाना पड़ा। कस्टमर सर्विस के बहुत से कामों के लिए इंसानी एजेंट्स की जरूरत पड़ती है लेकिन उनकी जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबाॅट्स का उपयोग किया जा रहा है कोरोना वायरस औषधियों के टेस्ट के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जा रही है। यहां तक कि बुजुर्गों की देखरेख मैं भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। अब हमें टेक्नोलॉजी के इस हानिकारक प्रवृत्ति के साथ काम करना सीखना होगा और जो इसे नहीं अपनाएंगे वह शायद गायब हो जाएंगे।


दुनिया भर में यह बेरोजगारी वर्षों तक डिमांड को दबाए रखेगी जिससे निवेश घट जाएगा और विकास धीमा हो जाएगा। अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन को पहले ही बहुत हद तक निष्क्रिय कर दिया है और इसकी संभावना बहुत कम है कि वह इसे जीवित करेगा। बीजिंग के चलते एक नए शीतयुद्ध का संकेत मिल रहा है और चीन के निवेश द्वार के रूप में अमेरिका की भूमिका कम होती जा रही है। बीजिंग और वाशिंगटन के बीच लगातार बयानबाजी चल रही है । दुनिया में यह महामारी एक विशाल तूफान की तरह उठी है लेकिन भारत अपेक्षाकृत अच्छी स्थिति के साथ इस तूफान में दाखिल हो रहा है। भारत मैं नौजवान और स्वस्थ आबादी होने की वजह से कोरोना वायरस कम हुआ है और आगे भी कम होगा। भारत की आर्थिक स्थिति उसके मध्यम आय वाले प्रतिद्वंदियों जैसे मेक्सिको इंडोनेशिया और ब्राजील की तुलना में कहीं अथिक स्थिर है। अपने तकनीकी कौशल और आईटी के कौशल के मामले में भी भारत अच्छी स्थिति में है। फिर भी या तूफान हमारे विकास के लिए भयानक विपरीत हालत पैदा कर सकता है। इसके कई कारण हैं। पहला कि हमारे माल के निर्यात में भारी कमी हो सकती है दूसरा निवेश घट सकता है और तीसरा बाहर से आने वाला पैसा काफी कम हो जाएगा क्योंकि क्योंकि भारतीय जो बाहर रहते थे वह अपने देश लौट रहे हैं। लेकिन हमने संकट को अवसर में बदलना सीखा है। मोदी जी की सरकार और आत्मनिर्भर भारतीय साबित कर देंगे की जब भी दुनिया में कोई आर्थिक संकट आता है तो भारत कैसे उससे अलग बना रहता है।

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