26 नवम्बर 2015
आज से शुरू हो रहा संसद का शीतकालीन सत्र के एक बार फिर हंगामेदार होने के आसार हैं। विकास को गति देने के लिए आर्थिक सुधारों से जुड़े कदमों को आगे बढ़ाने के लिहाज से यह सत्र काफी महत्वपूर्ण है और सरकार चाहेगी कि इसका हश्र पिछले मानसून सत्र जैसा न हो। कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध तथा दोनों के अपने अपने रुख पर अड़े रहने के कारण मानसून सत्र का काफी बड़ा हिस्सा हंगामे की भेंट चढ़ गया था। विभिन्न मुद्दों को लेकर दोनों के बीच पैदा हुई कड़वाहट समाप्त होने की बजाय बढ़ी ही है। संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्षी दल असहिष्णुता के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं, जबकि सत्ता पक्ष जीएसटी विधेयक को पारित कराने पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए अपनी इच्छा जता चुका है। वाम नेता ने देश में 'बढ़ती असहिष्णुता' पर चर्चा करने के लिए एक नोटिस भी दिया है। उन्होंने बताया कि नोटिस को 'चर्चा के लिए पूर्व नोटिस' के तौर पर राज्यसभा के सभापति ने मंजूरी दे दी है, "इसलिए हम इसके विरोध में आवाज उठाएंगे..."। असहिष्णुता के मुद्दे पर नायडू ने कहा कि हम बहस के लिए तैयार हैं।विपक्ष अपने आक्रामक तेवर अगले सोमवार से जाहिर करेगा, जब सरकार संविधान और इसके निर्माता बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर चर्चा के लिए दो दिन की विशेष बैठक के बाद अपने विधायी कामकाज का एजेंडा सदन में रखेगी।
बिहार में भाजपा की करारी हार से विपक्ष का मनोबल बढ़ गया है और इस सत्र में वह सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। उधर कांग्रेस ने भी अपने तेवर कड़े रखने के संकेत दे दिए हैं।असहिष्णुता पर छिड़ी बहस, सम्मान वापसी की होड़, दादरी कांड और इस बीच बिहार में महागठबंधन को मिली जीत ने विपक्ष के तेवर तीखे कर दिए हैं। पिछले सत्र में लोकसभा में सिर्फ 48 फीसदी और राज्यसभा में तो महज 9 फीसदी काम हो पाया था। बिहार चुनाव में बीजेपी को डबल घाटा हुआ है। अगर बीजेपी बिहार में सरकार बना पाती तो राज्य सभा में उसके नंबर बढ़ सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। राज्य सभा में कांग्रेस के 67 सासंदों सहित यूपीए के 80 सदस्य हैं। यही वजह है कि अकेले कांग्रेस भी पूरे एनडीए (57) पर भारी पड़ती है।अभी ये तय नहीं है कि जेडीयू की पहल में समाजवादी पार्टी शामिल है या नहीं। बिहार की बात और है, राज्य सभा में मुलायम की पार्टी के पास 15 सीटें हैं जबकि जेडीयू के पास 12। अगर दोनों मिल जाते हैं तो कांग्रेस को इन्हें नजरअंदाज करने से पहले दो बार सोचना होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि केंद्र सरकार गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पास कराने के लिए हर संभव कोशिश करेगी - खास तौर पर विपक्ष को समझाने की। जीएसटी बिल लोक सभा में पास हो चुका है. इसे राज्य सभा में पास होना है जहां संख्या मोदी सरकार का साथ नहीं दे रही है। जीएसटी बिल में कांग्रेस कुछ प्रावधान जोड़ने की मांग कर रही है। सरकार को उसकी ये मांग मंजूर नहीं हैं।संसदीय मामलों के जानकार के अनुसार संसद में 67 विधेयक लंबित हैं और इनमे से 9 विधेयकों को पिछले सत्र के दौरान पेश किया गया था। वहीं 40 बिल ऐसे हैं जिन्हें पिछली 15वीं लोकसभा के दौरान लाया गया था। इसके अलावा 18 लंबित विधेयक पहले की लोकसभा के पटल पर रखे गए थे, और वो आज भी ठंडे बस्ते मे पड़े हैं।सत्र शुरू होने से ऐन पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुली चुनौती देते हुए भाजपा द्वारा उन पर लगाए जा रहे आरोपों की जांच कराने तथा दोषी पाए जाने पर जेल में डाल देने की बात कही है, उससे साफ है कि उनकी पार्टी सत्र के दौरान घमासान के लिए तैयार है।भाजपा की ओर से उनकी दोहरी नागरिकता तथा कांग्रेस नेताओं सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर के पाकिस्तान में दिए गए बयानों को मुद्दा बनाने की भरसक कोशिश की जा रही है। रिपोर्टों के अनुसार तृणमूल कांग्रेस तथा वामपंथी दलों ने ‘असहिष्णुता’ के मुद्दे पर संसद में बहस कराने के लिए नोटिस देने की तैयारी कर ली है और उन्हें उम्मीद है कि इस मुद्दे पर समूचा विपक्ष उनके साथ खड़ा होगा। इस मुद्दे पर देश के कई साहित्यकारों और कलाकारों ने अपने पुरस्कार वापस लौटा दिए। यहां तक कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को भी इस मुद्दे पर परोक्ष रूप से टिप्पणी करनी पड़ी।सूत्रों के मुताबिक सरकार का मानना है कि ये घटनाएं राज्य सरकारों की जिम्मेदारी हैं और जब पीएम खुद इसपर स्थिति साफ कर चुके हैं तो सत्तापक्ष को इन मुद्दों पर रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है। अगर विपक्ष इनपर बहस चाहता है तो सरकार को ऐतराज नहीं होगा।
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